असद सरकार के पतन से पुतिन हीं नहीं जिनपिंग भी सदमे में ! जानिए क्यों ? #INA

सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद की सत्ता के पतन ने 8 दिसंबर 2024 को समूचे ग्लोबल ऑर्डर को बदल कर रख दिया है. इस घटनाक्रम का सबसे गहरा असर रूस और ईरान पर दिख रहा है लेकिन चीन भी अछूता नहीं, जो लंबे समय से असद सरकार का करीबी सहयोगी रहा है. आर्थिक निवेश और राजनीतिक समर्थन के आधार पर बने इस गठजोड़ ने चीन के रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई. हालांकि, इस समर्थन ने चीन की नैतिकता पर भी सवाल उठाए हैं, क्योंकि उसने मानवाधिकारों को नजरअंदाज करते हुए असद जैसे विवादित शासक का साथ दिया.

चीन और सीरिया पुराना रिश्ता और वर्तमान संकट

चीन और सीरिया के बीच राजनयिक संबंध 1956 में स्थापित हुए थे, जब सीरिया उन पहले अरब देशों में शामिल था, जिन्होंने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को मान्यता दी. 1971 में संयुक्त राष्ट्र में चीन की सीट के लिए समर्थन करने वाले देशों में सीरिया अग्रणी था. इन रिश्तों को चीन ने हमेशा अपनी मित्रता का प्रतीक माना. 2011 में शुरू हुए सीरियाई गृह युद्ध के दौरान, चीन ने असद सरकार का समर्थन जारी रखा. चीन ने हमेशा सीरिया की संप्रभुता और स्वतंत्रता का समर्थन किया है. “अरब स्प्रिंग” के बाद चीन ने असद सरकार को आर्थिक और राजनीतिक सहायता दी, ताकि वह संकटों का सामना कर सके.

असद के पतन से चीन को चुनौती

8 दिसंबर को सीरियाई विपक्षी बलों द्वारा असद सरकार को उखाड़ फेंके जाने के बाद चीन के लिए संकट उत्पन्न हो गया है. चीनी विदेश मंत्रालय ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और सीरिया में स्थिरता बहाल करने की अपील की. मंत्रालय ने कहा कि चीन स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है और अपने नागरिकों और संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

आर्थिक संबंध और उनके संभावित नुकसान

चीन का सीरिया में मुख्य है.  ध्यान आर्थिक निवेश और बुनियादी ढांचे के विकास पर रहा है. बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत, चीन ने सीरिया में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में निवेश कियाचीन ने सीरिया के तेल क्षेत्र में निवेश किया है और कपड़ा मिलों सहित कई अन्य परियोजनाओं का निर्माण किया है.

व्यापार और निवेश

2009 में चीन-सीरिया का द्विपक्षीय व्यापार लगभग 2.2 अरब डॉलर था. गृहयुद्ध के चलते व्यापार में गिरावट आई, लेकिन युद्ध के बाद पुनर्निर्माण के लिए चीन ने अरबों डॉलर निवेश करने की योजना बनाई थी.
असद सरकार के पतन से चीन की इन परियोजनाओं पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं. नई सरकार के साथ चीन का संबंध कैसा रहेगा, यह सवाल अब अहम है.

संयुक्त राष्ट्र में चीन की भूमिका

सीरिया में सीधे सैन्य हस्तक्षेप न करने के बावजूद, चीन ने असद सरकार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को रोकने के लिए रूस के साथ संयुक्त राष्ट्र में अपने वीटो का इस्तेमाल किया. यह कदम अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चीन की नैतिक स्थिति पर सवाल खड़े करता है.

मध्य पूर्व में चीन की रणनीति पर प्रभाव

असद सरकार के पतन ने चीन के लिए एक नया संकट खड़ा कर दिया है. चीन का निवेश और BRI प्रोजेक्ट अधर में लटक चुका है.
सरकार के पतन ने चीन के लिए भू-राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियां भी खड़ी कर दी हैं. अब चीन को अपने पुराने रिश्तों को संतुलित करते हुए नई सरकार और क्षेत्रीय वास्तविकताओं के साथ तालमेल बिठाना होगा. लेकिन सीरिया में बढ़ते अमेरिका और इजरायल के प्रभाव के कारण जिनपिंग के लिए अब यह क्षेत्र विषम चुनौतियों से भरा होगा. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चीन इस संकट से कैसे निपटता है और मध्य पूर्व में अपने हितों को कैसे सुरक्षित रखता है.


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