खबर फिली – Throwback Thursday: कपूर खानदान का सुपरस्टार जो सिखाता था मोहम्मद रफी को गाना, एक्टिंग ही नहीं डांसिंग और सिंगिंग में भी था मास्टर – #iNA @INA
60 के दशक तक आते-आते बॉलीवुड काफी बदल गया था. अब लोगों को कुछ और चाहिए था. कुछ ऐसा जो उन्होंने फिल्मों में आज तक ना देखा हो. वैसे तो हर दशक में ही फिल्मों में बदलाव हुए हैं, लेकिन 60 के दशक वाले हीरो केवल एक्टिंग ही नहीं करते थे. अब पब्लिक उन्हें नाचते हुए भी देखना चाहती थी. ऐसे में एक ऐसा कलाकार आया जिसने हिंदी सिनेमा के इस दशक को और भी ज्यादा यादगार बना दिया. ये वही दौर था जब एक ऐसा सितारा पर्दे पर दिखा जिसने लोगों को ये बताया कि ब्रेक डांस क्या होता है?
कपूर खानदान की दूसरी जेनरेशन, लोगों के दिलों पर ऐसी छाई की लोग आज तक उन्हें याद करते हैं. पृथ्वीराज कपूर के तीनों बेटों ने कपूर खानदान की विरासत को सबसे शानदार तरीके से आगे बढ़ाया. पृथ्वीराज कपूर के तीन बेटे थे, राज कपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर, और इन तीनों ने ही हिंदी सिनेमा को अपने समय का सबसे बहतरीन सिनेमा दिया. लेकिन आज हम आपको जिसके बारे में बताने जा रहे हैं वो हैं शम्मी कपूर.
शम्मी कपूर अपने समय के ना सिर्फ एक बेहतरीन एक्टर थे बल्कि एक शानदार डांसर भी. लेकिन कई लोग शम्मी कपूर को गुड डांसर के साथ गुड सिंगर भी बताते हैं. शम्मी कपूर के ऊपर मोहम्मद रफी की आवाज सबसे ज्यादा सूट करती थी और उनकी ज्यादातर फिल्मों में रफी साहब ने ही अपनी आवाज दी थी. लेकिन फीमेल सिंगर आशा भोसले से जुड़ा भी एक किस्सा है. आशा ने एक बार एक इंटरव्यू में बताया था कि किस तरह शम्मी कपूर, मोहम्मद रफी को गाने का तरीका बता रहे थे. वो तरीका रफी तो सीख नहीं पाए, लेकिन आशा ने उसे सीख लिया.
आशा भोसले ने सुनाया किस्सा
ये किस्सा 1964 में रिलीज हुई फिल्म ‘कश्मीर की कली’ से जुड़ा हुआ है. उस गाने का नाम ‘हाय रे हाय ये मेरे हाथ में तेरा हाथ’ था और इसकी रिकॉर्डिंग का एक किस्सा आशा भोसले ने एक इंटरव्यू में सुनाया. आशा ने बताया कि शम्मी कपूर अक्सर रिकॉर्डिंग में आते थे. इस फिल्म के गाने की रिकॉर्डिंग में भी वो आए थे, जब रफी साहब और आशा जी गाने को रिकॉर्ड कर रहे थे. आशा बताती हैं कि उन दोनों को गाता देखकर शम्मी वहां पर बैठ गए और फिर रफी को बताने लगे कि उन्हें गाना कैसे गाना चाहिए.
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आशा भोसले ने आगे कहा कि शम्मी बहुत अच्छा गाते थे, तो वो सिंगर्स को अक्सर बताते रहते थे कि उन्हें किस लय में गाना चाहिए जिससे गाना और बहतर हो. आशा ने आगे बताया कि उस दिन शम्मी कपूर, रफी साहब को भी लय के बारे में बता रहे थे. हालांकि, रफी साहब उस लय को नहीं सीख पाए लेकिन वो सुनते-सुनते आशा जी सीख गईं और उन्होंने उसी लय में गाना गाया. जब आशा जी ने उस लय में गाया तो शम्मी कपूर को थोड़ा आश्चर्य हुआ और उन्होंने उनसे पूछा कि मेरा सिखाया तुमने क्यों गाया? आशा ने बताया कि उन्होंने शम्मी से कहा कि आप उन्हें सिखा रहे तो मैंने सीख लिया.
कैसा था शम्मी कपूर का फिल्मी करियर?
1953 में आई फिल्म ‘जीवन ज्योति’ से शम्मी कपूर ने बॉलीवुड में डेब्यू किया था. ये फिल्म सुपरहिट हुई थी और इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में बतौर लीड एक्टर काम किया, जिसमें ‘चोर बाजार’, ‘तुमसा नहीं देखा’, ‘दिल देके देखो’, ‘सिंगापुर’, ‘जंगली’, ‘कश्मीर की कली’, ‘ब्रह्मचारी’, ‘दिल तेरा दीवाना’ जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं. शम्मी कपूर कमाल के एक्टर थे लेकिन जो बात उनके बारे में और भी ज्यादा फेमस है वो है उनका डांस करने का स्टाइल. आखिरी बार शम्मी फिल्म रॉकस्टार (2011) में नजर आए थे जिसमें लीड एक्टर उनके भतीजे और ऋषि कपूर के बेटे रणबीर कपूर थे.
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