खबर फिली – जग में रह गए प्यारे उनके बोल….शारिब हाशमी से लेकर सुधांशु पांडे तक फिल्म इंडस्ट्री ने दिया राज कपूर को ट्रिब्यूट – #iNA @INA

आज यानी 14 दिसंबर को भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के शोमैन राज कपूर की 100वीं जयंती है. राज कपूर के 100वें जन्मदिन के खास मौके पर कपूर परिवार और पूरी इंडस्ट्री इंडस्ट्री के इस महान एक्टर को यादगार ट्रिब्यूट दे रही है. 13 दिसंबर से लेकर 16 दिसंबर तक राज कपूर की 10 फिल्में कुछ थिएटर में फिर से रिलीज कर दी गई हैं. हाल ही में टीवी9 हिंदी डिजिटल ने भी फिल्म इंडस्ट्री के कुछ सेलिब्रिटी से ‘शोमैन’ राज कपूर के बारे में बात करने की कोशिश की, तो आइए एक नजर डालते हैं कि आपके पसंदीदा सेलिब्रिटी राज कपूर किस तरह से याद करना चाहते हैं.

शारिब हाशमी

‘द फैमिली मैन’ फेम शारिब हाशमी ने कहा,”मैं राज कपूर की फिल्म ‘श्री 420’ आज भी बहुत एन्जॉय करता हूं. इस फिल्म का एक सीन मुझे बेहद पसंद है, एक पार्टी चल रही है और मोतीलाल का बटवा कही खो जाता है. फिर वहां पर हीरो उन्हें ये बटवा दे देता है और फिर एक डायलॉग है कि ये सारे अमीर लोग हैं, जिन्होंने बटवा देखा तो था. लेकिन उठाना जरूरी नहीं समझा. जिस तरह से समाज पर वो बातें करते थे, आज-कल की फिल्मों में इस तरह से बातें नहीं होतीं. सिनेमैटिक हो या सामाजिक रूप से हो, उनकी फिल्में बहुत संपन्न थीं. उनकी इस स्टाइल के लिए मैं उन्हें हमेशा याद करूंगा.

पूनम ढिल्लों

पूनम ढिल्लों बोली,”मैंने राज कपूर के साथ फिल्में नहीं की. लेकिन मैंने उनके बैनर के तहत बनी फिल्म में काम किया है. जब भी मैं उनसे या कपूर परिवार में से किसी से बात करती थीं. हमारी बातें पंजाबी में ही शुरू हो जाती थीं. जितनी पंजाबी मैंने चंडीगढ़ में नहीं बोली थी, उतनी पंजाबी मैंने मुंबई में बोली. सभी ने कहा कि वो लीजेंडरी एक्टर हैं. लेकिन वो एक शानदार होस्ट भी थे, उनकी मेहमान नवाजी कमाल की थी. राज अंकल और कृष्णा आंटी का वो रूप भी मैंने देखा है, उनकी यादों को मैं हमेशा सेलिब्रेट करूंगी.”

सुधांशु पांडे

‘अनुपमा’ के ‘वनराज’ एक्टर सुधांशु पांडे ने कहा कि जब से मैंने होश संभाला है, तब से मैंने देखा कि मेरे माता-पिता हमें वी शांताराम या राज कपूर साहब की फिल्में दिखाते थे. मैं कमर्शियल सिनेमा देखकर नहीं राज कपूर साहब की फिल्में देखकर बड़ा हुआ हूं. जैसे की ‘आग’, ‘बरसात’ और ‘श्री420’. मैं नैनीताल में रहता था और मुझे याद है कि हम वहां के ‘कैपिटल सिनेमा’ या फिर ‘अशोक’ सिनेमा में चल कर जाते थे, राज कपूर साहब की फिल्में देखने के लिए. शायद मेरे अंदर जो सिंगिंग का टैलेंट तैयार हुआ, वो शायद राज कपूर साहब की फिल्में देखकर ही हुआ था. उनकी आवाज मेरे अभी भी कानों में गूंजती है. मेरा पूरा बचपन उनकी यादों से भरा हुआ है. उनका गाना ‘सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है.’ उनका ये गाना मेरे जिंदगी की फिलोसोफी है.

प्रबल बरुआह

ज़ी5 की वेब सीरीज ‘खोज’ के निर्देशकप्रबल बरुआह ने कहा,”मेरा पूरा बचपन राज कपूर साहब की यादों से सजा हुआ है. आपको फिल्म इंडस्ट्री में शायद ऐसा कोई मिलेगा, जिसने राज कपूर साहब की फिल्में न देखी हो. मेरे लिए वो किसी फिल्म इंस्टीट्यूट से कम नहीं थे. मेरी राज कपूर की जो सबसे पसंदीदा फिल्म है, वो है ‘तीसरी मंजिल’. हालांकि उनकी ये फिल्म राज कपूर की और फिल्मों के मुकाबले इतनी फेमस नहीं थी. भले ही इस फिल्म ने कमर्शियल लेवल पर ज्यादा बिजनेस नहीं किया हो. लेकिन मैंने इस फिल्म से बहुत कुछ सीखा है. मैं जब भी वो फिल्म देखता हूं, मुझे कुछ नई बात सिखाने मिलती है.

पद्मिनी कोल्हापुरे

पद्मिनी कोल्हापुरे को राज कपूर ने दो बार लॉन्च किया था. एक बार बतौर चाइल्ड एक्टर पद्मिनी राज कपूर की फिल्म से लॉन्च हुई थीं और दूसरी बार बतौर लीड एक्ट्रेस भी पद्मिनी कोल्हापुरे को राज कपूर के बैनर तहत लॉन्च किया गया था. हाल ही में पद्मिनी कोल्हापुरे ने राज कपूर को याद करते हुए कहा कि राज कपूर हमेशा नई चीज सीखने के लिए तैयार होते थे. इसलिए उनकी फिल्में अपने जमाने से आगे की होती थीं. मैंने हमेशा सोचती थी कि अगर मैं कभी फिल्म का निर्देशन करती, तो मैं सीधे राज कपूर की ही स्टाइल अपनाती.


Source link

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science