खबर शहर , UP: निजीकरण के लिए डर का माहौल बना रहा यूपीपीसीएल…संघर्ष समिति का आरोप, कहा- हो रही घोटाले की साजिश – INA

UPPCL is creating an atmosphere of fear for privatization Struggle committee's allegation scam conspiracy

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बिजली घर। संवाद

दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (डीवीवीएनएल) को निजी हाथों में सौंपने की कवायद के बीच विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संषर्ष समिति ने सोमवार को यूपी पॉवर कॉरपोरेशन के प्रबंधन पर निजीकरण के लिए डर का माहौल बनाने और झूठ फैलाने के आरोप लगाए हैं। वहीं, 6 दिसंबर को अभियंता संघ ने प्रबंध निदेशक कार्यालय पर विरोध सभा का एलान किया है।
दक्षिणांचल को दो कंपनियों में बांटा जाएगा। एक कंपनी के हिस्से में आगरा, अलीगढ़ व मथुरा क्षेत्र आएगा। जबकि दूसरी को बांदा, झांसी, कानपुर देहात की कमान मिल सकती है। निजीकरण पीपीपी मॉडल पर हुआ तो 50 फीसदी कर्मियों की छंटनी हो सकती है। संयुक्त संघर्ष समिति संयोजक शैलेंद्र दुबे के अनुसार निजीकरण के पीछे घोटाले की साजिश है। निजीकरण के विरोध में यूपी के अभियंताओं को पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर के अभियंताओं ने समर्थन दिया है। आरोप हैं कि प्रबंधन अपनी नाकामियां छिपाने के लिए निजीकरण पर जोर दे रहा है। प्रबंधन की निजी कंपनियों के मालिकों से सांठगांठ हैं। संयोजक ने कहा प्रबंधन को हटा दिया जाए। एक साल में दक्षिणांचल व पूर्वाचल घाटे से मुनाफे में आ जाएंगे।
इधर, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रभात सिंह का कहना है कि 6 दिसंबर को सभी अभियंताओं व कर्मियों की सभा बुलाई है। निजीकरण का विरोध करेंगे। हजारों कर्मियों की छंटनी का विरोध होगा। बिजली बिल माफी, क्रॉस सब्सिडी व अन्य तरह से मुफ्त की रेवड़ियां बांटना बंद कर दें तो वितरण निगम घाटे में नहीं रहेंगे। उधर, निजीकरण को लेकर उठ रहे विरोध और आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए शासन ने जिलाधिकारियों को रणनीति बनाने के निर्देश दिए हैं।
डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने बताया कि विद्युत आपूर्ति बाधित नहीं होने दी जाएगी। किसी तरह की तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए। कोई भी समस्या है तो उसे सुना जाएगा। समन्वय के साथ समाधान होगा। कानून व्यवस्था से किसी तरह का खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।
 

दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (डीवीवीएनएल) को निजी हाथों में सौंपने की कवायद के बीच विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संषर्ष समिति ने सोमवार को यूपी पॉवर कॉरपोरेशन के प्रबंधन पर निजीकरण के लिए डर का माहौल बनाने और झूठ फैलाने के आरोप लगाए हैं। वहीं, 6 दिसंबर को अभियंता संघ ने प्रबंध निदेशक कार्यालय पर विरोध सभा का एलान किया है।
दक्षिणांचल को दो कंपनियों में बांटा जाएगा। एक कंपनी के हिस्से में आगरा, अलीगढ़ व मथुरा क्षेत्र आएगा। जबकि दूसरी को बांदा, झांसी, कानपुर देहात की कमान मिल सकती है। निजीकरण पीपीपी मॉडल पर हुआ तो 50 फीसदी कर्मियों की छंटनी हो सकती है। संयुक्त संघर्ष समिति संयोजक शैलेंद्र दुबे के अनुसार निजीकरण के पीछे घोटाले की साजिश है। निजीकरण के विरोध में यूपी के अभियंताओं को पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर के अभियंताओं ने समर्थन दिया है। आरोप हैं कि प्रबंधन अपनी नाकामियां छिपाने के लिए निजीकरण पर जोर दे रहा है। प्रबंधन की निजी कंपनियों के मालिकों से सांठगांठ हैं। संयोजक ने कहा प्रबंधन को हटा दिया जाए। एक साल में दक्षिणांचल व पूर्वाचल घाटे से मुनाफे में आ जाएंगे।
इधर, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रभात सिंह का कहना है कि 6 दिसंबर को सभी अभियंताओं व कर्मियों की सभा बुलाई है। निजीकरण का विरोध करेंगे। हजारों कर्मियों की छंटनी का विरोध होगा। बिजली बिल माफी, क्रॉस सब्सिडी व अन्य तरह से मुफ्त की रेवड़ियां बांटना बंद कर दें तो वितरण निगम घाटे में नहीं रहेंगे। उधर, निजीकरण को लेकर उठ रहे विरोध और आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए शासन ने जिलाधिकारियों को रणनीति बनाने के निर्देश दिए हैं।
डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने बताया कि विद्युत आपूर्ति बाधित नहीं होने दी जाएगी। किसी तरह की तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए। कोई भी समस्या है तो उसे सुना जाएगा। समन्वय के साथ समाधान होगा। कानून व्यवस्था से किसी तरह का खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।
 


Credit By Amar Ujala

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