खबर बाजार -BSE पर 312 करोड़ बकाया होने से लिक्विडिटी की शर्त को पूरा करने में नाकाम रही NSE की इकाई – #INA

देश के सबसे स्टॉक एक्सचेंज NSE की क्लियरिंग इकाई एनएसई क्लियरिंग लिमिटेड (NSE Clearing Ltd) लिक्विटडी की शर्तों को पूरा करने में नाकाम रही है। ऑडिटर्स का कहना है कि लिक्विडिटी में गिरावट की मुख्य वजह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के पास NSE Clearing की बकाया राशि का होना है। BSE के पास NSE Clearing Ltd के 312.37 करोड़ रुपये बकाया है।

NSE के प्रवक्ता ने बताया, ‘ NSE Clearing के ऑडिटर्स ने तीसरी तिमाही के फाइनेंशियल्स की जांच-पड़ताल के दौरान पाया कि कंपनी को बीएसई लिमिटेड से अब तक 300 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की बकाया रकम वापस नहीं मिली है। NSE Clearing इस सिलसिले में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज से बात करने की तैयारी में है।’

मिनिमम लेवल बनाए रखना क्यों है जरूरी?

लिक्विड एसेट्स का मिनिमम लेवल बनाए रखना इसलिए जरूरी है क्योंकि सभी लेन-देन को क्लियर और सेटल करने का काम क्लियरिंग कॉरपोरेशन का होता है। इसके अलावा एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर जो भी ट्रेड एग्जेक्यूट हो रहे हैं, उन सभी के लिए काउंटर-पार्टी गारंटी मुहैया कराती है। यह मिनिमम लिमिट बाजार नियामक सेबी ने सेट की है। एनएसई ने तिमाही नतीजे के साथ खुलासा किया कि एनएसई क्लियरिंग ने सेबी को 9 जनवरी 2025 को ही बता दिया था कि मिनिमम लिक्लिड एसेट्स से इसके पास ₹176.65 करोड़ कम हैं और इसकी वजह ये है कि बीएसई ने ₹312.37 करोड़ का बकाया नहीं चुकाया है। अब इसकी भरपाई मार्च 2025 तक आंतरिक जुटान या रिसीवेबल्स की रिकवरी के जरिए की जाएगी। इसके अलावा एनएसई क्लियरिंग ने इस डेफिसिट का कैलकुलेशन करते समय 31 दिसंबर 2024 तक ₹424.35 करोड़ के अर्जित ब्याज को शामिल नहीं किया था।

कितना बड़ा है NSE?

एनएसई देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है जिसकी कैश मार्केट में 94 फीसदी हिस्सेदारी है। इक्विटी फ्चूयर्स में तो इसकी 99.9 फीसदी हिस्सेदारी है और दिसंबर तिमाही के आंकड़ों के मुताबिक इक्विटी ऑप्शंस में 87.5 फीसदी हिस्सेदारी। दिसंबर तिमाही में कैश और इक्विटी फ्यूचर्स 30 फीसदी से अधिक बढ़े। करेंसी फ्यूचर्स में इसका 93 मार्केट पर कब्जा है। वैश्विक मार्केट में बात करें तो कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या के हिसाब से एनएसई दुनिया का सबसे बड़ा डेरिवेटिव एक्सचेंज है और ट्रेड्स की संख्या के हिसाब से दूसरा। पिछले साल 2024 में एनएसई पर एशिया में सबसे अधिक आईपीओ आए और दुनिया भर में सबसे अधिक इक्विटी कैपिटल जुटाया। नतीजे की बात करें तो अप्रैल-दिसंबर 2024 में एनएसई ने एसटीटी के रूप में सरकार को ₹37,271 करोड़ दिए। इसके अलावा इसने सरकार को ₹3,639 करोड़ का इनकम टैक्स और जीएसटी और ₹2,976 करोड़ की स्टांप ड्यूटी दी।

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BSE पर 312 करोड़ बकाया होने से लिक्विडिटी की शर्त को पूरा करने में नाकाम रही NSE की इकाई


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