अररिया जिला भरगामा प्रखंड क्षेत्र के पैक्स अध्यक्ष व प्रबंधक पर लगा सरकारी अनाज गबन का आरोप,एमओ ने दिया थाना आवेदन,15 दिन बाद भी नहीं हुआ मामला दर्ज
मिंटू राय संवाददाता अररिया
बिहार अररिया भरगामा प्रखंड में काला बाजारी रुकने नाम नही ले रहा है सरकार द्वारा लोगों को मिल रहे राशन को डीलर डकारने में लगे हैं. लोगों को राशन देने के बजाए गोलमाल कर दे रहे हैं. मामले का खुलासा एमओ रामकल्याण मंडल द्वारा जांच के दौरान हुआ है. सरकारी अनाज गबन के आरोप में भरगामा प्रखंड आपूर्ति निरीक्षक रामकल्याण मंडल ने बीते 25 दिसंबर 2024 को शंकरपुर पैक्स अध्यक्ष आशा देवी,प्रबंधक संजीव कुमार मिश्र एवं नया भरगामा के पूर्व पैक्स अध्यक्ष मोहम्मद इशराईल के खिलाफ भरगामा थाना में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया है.
बताया जाता है कि प्रखंड आपूर्ति निरीक्षक रामकल्याण मंडल द्वारा बीते 24 दिसंबर को ग्रामीणों की शिकायत पर शंकरपुर पैक्स अध्यक्ष आशा देवी के गोदाम का जांच किया गया. एमओ के जांच के दौरान ई-पॉश मशीन में दर्ज 204 किलोग्राम गेंहू एवं 800 किलोग्राम चावल में से गोदाम में शून्य किलोग्राम अनाज पाया गया. बीते 25 दिसंबर को हीं नया भरगामा के पूर्व पैक्स अध्यक्ष मोहम्मद इशराईल के गोदाम का भी एमओ के द्वारा जांच किया गया था. एमओ के जांच के दौरान ई-पॉश मशीन में दर्ज 297 किलोग्राम गेंहू एवं 1222 किलोग्राम चावल में से 400 किलोग्राम चावल एवं शून्य किलोग्राम गेंहू पाया गया था. जिसके बाद ई-पॉश मशीन,आईरिस स्कैनर,चार्जर को जब्त कर स्थानीय थाना में एफआईआर के लिए आवेदन दिया गया था,
परन्तु अबतक थाना में मामला दर्ज नहीं हो पाया है. इस संबंध में थाना प्रभारी राकेश कुमार का कहना है कि मामले की जांच-पड़ताल चल रही है. लेकिन अब यहां सवाल ये उठता है कि एक सक्षम सरकारी अधिकारी के द्वारा पूर्ण साक्ष्य के साथ दिए गए आवेदन पर 15 दिन बीत जाने के बाद भी अगर मामला दर्ज नहीं होता है तो आमलोगों के आवेदन पर सुनवाई और कार्रवाई की बात करनी हीं बेईमान होगी. इस संबंध में फारबिसगंज एसडीपीओ मुकेश कुमार साह से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि फारबिसगंज एसडीओ के निर्देशानुसार मामला दर्ज नहीं हुआ है,लेकिन जब एसडीओ शैलजा पाण्डेय से बात किया गया तो उनका साफ तौर पर कहना था कि उनके द्वारा ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया गया है.
ऐसे में उपरोक्त पदाधिकारियों के बयान से यह साफ नहीं हो पाया कि थाना को मैक्सिमम साक्ष्य उपलब्ध करवाने के बाद भी एमओ के लिखित आवेदन के आलोक में 15 दिन बीत जाने के बाद भी अबतक मामला दर्ज क्यों नहीं हुआ. मालूम हो कि इससे पूर्व में भी कई दफे एसडीओ के द्वारा विभिन्न जन वितरण प्रणाली के गोदाम का जांच किया गया था. एसडीओ के जांच के दौरान भी कई पीडीएस दुकानदारों के गोदाम में अनाज कम पाया गया था,लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ और सिर्फ कागजी खानापूर्ति होकर रह गई. मालूम हो कि बीते 16 नवंबर 2024 को फारबिसगंज एसडीओ व भरगामा एमओ के द्वारा शंकरपुर के वर्तमान पैक्स अध्यक्ष आशा देवी के पति एवं पूर्व पैक्स अध्यक्ष नरेन्द्र मिश्र के गोदाम का सयुंक्त रूप से जांच किया गया था. सयुंक्त जांच के वक्त उनके ई-पॉश मशीन में 231 किलोग्राम गेहूं एवं 908 किलोग्राम चावल प्रदर्शित दिख रहा था,परन्तु गोदाम में शून्य किलोग्राम अनाज पाया गया था. इसी प्रकार 16 नवंबर को हीं एसडीओ व एमओ के सयुंक्त जांच में सिमरबनी पैक्स अध्यक्ष उपेन्द्र राम के गोदाम का भी जांच किया गया था जहां ई-पॉश मशीन में दर्ज गेंहू 352 किलोग्राम एवं 1413 किलोग्राम चावल के जगह शून्य किलोग्राम अनाज पाया गया था.
इसी प्रकार सिरसिया हनुमानगंज पैक्स अध्यक्ष सुरेश कुमार श्रीवास्तव के गोदाम का भी एसडीओ व एमओ ने सयुंक्त जांच किया था जहां ई-पॉश मशीन में दर्ज 4891 किलोग्राम गेंहू एवं 1307 किलोग्राम चावल के जगह 2250 किलोग्राम गेहूं और 1200 किलोग्राम चावल यानि कि 2641 किलोग्राम कम गेहूं एवं 107 किलोग्राम कम चावल पाया गया था. इसी प्रकार सिरसियाकला पैक्स अध्यक्ष शंकर कुमार यादव के गोदाम का भी एसडीओ व एमओ ने सयुंक्त जांच किया था जहां ई-पॉश मशीन के अनुसार 456 किलोग्राम गेहूं एवं 1832 किलोग्राम चावल कम पाया गया था,लेकिन इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई हुई ये एमओ को भी पता नहीं है तो आमलोगों को क्या पता होगा. इस संबंध में जब एमओ रामकल्याण मंडल से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मेरा जो काम था मैंने कर दिया.
पूरी साक्ष्य उपलब्ध करवाने के बावजूद भी जिम्मेदार पदाधिकारी आखिरकार क्यों नहीं कार्रवाई करते हैं यह बात उन्हीं से पूछिए तो बेहतर रहेगा. इस संबंध में सहायक प्रशासी पदाधिकारी माधव झा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जिस गोदाम पर अनाज कम पाया गया था वहां के पैक्स अध्यक्षों के द्वारा अनाज की पूर्ति कर दी गई है. लेकिन लोगों के द्वारा ये कहा जाता है कि यह माना जा सकता है एमओ अपने निजी स्वार्थ के चलते डीलर के ऊपर झूठा आरोप लगाकर फसाना चाहते होंगे,लेकिन जब एसडीओ के द्वारा किये गए जांच में गड़बड़ी पाई जाती है तो आखिरकार कार्रवाई क्यों नहीं होती है ये तो समझ से पड़े है. इससे तो ऐसा हीं प्रतीत होता है कि इस प्रकार के घोटाले में नीचे से लेकर ऊपर तक सबकी मिलीभगत है. अब आगे जो भी हो लेकिन देखना यह दिलचस्प होगा कि इन घोटालेबाज डीलरों के विरुद्ध कार्रवाई होती भी है या नहीं.