खबर फिली – क्या है क्लैप बोर्ड? शूटिंग में शॉट से पहले इसका इस्तेमाल क्यों होता है? – #iNA @INA

कई दिनों की मेहनत से बनने वाली फिल्म, आम लोगों के लिए केवल एंटरटेनमेंट का जरिया होती है. लेकिन फिल्म मेकिंग से जुड़े लोग या फिर इसमें रुचि रखने वाले ये जानते हैं कि ये कितना मुश्किल काम है. एक फिल्म बनाना बिल्कुल भी आसान काम नहीं है. इसके लिए ना सिर्फ काफी कड़ी मेहनत लगती है बल्कि कई लोगों का सपोर्ट, समझदारी और प्लानिंग भी लगती है. किसी कहानी को पन्नों से निकालकर दर्शकों के सामने लाना और उन्हें उस कहानी और उसकी दुनिया पर भरोसा दिलाना आसान काम नहीं हैं. ऐसे में फिल्म मेकिंग से जुड़ी चीजों के बारे में जानना काफी फैसिनेटिंग होता है.

जब कभी किसी फिल्म की शूटिंग की कोई तस्वीर सामने आती है तो एक चीज कॉमन होती है और वो है एक सफेद और काला बोर्ड जिसपर किसी तरह का नंबर लिखा होता है और उस फिल्म का नाम भी. इस बोर्ड को क्लैप बोर्ड कहा जाता है. लेकिन बहुत कम लोग ये बात जानते होंगे की इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता है. यहां तक की इस बोर्ड से क्लैप देने के लिए एक पेशेवर पर्सन को भी रखा जाता है जिसे क्लैपर भी कहा जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं इस बोर्ड से जुड़ी बातों के बारे में.

इसके बिना अधूरी होती है फिल्म की शूटिंग

क्लैपर बोर्ड एक ऐसी चीज है, जिसके बिना किसी भी फिल्म की शूटिंग अधूरी रहती है. इसे बहुत जरूरी माना जाता है. क्लैप बोर्ड की हिस्ट्री भी काफी पुरानी है. बताया जाता है कि ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध डायरेक्टर एफ डब्लू थ्रिंग ने क्लैपर बोर्ड का अविष्कार किया था. दरअसल क्लैपर बोर्ड की मदद से मूवी की डबिंग का काम होता है. आवाज और वीडियो का सिंक्रनाइजेशन बिठाने के लिए इसका यूज किया जाता है. क्लैपरबोर्ड को फ़िल्म स्लेट भी कहा जाता है. येदो हिस्सों से मिलकर बना होता है – एक स्लेट और एक क्लैपर स्टिक. स्लेट पर उस सीन से जुड़ी जानकारी होती है, जैसे की सीन नंबर और फिल्म का नाम और टेक नंबर.

क्यों इस्तेमाल किया जाता है क्लैप बोर्ड?

अब सवाल उठता है कि इसका इस्तेमाल कहां किया जाता है? क्लैपरबोर्ड से होने वाली क्लैप की आवाज, ऑडियो ट्रैक पर एक तेज स्पाइक बनाती है. इस स्पाइक को पोस्ट-प्रोडक्शन टीम, वीडियो फ़्रेम से मैच करती है, और इसी से ऑडियो और वीडियो का सिंक्रनाइजेशन होता है. क्लैपरबोर्ड का इस्तेमाल इस बात की पहचान करने के लिए किया जाता है कि क्रू किस सीन और टेक पर काम कर रहा है. फिल्मों की शूटिंग के समय सिर्फ और सिर्फ सीन्स को शूट किया जाता है, जबकि बाद में कैरेक्टर्स के डायलॉग्स को रिकॉर्ड किया जाता है जिसे डबिंग कहा जाता है. शूटिंग के दौरान हर एक सीन के शॉट से पहले क्लैपर बोर्ड को दिखाया जाता है, इस पर सीन और टेक के नंबर्स की जानकारी होती है. कितने नंबर का कौन सा सीन और कितने टेक का सीन है… ये सबकुछ इस बोर्ड पर होता है ताकी प्रोडक्शन टीम को बाद में सीन को ढूंढ़ने में मदद मिल सके.

क्या-क्या होती है डीटेल्स?

शूटिंग के समय पर हर शॉट के पहले फ्रेम में डायरेक्टर के एक्शन बोलने के बाद क्लैपर बोर्ड का प्रयोग किया जाता है. इसके पहले डायरेक्टर ये तय करता है कि उसका साउंड डिपार्टमेंट, लाइट्स और कैमरा सब एक साथ है कि नहीं, ताकी सीन को सही तरीके से शूट किया जाए. इसके बाद क्लैप दिया जाता है ताकी सीन का ऑडियो और वीडियो मैच किया जा सके. एक क्लैपर बोर्ड पर फिल्म का नाम, डायरेक्टर का नाम, प्रोडेक्शन कंपनी, टेक-सीन की संख्या, समय, सीन का वक्त दिन-रात, सिनेमैटोग्राफर का नाम और कैमरा एंगल जैसी कई अहम डिटेल्स लिखीं जाती हैं जो फिल्ममेकिंग के लिए बहुत जरूरी होती हैं.


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