खबर मध्यप्रदेश – फर्जीवाड़े के 33 साल… रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी में फर्जी नियुक्ति से करोड़ों की चपत – INA

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में अब तक का सबसे बड़ा फर्जी भर्ती घोटाला सामने आया है. विश्वविद्यालय में अवैध तरीके से नियुक्ति का मामला सामने आया है. जानकारी के मुताबिक, करीब 70 लोगों को अवैध तरीके से विभिन्न पदों पर नौकरी किया गया है. इस घोटाले के खुलासे के बाद उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय प्रशासन में हड़कंप मजा हुआ है. अवैध तरीके से विभिन्न पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया करीब 30 साल से चल रही है. जिस पर उच्च शिक्षा विभाग ने संज्ञान लिया है.

जानकारी के मुताबिक. घोटाले की शुरुआत 1991 में हुई, जब शासन की स्वीकृति के बिना ही विभिन्न पदों पर नियुक्तियां कर दी गई थीं. इन फर्जी नियुक्तियों के जरिए अधिकारी से लेकर चपरासी तक के पदों पर लोगों को अवैध रूप से नौकरी दी गई. इनमें ओएसडी के 4, अनुभाग अधिकारी के 7, अधीक्षक के 12, सहायक ग्रेड-1 और ग्रेड-2 के 24, ऑफिस बॉय के 15 और चपरासी के 4 पद शामिल हैं. इस अवैध भर्ती घोटाले के कारण राज्य को अब तक 252 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. यह राशि फर्जी नियुक्तियों के तहत कार्यरत कर्मचारियों को वेतन और अन्य भत्तों के रूप में दी गई.

उच्च शिक्षा विभाग ने निरस्त की नियुक्तियां

घोटाले की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि इनमें से कई कर्मचारी अपनी नौकरी के दौरान रिटायर हो चुके हैं. वहीं कुछ को पेंशन भी मिल रही है और कुछ की मृत्यु भी हो चुकी है. उच्च शिक्षा विभाग ने इन विवादित नियुक्तियों को निरस्त कर दिया है. हालांकि उन कर्मचारियों से धन की वसूली करना लगभग असंभव बताया जा रहा है जिन्होंने वर्षों तक अवैध तरीके से वेतन और भत्ते प्राप्त किए.

रजिस्ट्रार ने कही ये बात

विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि वो शासन के निर्देशों का पालन कर रहे हैं. आरडीवीवी के रजिस्ट्रार राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि मैंने दो दिन पहले ही पदभार संभाला है. शासन के जो भी निर्देश होंगे, उनका पालन किया जाएगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय प्रशासन मामले की जांच में पूरा सहयोग करेगा. वहीं घोटाले के उजागर होने के बाद उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.

फर्जी नियुक्ति से करोड़ों की चपत

विशेषज्ञों का मानना है कि इतने लंबे समय तक फर्जी नियुक्तियां और वेतन भुगतान सिर्फ मिलीभगत के कारण ही संभव हो सका. जब घोटाला सामने आ गया है तो इसके प्रभाव और समाधान पर ध्यान देना जरूरी है. पेंशन प्राप्त कर रहे रिटायर्ड कर्मचारियों और मृतकों के परिवारों से धन की वसूली करना मुश्किल है. इसके साथ ही, जो लोग वर्तमान में नौकरी कर रहे हैं उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. इस खुलासे के बाद शिक्षा विभाग से लेकर विश्वविद्यालय में हड़कंप मचा है.


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