यूपी- देवेंद्र अरोड़ा, अमित मोहन और अरविंद जैन…संभल हिंसा के कारणों का पता लगाएगी ये टीम, जानें इनके बारे में – INA

यूपी के संभल में मस्जिद सर्वे को लेकर हुई 24 नवंबर की हिंसा ने पूरे देश की सियासत को गरमा दिया है. एक तरफ भीड़ पर हिंसा करने के आरोप हैं तो दूसरी तरफ पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. अब इन तमाम पहलुओं की तह तक जाने और सही कारणों का पता लगाने के लिए न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं.

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया है. तीन सदस्यों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है. न्यायिक जांच आयोग में अध्यक्ष की भूमिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज देवेंद्र कुमार अरोड़ा रहेंगे. साथ ही रिटायर्ड IAS अमित मोहन प्रसाद और रिटायर्ड IPS अरविंद कुमार जैन इसके सदस्य के रूप में काम करेंगे. जानते हैं इन तीनों से जुड़ी कुछ अहम बातें.

देवेंद्र कुमार अरोड़ा कौन हैं?

इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज देवेंद्र कुमार अरोड़ा का जन्म 20 जून 1957 को हुआ था. उन्हें कानून की पढ़ाई में काफी रुचि थी. अपने इसी इंट्रेस्ट के चलते उन्होंने कॉलेज की शुरुआती पढ़ाई लखनऊ विश्वविद्यालय से की. लखनऊ विश्वविद्यालय से 1982 में वो लॉ में ग्रेजुएट हुए. इसके बाद 1984 में उन्होंने भारतीय विधि संस्थान, नई दिल्ली से श्रम कानून में पीजी डिप्लोमा (डी.एल.एल.) को पूरा किया.

Allahabad High Court Former Devendra Arora

इसी दौरान उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से ही (1983-85) में लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन (एलएलएम) में अपनी पढ़ाई पूरी की. लॉ के विषय में अपनी अच्छी समझ और जानकारी के लिए उन्हें एलएलएम में संवैधानिक कानून में सबसे ज्यादा नंबर मिले. होनहार देवेंद्र कुमार अरोड़ा को सबसे ज्यादा नंबर लाने के लिए ‘पंडित जगमोहन नाथ चक मेमोरियल गोल्ड मेडल’ से सम्मानित किया गया.

लॉ में ही पोस्ट ग्रेजुएशन और रिसर्च किया

लखनऊ विश्वविद्यालय से 1985 में उनका लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा हुआ. कानून की पढ़ाई में अपनी बढ़ती रुचि को उन्होंने यहीं समाप्त नहीं किया बल्कि, इसी विषय में अपनी जानकारी को और गहराई देने के लिए 2013 में लखनऊ विश्वविद्यालय में डॉक्टर ऑफ लॉ (एलएल.डी.) में दाखिला लिया. उन्हें एक बार फिर से सम्मानित किया गया. लखनऊ विश्वविद्यालय ने 2013 में उन्हें जगदीश प्रसाद लीगल रिसर्च गोल्ड मेडल से नवाजा. अब समय आ गया था कि अपनी सारी जानकारी को कार्यक्षेत्र में लगाने का. इसलिए 12 फरवरी, 1983 को उन्होंने वकील के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया. उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ और सुप्रीम कोर्ट में संवैधानिक, शैक्षिक, अनुबंध और भूमि अधिग्रहण मामले में लंबे समय तक प्रैक्टिस की.

उत्तर प्रदेश में महाधिवक्ता और हाईकोर्ट के जज बनाए गए

देवेंद्र कुमार अरोड़ा उत्तर प्रदेश के एडिशनल एडवोकेट जनरल यानि महाधिवक्ता बनाए गए. उत्तर प्रदेश सरकार में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग में बतौर चांसलर और विजिटर काम किया. 1995 से राज्य विश्वविद्यालय और एच. ई. के लिए विशेष वकील के तौर पर काम किया. यूपी के लिए स्थायी वकील के रूप में भी उन्हें काम करने का मौका मिला.

Allahabad High Court.

आगरा, झांसी, फैजाबाद, गोरखपुर विश्वविद्यालयों में भी स्थायी वकील के रूप में काम किया. नागरिक उड्डयन विभाग, यूपी, नोएडा, स्कूटर इंडिया लिमिटेड के लिए वरिष्ठ वकील के रूप में अपनी सेवा दी. 13 अप्रैल 2009 में एडिशनल जज यानि अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका प्रमोशन हुआ और इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में काम करने का मौका मिला. 24 दिसंबर 2010 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. 19 जून 2019 में वो रिटायर हुए.

कौन हैं रिटायर्ड IAS ऑफिसर अमित मोहन?

संभल हिंसा की न्यायिक टीम में दूसरा अहम नाम रिटायर्ड IAS ऑफिसर अमित मोहन का है. बिहार के बेगूसराय जिले में 4 मार्च 1964 को अमित मोहन का जन्म हुआ था. उन्होंने जनवरी 1987 में NTPC में वित्त एवं कार्मिक कार्यकारी प्रशिक्षु के रूप में अपने करियर की शुरुआत की. 1987 में ही अमित मोहन का सेलेक्शन भारतीय रेलवे लेखा सेवा में हुआ. उनकी सफलता की लाइन यहीं नहीं रुकी और उनकी मेहनत के नतीजे एक-एक करके सामने आने लगे.

retired Ias Officer Arvind Mohan

21 अगस्त 1989 को भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी देश की सर्वोच्च परीक्षाओं में से एक (IAS) इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस में सेलेक्ट हुए. उनकी पहली पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में असिस्टेंट मजिस्ट्रेट के रूप में 27 अगस्त 1990 में हुई. उन्होंने उत्तर प्रदेश के ज्यादा और उत्तराखंड के कुछ जिलों में काम किया. जालौन, मिर्जापुर, मुजफ्फरनगर और मेरठ के जिला मजिस्ट्रेट सहित विभिन्न पदों पर कार्य किया.

किसानों के बीच लोकप्रियता

उन्होंने इन चार जिलों में तीन लोकसभा और एक विधानसभा के लिए आम चुनावों में अपनी जिम्मेदारी निभाई. अप्रैल 2007 से अप्रैल 2012 तक केंद्र सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में निदेशक और बाद में संयुक्त सचिव के रूप में भी काम किया. संयुक्त सचिव, आरसीएच के रूप में पल्स पोलियो कार्यक्रम और सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम को संभाला और संयुक्त सचिव नीति के रूप में एनआरएचएम कार्यक्रम का संचालन किया. जून 2012 से अक्टूबर 2014 तक ऑयल इंडिया लिमिटेड के मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप जिम्मेदारी संभाली.

इसके अलावा यूपी के निवेश आयुक्त और नोएडा और ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में भी काम किया. लगभग 5 सालों तक दो कार्यकालों में उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव, कृषि के रूप में बड़ी जिम्मेदारी का हिस्सा बने. 2015 में वो कृषि सब्सिडी में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण का हिस्सा बने. उस समय इसकी देश में पहली बार शुरुआत की गई थी. उन्होंने बुंदेलखंड के लिए फार्म तालाब योजना जैसे कई नए कार्यक्रम शुरू किए. ये किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. इससे अतिरिक्त सिंचाई क्षमता बनाने और जल स्तर बढ़ाने में किसानों को काफी मदद मिली.

उन्होंने एग्री जंक्शन उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए मिलियन फार्मर्स स्कूल कृषि विस्तार के लिए एक अनूठा और अभिनव कार्यक्रम शुरू किया. यह हर साल दो बार आयोजित किया जाता है और हर स्टेज में दस लाख से अधिक किसानों को ट्रेनिंग दी जाती है. फरवरी 2020 से अगस्त 2022 तक चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में काम किया.

Retired Ias

कोरोना महामारी के समय किए ये बड़े काम

देश में महामारी की स्थिति के समय में उन्होंने इसके प्रबंधन के लिए कई उपायों की रणनीति बनाने और लागू करने में अहम भूमिका निभाई है. आईएस अधिकारी अमित मोहन ने ही तेजी से बड़े पैमाने पर कोविड वैक्सीन लगाने के लिए टीकाकरण का क्लस्टर मॉडल विकसित किया. उन्होंने बहुत से व्यवस्थागत सुधार किए, जिनमें विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए भर्ती नियम बनाना, उनके लिए एक अलग से ट्रेनिंग प्रभाग शुरू करना, 30 साल से अधिक समय के बाद 35 एएनएम प्रशिक्षण केंद्रों की फिर से शुरुआत, एक साल में 5000 नए स्वास्थ्य उपकेंद्र शुरू करना आदि विषयों पर काम किया.

Corona Virus

करियर के अंतिम समय में वो उत्तर प्रदेश सरकार के एमएसएमई, कपड़ा और खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद से रिटायर हुए. अब उन्हें संभल हिंसा मामले में न्यायिक जांच टीम का हिस्सा बनाया गया है.

कौन हैं रिटायर्ड IPS अरविंद कुमार जैन?

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन का जन्म 13 मार्च 1955 को हुआ था. उनके पिता का नाम जे. आर. जैन है. वो इतिहास विषय के अच्छे जानकार हैं. उन्होंने मॉर्डन हिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. उन्होंने अपनी पढ़ाई हल्द्वानी और मुरादाबाद से पूरा की. सिविल सर्विसेज की परीक्षा में उनका सेलेक्शन हुआ.

Retired Ips Officer Arvind Kumar Jain

अरविंद कुमार जैन 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. आईपीएस अरविंद कुमार जैन जनता के बीच लोकप्रिया अधिकारियों में से एक हैं. उनकी पहचान पब्लिक फ्रैंडली अधिकारियों में से एक है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उन्होंने अपराधिक घटनाओं पर नकेल कसी.

डीजी के पद से रिटायर हुए थे अरविंद कुमार

अरविंद कुमार जैन को 2012 में रेलवे में एडीजी के पद पर काम करने का मौका मिला. 2013 में ही उनका प्रमोशन डीजी के रूप में हुआ. उन्हें कामचोरी करने वाले अधिकारी बिल्कुल भी पसंद नहीं थे. अक्सर बातचीत के दौरान और काम के बीच इसका जिक्र किया करते थे. उनकी प्राथमिकता आम लोगों के लिए काम करने की रही है. अपनी कार्यकुशलता के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक जैसी अहम जिम्मेदारी सौंपी गई. वो डायरेक्टर जनरल के पद से रिटायर हुए. उन्हें संभल हिंसा में न्यायिक जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी है.


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