खबर मध्यप्रदेश – ‘बच्चा एक ही हो, लेकिन कट्टर हिंदू हो’… ऐसा क्यों बोल गए बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री? – INA

मध्य प्रदेश में बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री एक बार फिर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं. इस बार उन्होंने हिन्दू परिवारों में बच्चों की संख्या को लेकर बयान दिया है. कहा कि कम बच्चे होने से परिवार का विखंडन हो रहा है. ऐसे हालात में बच्चों को ना तो चाचा का सुख मिल रहा है और ना ही मौसी या बुआ का. इस लिए परिवार में कम से कम चार बच्चे तो होने ही चाहिए. इस दौरान उन्होंने बच्चों की क्वालिटी और क्वांटिटी की चर्चा करते हुए कहा कि बच्चा भले ही एक हो, लेकिन वह कट्टर हिन्दू होना चाहिए.

बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री इस समय मध्य प्रदेश में शिवपुरी जिले के करैरा में श्रीमद्भागवत कथा कर रहे हैं. कथा के क्रम में उन्होंने मंगलवार की दोपहर 1 बजे रामराजा गार्डन में एक पत्रकारों से बात की. उन्होंने कहा कि बच्चों की संख्या उतनी महत्वपूर्ण नहीं है. घर में बच्चा भले ही एक हो, लेकिन वह कट्टर हिन्दू होना चाहिए. इसी के साथ कहा कि बच्चे कम होने से परिवार छोटे होते जा रहे हैं. ऐसे बच्चों को ना तो चाचा का सुख मिल रहा है और ना ही मौसी या बुआ का प्यार.

देश संविधान से चलेगा, ना कि बाबा के ज्ञान से

इसलिए हर आदमी को कम से कम चार बच्चे तो होने ही चाहिए. इस मौके पर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि देश में किसी भी सभ्य नागरिक के लिए भय का माहौल नहीं बनाया जा रहा है. इसलिए मुसलमानों को भी देश छोड़कर जाने की जरूरत नहीं है. यह देश संविधान से चलता है और आगे भी संविधान से ही चलेगा, ना कि बाबा के ज्ञान से. उन्होंने देश की आजादी में मुसलमानों के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि उन्हें भी इस देश में बराबर का अधिकार हासिल है. इसलिए यह बात सभी के लिए लागू होती है कि कायदे से रहोगे तो फायदे में रहोगे.

वृंदावन से दिल्ली की पदयात्रा अगले साल

उन्होंने कहा कि अब तक संविधान में 125 बार संशोधन हो चुके हैं. अब यदि देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए एक बार और संशोधन करना पड़ा तो इसमें कोई दिक्कत नहीं होगी. इस बातचीत के दौरान उन्होंने अपनी अगली यात्रा का खुलासा किया. कहा कि वह 2025 में वृंदावन से दिल्ली की पद यात्रा करेंगे. यह यात्रा संपूर्ण हिन्दू समाज को एकजुट करने के लिए होगी. कहा कि अभी तीन दिन पहले ही वह जनजागृति यात्रा निकाले थे. यह यात्रा लोगों के बीच भेदभाव व छुआछूत से मुक्ति के लिए थी.


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