खबर शहर , Agra : पर्यावरणविद् डॉ. अनिल प्रकाश जोशी की उद्योगपतियों से अपील- प्रकृति के संरक्षण के लिए मुहिम चलाएं – INA

Environmentalist Dr. Anil Joshi's appeal to industrialists - run a campaign to conserve nature

डॉ. अनिल प्रकाश जोशी

– फोटो : सोशल मीडिया

पद्म भूषण, पद्मश्री से सम्मानित मशहूर पर्यावरणविद् डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने प्रकृति के संरक्षण के लिए उद्योगपतियों से मुहिम चलाने की अपील की है। शनिवार को वह आगरा आए। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने कहा कि जिस तरह उद्योगपतियों ने विकास और रोजगार से क्रांति लाई, उसी तरह पानी, हवा और मिट्टी को बचाने के सामाजिक जिम्मेदारी निभाएं।

उन्होंने कहा सरकार असहाय है। उद्योगों ने प्रकृति को सबसे ज्यादा भोगा है। इसलिए अब उद्योगपति ‘जो भोगे सो जोड़े’ मुहिम चलाएं। उन्होंने कहा कि उन पर पर्यावरण संरक्षण का दबाव है। सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) के तहत वह नदियों को पुनर्जीवित कर सकते हैं। जैविक उत्पादन को प्रोत्साहित कर मिट्टी खराब होने से बचा सकते हैं। उन्होंने कहा हवा को साफ रखने के लिए नए उपाय करें। दिवाली, होली व पराली से ही हवा खराब होती है। बिडंबना देखिए, राजस्थान में चारे की कमी है और पंजाब में पराली जलती है। पंजाब में पराली से ग्रिड बना रहे हैं।
जलस्रोतों को सुरक्षित बनाएं
डॉ. जोशी ने यमुना नदी में अविरलता के लिए उद्योगपतियों से अपील की है कि यमुना और उसकी सहायक नदियों को पहले संरक्षित किया जाए। फिर अन्य जलस्रोतों को सुरक्षित बनाएं। इससे यमुना में पानी बढ़ेगा। पानी बढ़ेगा तो पेड़ और मिट्टी बेहतर होगी। 
प्रकृति संरक्षण का विजन बनाएं
पर्यावरणविद् डॉ. जोशी ने कहा कि कॉरपोरेट पैसा कमा रहा है। जनता के प्रति उनकी जिम्मेदारी है। सीएसआर के पास कोई विजन नहीं है। हम चाहते हैं कि उद्योगपति प्रकृति संरक्षण का विजन बनाएं। इस प्रयोग के परिणाम सुखद होंगे। समाज को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।

पद्म भूषण, पद्मश्री से सम्मानित मशहूर पर्यावरणविद् डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने प्रकृति के संरक्षण के लिए उद्योगपतियों से मुहिम चलाने की अपील की है। शनिवार को वह आगरा आए। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने कहा कि जिस तरह उद्योगपतियों ने विकास और रोजगार से क्रांति लाई, उसी तरह पानी, हवा और मिट्टी को बचाने के सामाजिक जिम्मेदारी निभाएं।

उन्होंने कहा सरकार असहाय है। उद्योगों ने प्रकृति को सबसे ज्यादा भोगा है। इसलिए अब उद्योगपति ‘जो भोगे सो जोड़े’ मुहिम चलाएं। उन्होंने कहा कि उन पर पर्यावरण संरक्षण का दबाव है। सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) के तहत वह नदियों को पुनर्जीवित कर सकते हैं। जैविक उत्पादन को प्रोत्साहित कर मिट्टी खराब होने से बचा सकते हैं। उन्होंने कहा हवा को साफ रखने के लिए नए उपाय करें। दिवाली, होली व पराली से ही हवा खराब होती है। बिडंबना देखिए, राजस्थान में चारे की कमी है और पंजाब में पराली जलती है। पंजाब में पराली से ग्रिड बना रहे हैं।
जलस्रोतों को सुरक्षित बनाएं
डॉ. जोशी ने यमुना नदी में अविरलता के लिए उद्योगपतियों से अपील की है कि यमुना और उसकी सहायक नदियों को पहले संरक्षित किया जाए। फिर अन्य जलस्रोतों को सुरक्षित बनाएं। इससे यमुना में पानी बढ़ेगा। पानी बढ़ेगा तो पेड़ और मिट्टी बेहतर होगी। 
प्रकृति संरक्षण का विजन बनाएं
पर्यावरणविद् डॉ. जोशी ने कहा कि कॉरपोरेट पैसा कमा रहा है। जनता के प्रति उनकी जिम्मेदारी है। सीएसआर के पास कोई विजन नहीं है। हम चाहते हैं कि उद्योगपति प्रकृति संरक्षण का विजन बनाएं। इस प्रयोग के परिणाम सुखद होंगे। समाज को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।


Credit By Amar Ujala

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