Noida – पार्काें में सूख रही घास, मर रहे पेड़, उद्वान विभाग बजा रहा चैन की बंसी – #INA
Noida News :
प्रदूषण को कम करने में प्रकृति का सबसे बड़ा और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शहर को हरा-भरा करने का दंभ भरने वाली अथॉरिटी इन दिनों न तो पार्कों पर ध्यान दे रही है, न ही लोगों को होने वाली परेशानी को दूर कर रही है। स्थिति यह है कि शहर के कई सेक्टरों में पार्कों में सिंचाई तक नहीं हो पा रही है। जिस कारण घास सूख चुकी है और पानी के अभाव में पेड़-पौधे मर रहे हैं। जिसे लेकर लोगों में भारी नाराजगी भी देखने को मिल रही है।
सेक्टर-51 और 110 में हालत खराब
सेक्ट-51 के आरडब्ल्यूए महासचिव संजीव कुमार बताते हैं कि सेक्टर के चिल्ड्रन पार्क में हरे-भरे पेड़ पानी के अभाव में सूख कर मरने लगे हैं। पिछले तीन महीनों से एक बूंद पानी भी इन पेड़ों को नहीं दिया गया है। जिसके चलते घास के साथ-साथ बड़े ऊंचे पेड़ भी सूख कर गिरने लगे हैं। पिछले तीन महीनों से सेक्टर 51 के किसी भी पार्क में पेड़ और घास की की सिंचाई नहीं हुई है।
रोज हो रही हैं शिकायतें
स्थानीय लोगों का कहना है कि पेड़-पौधों में भी जान है और इस जीव हत्या के लिए नोएडा प्राधिकरण के सीईओ डॉ लोकेश एम और उद्यान निदेशक आनंद मोहन के विरुद्ध जीव हत्या का मुकदमा पंजीकृत होना चाहिए। हर दिन सेक्टर के निवासियों की कंप्लेंट आती हैं, लोग परेशान हैं और सूचना दे रहे हैं कि पेड़ और घास मर रही है। शहर के पार्कों को बर्बाद करने के लिए शहर वासी आपको कभी माफ नहीं करेंगे। पूरा शहर परेशान है।
टेंडर व्यवस्था में बदलाव की मांग
लोगों का कहना है कि प्राधिकरण को चाहिए था कि वह टेंडर खत्म होने के 4 महीने पहले नए टेंडर की प्रक्रिया करता। जिससे पुराना टेंडर खत्म होने से पहले नए ठेकेदार का चयन हो चुका होता। जिससे पार्कों की ऐसी दुर्दशा नहीं होती। सुरक्षा कर्मियों से लेकर निवासियों तक सभी परेशान हैं। हर दिन मरती हुई घास और पेड़ पौधों को देखते हुए शिकायतें कर रहे हैं। शहर की जिम्मेदारी किसकी है यदि जिम्मेदार व्यक्ति इस तरह शहर को बर्बाद करेगा, तो उसके खिलाफ मुकदमा पंजीकृत होना ही चाहिए और जो सही निर्णय न ले सके ऐसे अधिकारियों का बदलाव भी जरूरी है।
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
Source link