यूपी – AMU: अल्पसंख्यक दर्जे पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले का इंतजार, विभाग-लाइब्रेरी में फैसले पर मंथन, हो रही खूब चर्चा – INA

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सुप्रीमकोर्ट का फैसला जल्द आ आ सकता है। आने वाले फैसले को लेकर यूनिवर्सिटी परिसर में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। यूनिवर्सिटी के शिक्षक, विद्यार्थी और कर्मचारी से लेकर दुनियाभर में रह रहे पूर्व विद्यार्थियों में फैसले को लेकर हलचल मची हुई है। इसी 10 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि सेवानिवृत्ति से पहले सुरक्षित फैसला आ सकता है।

मनमोहन सरकार ने बताया था अल्पसंख्यक संस्थान

एएमयू के उर्दू एकेडमी के पूर्व निदेशक डॉ. राहत अबरार ने बताया कि वर्ष 1981 में एएमयू संस्थान अल्पसंख्यक स्वरूप की बहाली के बाद वर्ष 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार की ओर से एक पत्र में कहा गया कि यह अल्पसंख्यक संस्थान है, इसलिए वह अपनी दाखिला नीति में परिवर्तन कर सकता है। तत्कालीन केंद्र सरकार की अनुमति के बाद विश्वविद्यालय ने वर्ष 2004 में एमडी-एमएस के विद्यार्थियों के लिए प्रवेश नीति बदलकर आरक्षण प्रदान किया।

यूनिवर्सिटी के खिलाफ पीड़ित डॉ. नरेश अग्रवाल व अन्य उच्च न्यायालय इलाहाबाद चले गए। एकल पीठ का फैसला विवि के खिलाफ आया। युगल पीठ का फैसला भी विवि के खिलाफ था। उसके बाद विवि ने उच्चतम न्यायालय की शरण ली, जहां आदेश दिया गया कि जब तक कोई सुबूत नहीं मिलता, तब तक यथा स्थिति बनी रहेगी, लेकिन भाजपा सरकार ने एएमयू पक्ष में दाखिल हलफनामे को चुनौती दी।

एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुप्रीमकोर्ट का फैसला यूनिवर्सिटी के पक्ष में आने की उम्मीद है। एएमयू एक ऐसा शिक्षा का केंद्र है जिसकी स्थापना सर सैयद अहमद ने की थी। मुस्लिम समाज जो शिक्षा में अति पिछड़ा है, उनको शिक्षित करने की सोच के साथ सभी धर्मों के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा देकर उनको भी मौका देता है।-अरशद हुसैन, पूर्व छात्र

एएमयू का सफर मदरसे से होते हुए कॉलेज की सीढ़ी पार करते हुए सर सैयद ने मुस्लिम समाज को आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के लिए बनाया था। हम सभी अलीग जो अलीगढ़ से लेकर पूरी दुनिया में हैं। हमें भरोसा है कि सुप्रीमकोर्ट एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखेगा।-इंजी. आगा यूनुस, पूर्व छात्र

विश्व विख्यात अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का ऐतिहासिक सफर है। सर सैयद अहमद ने मुस्लिमों को शिक्षा के क्षेत्र में . बढ़ाने के लिए मदरसा, कॉलेज बनाया था। यूनिवर्सिटी में किसी भी धर्म के साथ भेदभाव नहीं किया गया। 1920 में इसी एमएओ कॉलेज को यूनिवर्सिटी के तौर पर पार्लियामेंट्री एक्ट के तहत दर्ज प्राप्त हुआ।-नूरुल एन हैदर रिजवी, पूर्व छात्रा


Credit By Amar Ujala

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