आगरा में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन ठप, कर्मी की हाथ गंवाने के बाद इलाज के लिए उचित वित्तीय सहायता की मांग
आगरा, 17 दिसंबर( मोहम्मद शाहिद ): आगरा शहर में मंगलवार सुबह एक असामान्य स्थिति का सामना करना पड़ा जब इलेक्ट्रिक बसों का संचालन लगभग पांच घंटे तक ठप रहा। इसका कारण था बस के ड्राइवर ब्रह्मा सिंह का परिवार के साथ डिपो के बाहर धरना देना, जिसे उन्होंने अपना बायां हाथ गंवाने के बाद इलाज के लिए उचित वित्तीय सहायता की मांग को लेकर शुरू किया था।
ब्रह्मा सिंह, निवासी नाई की सराय टेढ़ी बगिया, ने 28 जनवरी, 2024 को ग्वालियर रोड पर एक गंभीर दुर्घटना का सामना किया था। इस दुर्घटना में उनकी बायीं हाथ का पंजा कटकर अलग हो गया था, जिससे उनके इलाज में लगभग ढाई लाख रुपये खर्च हुए। ब्रह्मा सिंह पिछले ग्यारह महीनों से अपनी चिकित्सा खर्च की राशि को लेकर कंपासी कंपनी से संपर्क कर रहे थे, लेकिन कंपनी द्वारा दिए गए आश्वासनों के बावजूद उन्हें निरंतर बहाने बनाकर टहलाया जाता रहा।
हर बार की तरह जब ब्रह्मा का धैर्य टूट गया, तो उन्होंने मंगलवार सुबह 4:30 बजे कड़कड़ाती ठंड में अपने परिवार के साथ इलेक्ट्रिक बस डिपो के गेट के बाहर धरने पर बैठने का निश्चय किया। उनका कहना था कि यह धरना न केवल उनके लिए, बल्कि उन सभी कर्मचारियों के लिए है जिन्हें कंपनी के इस रवैये के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कर्मचारियों का समर्थन
बस के चालकों और परिचालकों ने ब्रह्मा सिंह के धरने में अपना समर्थन दिया, जिसके फलस्वरूप एक भी इलेक्ट्रिक बस डिपो से बाहर नहीं निकाली गई। कर्मचारियों ने कहा कि एक्सीडेंट के बाद पीड़ित परिवार को वित्तीय और मानसिक दोनों ही तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उनका यह भी कहना था कि ब्रह्मा की तनख्वाह भी अनियमित रही है, जिससे उनके परिवार को रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में भी कठिनाई हो रही है।
प्रबंधन का हस्तक्षेप
मामले की गंभीरता को देखते हुए डिपो प्रबंधक आशुतोष वर्मा ने सुबह 11 बजे पीड़ित परिवार की मांगों को गंभीरता से लिया। उन्होंने उनकी चिकित्सा सहायता के लिए जरूरी ढाई लाख रुपये की मांग को मान लिया। इसके बाद, धरने की स्थिति में बदलाव आया और ब्रह्मा सिंह के परिवार ने धरना समाप्त करने का निर्णय लिया।
ब्रह्मा सिंह के धरने को समाप्त करने के बाद लगभग 11:15 बजे से डिपो से बसें शहर में संचालन के लिए रवाना हुईं। स्थिति सामान्य होने पर शहरवासियों ने राहत की साँस ली, लेकिन इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि कर्मचारियों की समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इस घटना ने न केवल आगरा में बस संचालन की व्यवस्था को प्रभावित किया, बल्कि कर्मचारियों की समस्याओं को भी उजागर किया। अधिकतर कर्मचारी इस बात से चिंतित हैं कि क्या भविष्य में ऐसी समस्याओं का समाधान किया जाएगा या फिर उन्हें फिर से ऐसी ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
आगरा शहर के यात्रियों ने इस घटना को न केवल एक सरल यातायात व्यवधान के रूप में देखा, बल्कि यह भी संकेत है कि समाज में औसत कर्मचारियों के अधिकारों और उनके प्रति हरकत में आना कितना आवश्यक है। ऐसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि जब तक कंपनियां अपने कर्मचारियों के प्रति उत्तरदायी नहीं होंगी, तब तक सिस्टम में समानता और न्याय का अभाव रहेगा।
ब्रह्मा सिंह की यह कहानी न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा का विषय है, बल्कि यह उन सभी कर्मचारियों के लिए एक प्रेरणा भी है जो आज भी ऐसे संघर्षों का सामना कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि प्रबंधन इस बात को समझेगा और भविष्य में सभी कर्मचारियों की समस्याओं का संवेदनशीलता से समाधान करेगा।