खबर फिली – Pushpa 2: कहानी से एक्शन तक, ये हैं अल्लू अर्जुन की ‘पुष्पा 2’ देखने की 5 वजहें – #iNA @INA

Pushpa 2: अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा 2 के रिलीज होने के 5 दिन पहले ही इस फिल्म के लिए एडवांस टिकट बुकिंग शुरू हो गई थी और सिर्फ आंध्र प्रदेश-तेलंगाना में ही नहीं, बल्कि पूरे इंडिया में ये फिल्म फर्स्ट डे पर हाउसफुल हो गई. आखिर पुष्पा 2 में ऐसी क्या बात है, जो ऑडियंस इसे देखने के लिए ऑफिस से भी छुट्टी ले रही है. तो आइए इस बारे में विस्तार से बात करते हैं कि अल्लू अर्जुन की फिल्म में आखिर कौन सा फॉर्म्युला इस्तेमाल हुआ है, जिसने लोगों को अपना दीवाना बना दिया.

अल्लू अर्जुन: ‘पुष्पा 2’ अल्लू अर्जुन की दूसरी पैन इंडिया फिल्म है. लेकिन इस फिल्म के रिलीज होने से पहले से ही हिंदी ऑडियंस में भी वो बहुत लोकप्रिय थे और इसकी वजह है उनकी सैटेलाइट चैनल और यूट्यूब पर रिलीज होने वाली हिंदी में डब की हुई फिल्में. जो ऑडियंस अल्लू अर्जुन को पुष्पा 1 के बाद जानने लगी है, उन्होंने भी पिछले 2 सालों में अल्लू अर्जुन की फिल्में ओटीटी, यूट्यूब पर देख ली हैं और यही वजह है कि अल्लू अर्जुन खुद एक पैन इंडिया ब्रांड बन गए हैं. अल्लू अर्जुन का ये क्रेज ऑडियंस को थिएटर तक खींच लाता है और फिर अल्लू अर्जुन की एक्टिंग उन्हें निराश नहीं करती.

दमदार कहानी

साल 2021 में जब पुष्पा रिलीज हुई थी, तब ये फिल्म तो खूब चली थी. लेकिन इस फिल्म की कहानी, पुष्पा के किरदार और उसके रवैये को लेकर कुछ लोगों ने इसकी आलोचना भी की थी. फिल्म को मिली सफलता के बाद मेकर्स इसे नजरअंदाज कर सकते थे. लेकिन ‘पुष्पा 2’ में उन्होंने बता दिया कि उन कुछ लोगों ने ‘पुष्पराज’ को गलत समझा था. ‘वाइल्ड फायर’ होने के बावजूद पुष्पा महिलाओं के लिए एक जेंटलमैन है. मनोरंजन से भरपूर इस कहानी में एक्शन, इमोशन और कॉमेडी का सही से इस्तेमाल करते हुए निर्देशक सुकुमार एक अच्छी मसालेदार हैदराबादी बिरयानी ऑडियंस के सामने पेश करते हैं.

कॉमेडी में ट्रैजेडी और ट्रैजेडी में कॉमेडी

कई बार साउथ के फिल्ममेकर्स अपने हीरो को ‘लार्जर दैन लाइफ’ दिखाने के लिए अपनी फिल्मों को इतना डार्क बना देते हैं कि इंसान बोर हो जाता है. ये बोरियत सलार और कल्कि के समय महसूस हुई थी. अगले पार्ट के चक्कर में मेकर्स पहला पार्ट जिस तरह से खींचते हैं, वैसी कोशिश पुष्पा 2 में बिल्कुल भी नहीं हुई है. इस फिल्म में जब ड्रामा होता है तो उसके साथ थोड़ी कॉमेडी भी आ जाती है. कॉमेडी का ये तड़का ट्रैजेडी को भी इंटरेस्टिंग बना देता है.

इस फिल्म का तो वायलेंस भी सही है

पुष्पा 2 में हर साउथ फिल्म की तरह खूब हिंसा दिखाई गई है. इस फिल्म में भी एनिमल, दसरा और सलार की तरह गुंडों के हाथ-पैर काटे गए हैं. लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार जब हम पर्दे पर वायलेंस देखते हैं तब हमारी आंखें बंद नहीं होती, हमें उन्हें देखकर घिन नहीं आती. हम खुश हो जाते हैं, हम गुस्से से ये बोल देते हैं कि और मारो. पर्दे पर हिंसा देख हम तालियां बजाने लगते हैं, क्योंकि इसके पीछे एक कारण है. सुकुमार अपने हीरो के साथ अपनी ऑडियंस को भी गुस्सा होने का कारण देते हैं, जिस वजह से पर्दे पर हो रही हिंसा हमें सही लगती है.

निर्देशन और एक्शन

एक्टर्स के साथ-साथ इस फिल्म को देखने की एक बड़ी वजह निर्देशक सुकुमार भी हैं. सुकुमार शुरुआत से लेकर आखिर तक हमें इस फिल्म से बांधे रखते हैं और ये फिल्म 3 घंटे 20 मिनट की है. 200 मिनट तक ऑडियंस को अपने साथ कनेक्ट करना आसान बात नहीं है. लेकिन सुकुमार वो कर दिखाते हैं. सुकुमार ने अपनी फिल्म में जो एक्शन दिखाया है, उसमें एक नयापन है. उनके आइडियाज बाकियों से अलग होते हैं. अल्लू अर्जुन का ‘पुष्पा 2’ वाइल्ड फायर होने की एक बड़ी वजह ये भी है कि जहां बाकी फिल्ममेकर्स की सोच खत्म होती है, वहां सुकुमार का काम शुरू होता है.


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