खबर बाजार -Vodafone Idea: वोडाफोन आइडिया 10 महीने में हो सकती है दिवालिया, 59 लाख शेयरधारकों में मच सकता है हड़कंप – #INA

Vodafone Idea Shares: भारत की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया ने खतरे की घंटी बजा दी है। कंपनी इस समय ऐसे नाजुक मोड़ पर आ गई है, जहां से उसके एक साल के अंदर दिवालिया होने के खतरे आ गए हैं। वोडाफोन आइडिया ने खुद केंद्र सरकार को साफ-साफ चेतावनी दी है कि अगर उसे सरकारी मदद नहीं मिली… तो वह इसी वित्त वर्ष 2025-26 के बाद अपना कारोबार जारी नहीं रख पाएगी। और अंत में उसे थक हारकर अपने ही खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के लिए NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल) का दरवाजा खटखटाना पड़ सकता है।
जी हां, करीब 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया अब कह रही है कि अगर सरकार ने हाथ खींचा, तो उसका भविष्य खत्म हो जाएगा। वोडाफोन आइडिया अगर बैठी तो इसका असर सिर्फ कंपनी तक ही नहीं, बल्कि इसके लाखों शेयरधारकों, 16 करोड़ से ज्यादा मोबाइल ग्राहक, इसके तमाम वेंडर्स सहित पूरे टेलीकॉम सेक्टर पर भी पड़ेगा।
क्या है वोडाफोन आइडिया का यह नया संकट?
वोडाफोन आइडिया ने कहा है कि उसे अपना कारोबार चलाने के लिए सरकार से तत्काल मदद की जरूरत है। अगर उसे यह मदद नहीं मिली तो सरकार ने कंपनी में जो इक्विटी हिस्सेदारी ली है, उसकी वैल्यू घटकर जीरो हो जाएगी। साथ ही इसके चलते 1.18 लाख करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम बकाया की वसूली भी नहीं हो पाएगी।
वोडाफोन आइडिया ने दावा किया कि उसे अपने वित्तीय सेहत को सुधारने के लिए करीब 26,000 करोड़ रुपये का इक्विटी फंड जुटाया, साथ ही सरकार को बकाये की राशि के बदले कंपनी में इक्विटी हिस्सेदारी दी। वोडाफोन आइडिया ने कहा कि इन सारे उपायों को करने के बावजूद उसे बैंकों की ओर से कोई मदद नहीं मिल रहा है। वोडाफोन आइडिया ने कहा कि अब उसे बैंकों से फंडिंग पाने के लिए सरकार से मदद चाहिए। अगर सरकार से मदद नहीं मिली तो उसे बैंकों से फंडिंग नहीं मिल पाएगी और ऐसी सूरत में कंपनी का कामकाज मौजूदा वित्त वर्ष 2026 के बाद ठप हो जाएगा।
NCLT में जाना हो सकता है आखिरी रास्ता
वोडाफोन आइडिया ने कहा कि सरकारी मदद के बिना कंपनी अपने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की बकाया राशि को चुका पाने में भी नाकाम रह सकती है, जिसके चलते उसे दिवालियापन के लिए NCLT के पास जाना पड़ सकता है और फिर इस कानूनी प्रक्रिया में लंबा समय लग सकता है।
वोडाफोन आइडिया अगर NCLT में जाती है तो कंपनी के 16 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। टेलीकॉम इंडस्ट्री में कॉम्पिटीशन भी कम हो जाएगा, जिससे ग्राहकों के पास अब पहले से भी कम विकल्प बचेंगे।
59 लाख छोटे शेयरधारक पर पड़ेगा असर?
इसके अलावा जिन लाखों शेयरधारकों ने कंपनी के शेयरों में पैसा लगाया है, वे भी इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं। मार्च तिमाही तक के आंकड़ों के मुताबिक, वोडाफोन आइडिया में 59 लाख से अधिक छोटे शेयरधारक हैं। या यूं कहें कि ऐसे शेयरहोल्डर हैं जिनकी कुल शेयर कैपिटल 2 लाख रुपये से कम है। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों भी कंपनी में 6.5% हिस्सेदारी रखते हैं, लेकिन इनमें से कोई भी निवेशक ऐसा नहीं है, जिसके पास कंपनी में 1% से अधिक हिस्सेदारी हो।
10 साल में 94% टूटा पैसा
वोडाफोन आइडिया के कई शेयरधारक ऐसे भी है, जो कंपनी में लंबे समय से पैसे हुए हैं। साल 2015 में वोडाफोन आइडिया के शेयर 100 रुपये से अधिक के भाव पर कारोबार कर रहे थे। लेकिन आज इसके शेयरों का भाव घटकर 7.35 रुपये पर आ गया है। यानी पिछले 10 सालों में वोडाफोन आइडिया ने अपने शेयरधारकों की वैल्यू करीब 94 फीसदी तक डूबा दी है। फिलहाल कंपनी की मार्केट वैल्यू करीब 80,000 करोड़ रुपये है।
वोडोफान आइडिया ने हाल ही में अपनी स्पेक्ट्रम बकाये को इक्विटी में बदलकर सरकार को हिस्सेदारी दी थी। कंपनी में अब सरकार के पास 49% इक्विटी हिस्सेदारी है। लेकिन इस इक्विटी हिस्सेदारी के बावजूद, वोडाफोन आइडिया पर अभी भी सरकार का एजीआर और स्पेक्ट्रम का करीब 1.95 लाख करोड़ रुपये बकाया है।
वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार
इस सबके बीच वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में भी एक नई याचिका दाखिल की है। कंपनी ने अपनी याचिका में 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के AGR जुर्माने और ब्याज को माफ करने की मांग की है। कंपनी का कहना है कि “सरकार अब खुद हमारी पार्टनर है, तो ऐसे में AGR पर कोर्ट का पहले वाला रुख अब तर्कसंगत नहीं है।” कंपनी ये भी दावा कर रही है कि AGR पर सुप्रीम कोर्ट का पिछला फैसला सरकार को राहत देने से रोक रहा है।\
कंपनी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई की मांग की है, जिस पर उसने 19 मई की तारीख मिली है। यही वो दिन हो सकता है जब तय होगा कि वोडाफोन आइडिया आखिर बचेगी या बिखर जाएगी?
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