बदहाल बिहार के साथ मजाक है नितीश सरकार की प्रगति यात्रा- वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता
संवाददाता-राजेन्द्र कुमार ।
बिहार, एक ऐसा राज्य जिसे अक्सर विकास के मोर्चे पर पिछड़ा समझा जाता है, आजकल एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। लेकिन इस बार चर्चा का विषय बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार द्वारा निकाली गई ‘प्रगति यात्रा’ है। इस यात्रा को लेकर भाकपा माले केन्द्रीय कमिटी के सदस्य और सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने जो बातें कहीं हैं, वे न केवल विचारणीय हैं, बल्कि बिहार की वास्तविकता का गंभीर चित्रण भी करती हैं। उनका आरोप है कि नितीश सरकार की प्रगति यात्रा दरअसल बिहार के साथ मजाक करने के समान है।
वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने सीधे शब्दों में कहा कि बिहार की जनता, खासकर स्किम वर्कर्स जैसे रसोइए, आशा कार्यकर्ता, ममता, और जीविका दीदी, नितीश सरकार के दुष्कृत्यों की शिकार हैं। इस सरकार ने इन मेहनतकश महिलाओं के साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया है। उनका कहना है कि इन महिला कार्यकर्ताओं को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं दी जा रही है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी ज्यादा चिंताजनक हो गई है।
बिहार में जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े भी भयावह हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 63% परिवारों की मासिक आय दस हजार रुपये से कम है, जबकि आधी से अधिक आबादी महा गरीबी में जी रही है। यह स्थिति न केवल आर्थिक असमानता को दर्शाती है, बल्कि सरकार की प्रशासनिक विफलताओं का भी पर्दाफाश करती है। ऐसे में, नितीश कुमार की प्रगति यात्रा सिर्फ एक दिखावा प्रतीत होती है। क्या यह किसी मजाक से कम है कि एक ऐसे राज्य की सरकार, जहां अधिकांश लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, प्रगति की बातें कर रही है?
शिक्षा के क्षेत्र में भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। सरकारी शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है, जिससे गरीबों के बच्चों को पढ़ाई का मौका मिलना मुश्किल हो गया है। इसी वक्त में, निजी शिक्षण संस्थान तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, जो केवल व्यापार के रूप में काम कर रहे हैं। ये संस्थान पूंजीपतियों का मुनाफा बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं, जबकि गरीब बच्चों के भविष्य को अनदेखा किया जा रहा है।
इस संदर्भ में, वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता का यह कहना कि नितीश सरकार में ठेकेदारों, शराब माफियाओं, भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों की प्रगति हुई है, बिल्कुल सही प्रतीत होता है। क्या यह प्रगति यात्रा वास्तव में उन भ्रष्टाचारियों के लिए नहीं है, जिन्होंने राज्य के विकास की नींव को पूरी तरह से कमजोर कर दिया है?
वर्तमान में, बिहार की राजनीति में हो रहे परिवर्तनों और नितीश कुमार की ‘प्रगति यात्रा’ से केवल एक बार की झलक मिलती है। राज्य की जनता एक अनवरत संघर्ष में है और इस संघर्ष के पीछे उसकी उम्मीदें और आकांक्षाएं हैं। ऐसे में, राज्य की सरकारों को चाहिए कि वे लोगों की वास्तविक समस्याओं की ओर ध्यान दें, बजाए इसके कि वे सिर्फ दिखावे की राजनीति करें।
इस प्रकार, नितीश सरकार की प्रगति यात्रा बिहार के लोगों के लिए एक नया मजाक न बने, बल्कि इसे विकास का एक सच्चा विकल्प बनाने की आवश्यकता है। वादे और काम में भेद हटाना होगा, और यही असली सड़क हैं प्रगति की। आखिरकार, विकास तब ही संभव है जब आम जनता की खुशहाली को प्राथमिकता दी जाएगी, न कि केवल नेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों के स्वार्थों को।
बिहार के लिए यह समय है जागरूक होने और अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने का। तभी जाकर हमारी धरती का मुख्यमंत्री, जो प्रगति यात्रा पर निकला है, वास्तव में बिहार की प्रगति की वास्तविकता को समझ पाएगा।