यूपी- एक हैं तो सेफ हैं, एक हैं तो जीत है…सीएम योगी के नारे से केशव मौर्य ने बनाई दूरी – INA

उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जीत मिली. विधानसभा उपचुनाव जीतने वाले बीजेपी गठबंधन के सातों विधायकों ने शुक्रवार को शपथ ली. इन्हें विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने विधानसभा की सदस्यता की शपथ दिलाई. इसके बाद उत्तर प्रदेश बीजेपी कार्यालय में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या, ब्रजेश पाठक मौजूद रहे.

यहां विधायकों को संबोधित करते हुए केशव प्रसाद मौर्या ने पीएम मोदी के नारे ‘एक हैं तो सेफ हैं, एक हैं तो जीत है’ को दोहराया वहीं सीएम योगी के चर्चित नारे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ से दूरी बनाई है.

केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि यह कहने में कोई संकोच नही है कि उपचुनाव के परिणाम ने 2027 का झंडा बुलंद कर दिया है. हमारे मुख्यमंत्री ने सभी विधानसभा में जनसभाएं की हैं. जिसका परिणाम सबके सामने है. 2027 में समाजवादी पार्टी को हम समाप्त वादी पार्टी बनाने का काम करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि सबको मैं कहना चाहता हूं, बीजेपी गठबंधन की विजय फर्जी पीडीए की हार है, राष्ट्रवाद की विजय है. हरियाणा से लेकर महाराष्ट्र तक चारों तरफ कमल खिल गया है.

योगी के नारे से मौर्या ने बनाई दूरी?

विधानसभा उपचुनाव के दौरान सीएम योगी का दिया गया नारा ‘बंटेंगे तो कंटेगे’ काफी चर्चा में रहा. महाराष्ट्र में जीत के बाद इसी नारे की चर्चा रही, लेकिन उत्तर प्रदेश में जीत के बाद भी डिप्टी सीएम का इस नारे पर न बोलना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है. सीएम योगी और केशव प्रसाद मौर्या के बीच अदावत की खबरें सामने आती रहती हैं, हालांकि दोनों नेताओं की तरफ से इस बारे में कभी खुलकर बात नहीं की गई है. अब एक बार फिर मौर्या ने योगी के नारे से दूरी बनाई है, जिसकी चर्चा होना लाजमी है.

सपा की नांव में हो गया छेद- मौर्या

केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि मोदी जी के नेतृव में योगी जी की अगुवाई में हम पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़े और जीते हैं. 2024 बीत चुका है. अभी से 2027 की तैयारी में लग जाइये. जिस क्षेत्र में 65% मुस्लिम मतदाता हों वहां पर भी भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई है. मतलब साफ है कि वहां की जनता ने संदेश दे दिया कि सपा खत्म हो चुकी है. सपा की नांव में ऐसा होल हुआ है, उसमें जो भी बैठता है वह डूब जाता है. कटेहरी से कुंदरकी-शिशामऊ से करहल में 2027 में हम कमल खिलाएंगे.


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