Political – महाराष्ट्र में 5 महीने में कैसे बदल गया सीन, बीजेपी-शिंदे गठबंधन की जीत के 5 बड़े कारण- #INA

पांच महीने में कैसा बदला सीन ?

2024 के लोकसभा चुनाव में मिली हार से सबक लेते हुए बीजेपी के अगुवाई वाले महायुति ने कई अहम कदम कदम उठाए. शिंदे सरकार ने तमाम लोकलुभावन योजनाएं शुरू की और उसे जनता तक पहुंचाने का काम किया. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम अजीत पवार ने महाराष्ट्र के तमाम इलाकों का दौरा करके सियासी माहौल बनाने की कवायद की. महिला के लिए लाडली बहना योजना शुरू की, जो चुनाव में अहम साबित हुई हैं. इसके अलावा बीजेपी ने अपने बिगड़े हुए सियासी समीकरण को दुरुस्त करने का दांव कारगर साबित रहा. ऐसे ही कई अहम करण रहे, जो महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी-शिंदे और अजीत पवार के लिए सियासी संजीवनी साबित हुई.

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लाडली बहना योजना ट्रंप कार्ड

बीजेपी और उसके सहयोगी नेताओं ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान वोट जिहाद का नैरेटिव सेट किया, जिसके जरिए यह बताने की कोशिश की गई है कि मुस्लिम समुदाय ने एकजुट होकर लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ वोट दिए हैं. इसका भी असर विधानसभा चुनाव में होता नजर आ रहा है. बीजेपी के पक्ष में हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हुआ, क्योंकि कई मुस्लिम उलेमाओं का महा विकास अघाड़ी के लिए समर्थन करना महंगा पड़ा. मराठा आरक्षण आंदोलन पर चुप्पी अख्तियार करने का दांव भी बीजेपी के लिए मददगार साबित हुई है. इसके चलते मराठा और ओबीसी दोनों को साधने में कामयाब रही. राज्य में ओबीसी वोट पर बीजेपी और उसके गठबंधन ने काफी फोकस किया. पार्टी ने यह प्रयास किया कि ओबीसी वोट छिटकने न पाए. महायुति के पक्ष में ओबीसी ने एकजुटता दिखाई है.

आरएसएस की सक्रियता

महाराष्ट्र चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सक्रियता बीजेपी और उसके सहयोगी के लिए सियासी मुफीद रहा. संघ ने अपने 36 सहयोगी संगठनों के साथ जमीनी स्तर पर काम किया. संघ अपने सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर मैदान में अपनी छोटी-छोटी टोलियां बनाकर जमीनी स्तर पर काम किया. संघ से जुड़े संगठन जैसे कि विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, मजदूर संघ, किसान संघ, राष्ट्र सेविका समिति, दुर्गा शक्ति जैसे संगठनों के कार्यकर्ता ‘जागरण मंच’ के बैनर के तहत घर-घर प्रचार किया. ये संगठन भूमि जिहाद, लव जिहाद, धर्मांतरण, पथराव, दंगा, भ्रष्टाचार, महिला उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर लोगों को जागरूक कर रहे हैं और लोगों से 100 फीसदी मतदान अपील करते नजर आए थे. संघ और उसके सहयोगी संगठन ने मतदाताओं को बूथ केंद्र तक ले जाने का दांव बीजेपी के लिए अहम फैक्टर साबित हुआ.

बीजेपी का चुनावी मैनेजमेंट

बीजेपी अपने दिग्गज नेताओं को ही नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं को भी महाराष्ट्र चुनाव में जमीनी स्तर पर उतरकर सियासी फिजा को पूरी तरह से बदलने में सफल रही है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के चुनाव मैनेजमेंट की कमान संभाली और उसे जमीन तक उतारा तो पीएम मोदी ने अपनी जनसभाओं के जरिए सियासी माहौल को बदला. बीजेपी ने इस बार विदर्भ पर भी खास ध्यान दिया. विदर्भ में महायुति ने अपनी स्थिति को काफी सुधारा है. इसके अलावा मराठवाड़ा और वेस्ट महाराष्ट्र में बीजेपी ने मराठा आरक्षण आंदोलन के असर को बेअसर करने के लिए हिंदुत्व का आक्रामक दांव खेला. बीजेपी का वोट जिहाद के जरिए महा विकास अघाड़ी के समीकरण को बिगाड़ने का दांव काम कर गया. हिंदुत्व के एजेंडा सेट किया तो दलित वोटों को भी साधने का दांव चला. जातिगत समीकरण के साथ किसानों को भी साधने में सफल रही.

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