बिहार दिवस 2025 : गांधी मैदान में ‘विकसित बिहार’ थीम पर पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन
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पटना, 22 मार्च (.)। बिहार दिवस के अवसर पर शनिवार को पटना के गांधी मैदान में शिक्षा विभाग के पंडाल में ‘विकसित बिहार’ थीम पर एक भव्य पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसमें पटना आर्ट्स कॉलेज और कला एवं शिल्प महाविद्यालय के कलाकारों ने अपनी रचनात्मक कृतियों के जरिए बिहार के प्रगतिशील स्वरूप को दर्शाया।
अंग्रेजी शासनकाल में 1912 में बिहार को बंगाल से अलग कर नया राज्य बनाया गया था। इस साल बिहार के गठन को 113 साल पूरे हो गए।
पेंटिंग्स और मिट्टी की कलाकृतियों के माध्यम से कलाकारों ने राज्य के विकास, संस्कृति और संभावनाओं को कैनवास पर उकेरा, जो दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बन गया। इस दौरान कलाकारों ने . से बातचीत में अपनी कृतियों के पीछे की प्रेरणा और बिहार की बदलती तस्वीर पर विचार साझा किए।
कला एवं शिल्प महाविद्यालय के छात्र हर्ष राज ने अपनी पेंटिंग के बारे में बताया कि उन्होंने इसमें बिहार के उन्नत स्वरूप को चित्रित करने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा, “हमने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हुए विकास कार्यों को अपनी कला में उतारा है। पुल निर्माण, पटना मेट्रो, बापू टावर और बड़े-बड़े भवन बिहार की प्रगति के प्रतीक हैं। हमारी पेंटिंग में इन सभी को दिखाने का प्रयास किया गया है।”
हर्ष ने कहा कि पिछले 113 साल में बिहार ने काफी तरक्की की है और बदलाव की यह प्रक्रिया जारी है। उनके मुताबिक, सरकार और जनता के सहयोग से बिहार स्मार्ट सिटी बनने की दिशा में बढ़ रहा है। वह चाहते हैं कि भविष्य में भी विकास की यह गति बरकरार रहे।
कला एवं शिल्प महाविद्यालय की छात्रा मोनिष्का ने अपनी पेंटिंग में बिहार की सांस्कृतिक और आधुनिक पहचान को पिरोया है। उन्होंने बताया, “मेरी पेंटिंग में गंगा पथ, जो पटना का नया मरीन ड्राइव है, महावीर मंदिर, मधुबनी पेंटिंग और लिट्टी-चोखा जैसे तत्व शामिल हैं। इसके अलावा पटना मेट्रो, बुद्ध स्मृति पार्क, ताज होटल और शिक्षा के क्षेत्र में हुई प्रगति को भी दर्शाया गया है।”
मोनिष्का ने कहा कि बिहार अब सूखे और पिछड़ेपन की छवि से बाहर निकलकर हरा-भरा और समृद्ध राज्य बन चुका है। हालांकि, वह मानती हैं कि शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में अभी और काम करने की जरूरत है। उनकी पेंटिंग में अशोक चिह्न और बुद्ध भगवान के ध्यान स्थल को भी जगह दी गई है, जो बिहार की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विरासत को रेखांकित करती है।
प्रदर्शनी में शामिल एक अन्य छात्र प्रभाकर पांडेय ने अपनी पेंटिंग के जरिए बुद्ध भगवान और बिहार के मौजूदा विकास को दर्शाया है। उन्होंने कहा, “मैंने मेट्रो सहित कई विकास योजनाओं को अपनी कला में मूर्त रूप दिया है। यह दिखाने की कोशिश की है कि बिहार तेजी से प्रगति के रास्ते पर है।”
प्रभाकर ने शिक्षा विभाग में सुधार और कला के क्षेत्र में अवसरों की कमी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “बिहार से बड़ी संख्या में कलाकार पलायन कर रहे हैं। इस दिशा में काम करने की जरूरत है।”
उनकी पेंटिंग में बिहार के अब तक के विकास कार्यों को समेटा गया है, साथ ही भविष्य की संभावनाओं को भी उजागर किया गया है।
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एसएचके/एकेजे
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