खबर शहर , UP News: लखीमपुर खीरी में खेतों में भालू बनकर घूम रहे किसान, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान – INA

लखीमपुर खीरी के धौरहरा क्षेत्र में बंदरों के उत्पात से किसान परेशान हैं। इस क्षेत्र में हजारों की संख्या में बंदर हैं, जो गेहूं, आलू, मिर्ची, केला, सरसों, गन्ना आदि फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बंदरों को भगाने के लिए किसान कहीं लंगूर तो कहीं भालू का वेश बनाकर खेतों में घूम रहे हैं। किसानों का कहना है कि भालू और लंगूर का वेश देखकर बंदर भाग जाते हैं। फसलों को बचाने के लिए मजबूरन उनको ऐसा करना पड़ रहा है। 

किसानों का कहना है कि वन विभाग इन बंदरों को पकड़ने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा, बस सरकार की गाइड लाइन की बात कहकर ग्राम पंचायत और नगर पंचायत पर बंदरों को पकड़ने की जिम्मेदारी डाल रहा है। 
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किसानों पर भी हमला कर रहे बंदर 
गांव लोहरीपुर के किसान सत्यप्रकाश राज ने बताया कि बंदरों का काफी उत्पात है। फसलों को तो बंदर चौपट कर ही रहे हैं, यदि किसी को अकेला पा जाएं तो उस पर हमला भी कर देते हैं। बावजूद इसके वन विभाग कोई कारगर कदम नहीं उठा रहा है।


धौरहरा के रमाशंकर शुक्ला ने कहा कि खेतों में फसलों को बचाना अब मुश्किल है। किसान रात दिन जागकर फसलों की रखवाली करते हैं। जरा सी चूक हुई तो बंदर फसलों को चौपट कर देते हैं। किसान बंदरों के चक्कर में खुद भालू बन गए हैं।

गांव कफारा के किसान बंशीधर कश्यप बताते हैं कि बंदर फसलों को तो नुकसान पहुंचा ही रहे हैं। अब किसानों पर भी हमला करने लगे हैं। कई लोगों को नोंच भी चुके हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से बंदरों से निजात दिलाने की मांग की। 

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हरीपुर के किसान छोटेलाल ने बताया कि रात में गाय और दिन में बंदर बचाने के लिए खेतों में रहना पड़ रहा है। फिर भी बंदर भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसी ही स्थिति रही तो हम किसान कैसे खेती कर पाएंगे। सरकार को इधर भी ध्यान देना चाहिए। 


धौरहरा नगर पंचायत के अध्यक्ष नफीस खां ने बताया कि वन विभाग अगर अपनी विशेषज्ञों की टीम दे तो बंदरों को पकड़ने में नगर पंचायत सहयोग करेगी, लेकिन वन विभाग इस पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है। किसान काफी परेशान हैं। 

वनाधिकारी ने ये कहा 

धौरहरा के क्षेत्रीय वनाधिकारी नृपेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक ग्राम पंचायत या नगर पंचायत खुद बंदरों को पकड़वाकर जंगल में सुरक्षित पहुंचा सकती है। वन विभाग के पास लाल बंदर को पकड़ने का कोई बजट नहीं होता। यह काम नगर पंचायत और ग्राम पंचायत का है। 


Credit By Amar Ujala

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