खबर शहर , UP News: 12वीं पास ने जीजा-साले को बना दिया करोड़पति, पशुओं की नकली दवाएं, सीरप और इंजेक्शन बनाने में माहिर – INA

आगरा के लखनपुर (सिकंदरा) में पकड़ी गई फैक्टरी में बारहवीं पास तकनीशियन पशुओं की नकली दवाएं तैयार करता था। टैबलेट, सीरप और इंजेक्शन में रसायन की मात्रा से लेकर मिश्रण तक खुद बनाता था। महिला श्रमिक कार्टन में पैकिंग करती थीं। पुलिस ने शुक्रवार को अश्वनी गुप्ता, उसकी पत्नी निधि, साले साैरभ दुबे और तकनीशियन उस्मान को जेल भेजा। मुकदमे में मैरिज होम और मकान में फैक्टरी खुलवाने पर उनके मालिकों को भी आरोपी बनाया गया है।

सिकंदरा के गांव लखनपुर में पुलिस और औषधि विभाग की टीम ने मंगलवार रात को पशुओं की नकली दवाएं बनाने की दो फैक्टरियां पकड़ी थीं। विभव वाटिका, दयालबाग निवासी अश्वनी गुप्ता और उसकी पत्नी निधि बंद मैरिज होम में फैक्टरी चला रहे थे। अश्वनी के साले नरसी विलेज, राज दरबार काॅलोनी निवासी साैरभ दुबे ने मैरिज होम से 500 मीटर की दूरी पर एक मकान में फैक्टरी खोल रखी थी।

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4.50 करोड़ का माल बरामद
दो दिन तक दवाओं की गिनती की गई। फैक्टरियों में पशुओं की नकली दवा के साथ मशीन, पैकिंग का सामान सहित 4.50 करोड़ का माल बरामद किया गया था। पुलिस की पूछताछ में पता चला कि अश्वनी गुप्ता ने गजानन नगर, लोहामंडी निवासी सारिक खान से मैरिज होम 17 हजार रुपये महीने किराये पर लिया था। साैरभ दुबे ने कमलेश देवी के मकान में भूतल किराये पर लिया था। इसके लिए हर महीने 10 हजार रुपये देता था। अश्वनी की फैक्टरी में सारंगपुर, फतेहाबाद का उस्मान खान दवा बनाता था। वह बारहवीं पास है। दवाओं में कच्चे माल की मात्रा कितनी रखनी है? काैन सी गोली और सीरप किस मात्रा में बनना है? यह सब उस्मान तय करता था। रसायन का मिश्रण बनाने के बाद टैंकर में खुद ही डालता था। दवा तैयार होने पर महिला श्रमिक कार्टन में पैकिंग करती थीं। इन्हें 5-5 हजार रुपये संचालक देते थे। थाना सिकंदरा के प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि उप निरीक्षक बबलू पाल ने मुकदमा दर्ज कराया। मामले में अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।

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जीजा-साले का नेटवर्क खंगाल रही पुलिस
पुलिस ने साैरभ और अश्वनी के मोबाइल कब्जे में लिए हैं। इनकी काॅल डिटेल खंगाली जा रही है। व्हाट्सएप चैट की भी जांच होगी। पता चला है कि आरोपी अपने एजेंटों के माध्यम से दवाओं को बाजार में बेचते थे। उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब, गुजरात, राजस्थान में भी सप्लाई थी। कई जगह डिस्ट्रीब्यूटर भी बनाए थे। इनके माध्यम से अफ्रीकी देश अंगोला और अफगानिस्तान तक दवाएं जा रही थीं। पुलिस को स्थानीय स्तर पर भी कुछ एजेंटों के नाम पता चले हैं। डिस्ट्रीब्यूटरों पर भी शिकंजा कसेगा।

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ऑर्डर देने वाले नहीं आ रहे सामने
पुलिस ने बताया कि दोनों फैक्टरियों में हर महीने लाखों के ऑर्डर आ रहे थे। डिस्ट्रीब्यूटरों से 40 प्रतिशत भी मिल रहा था। अक्तूबर में भी दवाओं के ऑर्डर आए थे। पुलिस के छापे के बाद अश्वनी और साैरभ से डिस्ट्रीब्यूटरों से संपर्क नहीं किया है। पुलिस का अनुमान है कि पकड़े जाने के डर से कोई सामने नहीं आ रहा है। पुलिस को दोनों जगह से बड़ी मात्रा में पैक दवाएं भी मिली हैं, जिनकी सप्लाई की जानी थी।

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नहीं किया लाइसेंस के लिए आवेदन
सहायक औषधि आयुक्त अतुल उपाध्याय ने बताया कि लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है। आवेदन पर टीम निरीक्षण करने जाती है। मानक देखे जाते हैं। इसके बाद ही लाइसेंस मिलता है। मगर, फैक्टरी मानक पूरे नहीं थे। 5 साल में अश्वनी और साैरभ की तरफ से कोई आवेदन नहीं किया गया। उनके पास लाइसेंस भी नहीं है। हालांकि वह पहले उत्तराखंड का लाइसेंस बता रहे थे। वो भी लाइसेंस दवा तैयार करने का नहीं है। सिर्फ बेचने का है। आरोपी पुलिस और विभाग को गुमराह करते थे।


Credit By Amar Ujala

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