Noida – इलाहाबाद हाईकोर्ट ने L&T को फ्लैट बेचने को दी मंजूरी, ग्रीन रिजर्व प्रोजेक्ट में हैं अपार्टमेंट – #INA
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इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद नोएडा में एलएंडटी के फ्लैटों की बिक्री का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश रेरा के आदेश को रद्द कर दिया है। इस फैसले से यहां बायर्स को राहत मिलेगी, वहीं इस फैसले के दूरगामी सकरात्मक परिणाम भी सामने आएंगे। अदालत ने L&T को फ्लैटों की बिक्री से जुड़े विज्ञापनों को जारी रखने की अनुमति भी दी है।
नोएडा सेक्टर-128 में हैं फ्लैट
इलाहाबाद हाईकाेर्ट ने उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) द्वारा लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के खिलाफ जारी आदेश को रद्द कर दिया है। इससे नोएडा सेक्टर 128 स्थित ग्रीन रिजर्व परियोजना में फ्लैटों की बिक्री का रास्ता साफ हो गया है। अदालत ने L&T को फ्लैटों की बिक्री जारी रखने के साथ फ्लैट बिक्री के लिए विज्ञापन को भी जारी रखने की अनुमति दी है।
हाईकोर्ट ने दिया रेरा अधिनियम का हवाला
1 अक्टूबर को दिए गए फैसले में न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की पीठ ने कहा कि रेरा द्वारा फ्लैटों की बिक्री को अवैध बताने वाला नोटिस कानूनन गलत था। क्योंकि, रेरा ने तय समय सीमा में परियोजना के पंजीकरण आवेदन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। अदालत ने रेरा अधिनियम की धारा 5(2) का हवाला देते हुए कहा कि अगर 30 दिनों के भीतर प्राधिकरण आवेदन पर कोई फैसला नहीं लेता, तो परियोजना स्वतः पंजीकृत मानी जाएगी।
नहीं लगेगा कंपनी पर कोई जुर्माना
अदालत ने रेरा की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि जयप्रकाश इंफ्राटेक लिमिटेड (JIL) को इस परियोजना में सह-प्रवर्तक माना जाए। इसके साथ ही अदालत ने L&T को फ्लैटों की बिक्री से जुड़े विज्ञापनों को जारी रखने की अनुमति दी और कहा कि रेरा अधिनियम की धारा 3 के तहत कंपनी पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जा सकता।
ग्रीन रिजर्व प्रोजेक्ट में बनेंगे चार टावर
गौरतलब है कि जुलाई 2017 में L&T ने JIL से एक समझौते के तहत 487.5 करोड़ रुपये में भूमि के एक हिस्से पर डेवलपमेंट राइट्स प्राप्त किए थे। जिसमें ग्रीन रिजर्व प्रोजेक्ट के चार टावर का निर्माण शामिल है। अदालत ने रेरा को L&T को आवश्यक पंजीकरण संख्या और एक्सेस क्रेडेंशियल जारी करने का भी निर्देश दिया है।
फैसले के होंगे दूरगामी प्रभाव
हाईकोर्ट के इस फैसले के दूरगामी प्रभाव होंगे। क्योंकि, हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर रेरा किसी प्रोजेक्ट के आवदेन पर 30 दिनों के भीतर प्राधिकरण फैसला नहीं लेता है, तो परियोजना स्वतः पंजीकृत मानी जाएगी। इससे रेरा की मनमानी पर लगाम लगेगी और हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को जरूरी मंजूरियां जल्द मिलेगी। जिससे प्रोजेक्ट के समय पर पूरा होने की संभावना बढ़ जाएगी।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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