Political – किसी को डराती तो किसी की उम्मीद जगाती…महाराष्ट्र की 73 सीटें बनेगी सत्ता की टर्निंग प्वाइंट- #INA
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन (महा विकास अघाड़ी) और बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए (महायुति) के बीच सीधा मुकाबला होता नजर आ रहा. राज्य की कुल 288 सीटों में से करीब एक चौथाई विधानसभा सीटों सत्ता के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकती हैं. पिछले चुनाव में 73 विधानसभा सीटों पर जीत-हार का अंतर दस हजार से कम वोटों का था. ऐसे में इन सीटों पर कुछ वोट के इधर से उधर होने पर सारा खेल ही गड़बड़ा सकता है, जिसके चलते किसी के लिए यह सीटें डरा रही हैं तो किसी की उम्मीद जगाने का काम कर रही हैं.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन का दौर जारी है और नामांकन भरने की अंतिम तारीख 29 अक्टूबर है. इस बार दोनों ही गठबंधन का स्वरूप पूरी तरह से बदल गया है. बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए के साथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी है तो कांग्रेस के अगुवाई इंडिया गठबंधन के साथ उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी (एस) है. इसके अलावा महाराष्ट्र के सियासी रण में प्रकाश अंबेडकर की पार्टी से लेकर असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM और राज ठाकरे की मनसे तक किस्मत आजमा रही हैं.
कम मार्जिन वाली 73 सीटों का समीकरण
महाराष्ट्र के 2019 विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना मिलकर लड़ी थी तो कांग्रेस और एनसीपी एक साथ थी. पिछले चुनाव में पांच सीटों पर हार- जीत का अंतर एक हजार से कम वोटों का था तो चार सीटों पर जीत-हार की मार्जिन एक हजार से 2 हजार वोटों के बीच थी. 28 सीटों पर जीत-हार का अंतर 2 हजार से 5 हजार के बीच था. 36 सीटें ऐसी थी, जहां पर पांच से 10 हजार के वोटों का अंतर रहा था.
विधानसभा चुनाव को लेकर जिस तरह राजनीतिक स्थिति बन रही है, उससे सूबे में कम मार्जिन वाली 73 सीटों पर सारा सियासी दारोमदार आकर टिक गया है. इन 73 सीटों पर पिछले चुनाव में जीत का अंतर 10000 वोटों से कम था, जहां कुछ वोटों के हेरफेर से सत्ता का खेल ही बदल जाएगा. पिछले चुनाव के नतीजों को देखें तो कम मार्जिन वाली 73 सीटों में से 28 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. एनसीपी ने 15 तो कांग्रेस ने 12 सीटें और शिवसेना ने 5 सीटें जीती थी. इसके अलावा 13 सीटें अन्य और निर्दलीय ने जीती थी.
एक हजार से कम मार्जिन वाली पांच सीटें
2019 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत-हार का अंतर एक हजार से कम वोटों का था. ये सीटें- चांदीवली, अर्जुनी-मोरगांव, दौंड, संगोला और कोपरगांव था. शिवसेना और एनसीपी दो-दो सीटें जीती थी जबकि एक सीट बीजेपी ने जीती थी. चांदीवली सीट पर शिवसेना के दिलीप भाऊसाहेब लांडे सिर्फ 409 वोटों से जीते थे. अर्जुनी-मोरगांव सीट पर एनसीपी के चंद्रिकापुरे मनोहर गोवर्धन 718 वोट से जीते थे. दौंड विधानसभा सीट पर बीजेपी के राहुल शुभाषराव 746 वोटों से जीत दर्ज की थी. सोलापुर जिले की संगोला सीट पर शिवसेना के शाहजीबापू राजाराम पाटिल ने 768 वोट से विधायक बने थे. इसके अलावा कोपरगांव सीट पर एनसीपी के आशुतोष अशोकराव काले सिर्फ 822 वोट से जीत दर्ज किए थे.
एक से दो हजार वोट के अंतर वाली सीट
महाराष्ट्र की चार विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में एक हजार से दो हजार वोट के बीच का अंतर था. ये सीटें भिवंडी पूर्व, मुर्तिजापुर, मुक्ताईनगर और बीड है. भिवंडी पूर्व सीट पर सपा के राईस शेख 1314 वोटों से जीत दर्ज की थी. मुर्तिजापुर सीट पर बीजेपी के हरीश पिंपेल ने 1910 वोटों से जीत हासिल की थी. मुक्ताईनगर सीट पर निर्दलीय चंद्रकांट निंबा पाटिल ने 1957 वोटों से जीत दर्ज की थी. बीड सीट पर एनसीपी के संदीप रवींद्र श्रीसागर ने 1984 वोटों से जीत दर्ज कर विधायक चुने गए थे. इस तरह 1 हजार से दो हजार मार्जिन वाली चार सीटों में सपा, भाजपा, एनसीपी और निर्दलीय ने एक एक सीटें जीती थी.
पांच हजार के कम मार्जिन वाली सीटें
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 28 सीटें ऐसी रही है, जहां पर हार जीत का अंतर 2 हजार से पांच हजार वोटों के बीच था. ये सीटें धुले, नेवासा, रामटेक, भोकरदान, पुसद, हाडगांव, भोकर, नयगांव, डेगलर, मुखेड, उदगीर, अहमदपुर, शोलापुर सेंट्रल, शिरोल, कराड नॉर्थ, कराड साउथ, संगोला, महाडी, पुणे कैंट, मावल, चेंबूर, चांदीवली, माजलगांव, भांडुप, मलाड वेस्ट, डिंदोसी, नासिक सेंट्रल, दहानु और धुले सिटी विधानसभा है.
2019 में 2 हजार से 5 हजार के अंतर वाली सीटों में बीजेपी 12 सीटें जीतने में कामयाब रही थी तो एनसीपी ने छह सीटें जीती थी. कांग्रेस ने चार सीटों पर कब्जा जमाया था तो शिवसेना ने दो सीटें जीतने में सफल रहही थी. इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एक सीट धुले जीती थी तो बहुजन विकास आघाड़ी, भाकपा और निर्दलीय एक-एक सीटें जीती थी.
पांच से दस हजार के अंतर वाली सीटें
महाराष्ट्र के पिछले विधानसभा चुनाव में 35 सीटों पर जीत-हार का अंतर पांच हजार से 10 हजार वोट के बीच का था. ये सीटें-सहादा, सकरी, अकोटा, अमलनेर, चिखाली, सिनखेड़ राजा,धमनगांव रेलवे, अचलापुर, मोरसी, नागपुर वेस्ट, तुमसार, सकोली, अमगांव, चिमूर, रालेगांव, पुसाद, वर्सोया, उमरखेड, बसमाठ, कलवान, नासिक वेस्ट, कल्याण ग्रामीण, बांद्रा ईस्ट, उरन, जुनार,भोर, शिवाजीनगर, पुणे कैंट, गेवराई, करमाला, कोरेगांव, करद दक्षिण, हटकंगले और और सांगली विधानसभा थी.
2019 में जिन सीट पर जीत-हार का अंतर पांच से 10 हजार के बीच था, उसमें 14 सीटें बीजेपी ने जीती थी तो आठ सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था. छह सीटें एनसीपी, तीन सीटें निर्दलीय, एक सीट पर शिवसेना ने जीती थी तीन सीटों पर अन्य उम्मीदवार के खाते में गई थी. इस तरह कम मार्जिन वाली सीटों के सियासी समीकरण को समझा जा सकता है.
बदले समीकरण में बदलेगा चुनावी गेम
महाराष्ट्र का सियासी समीकरण पिछले चुनाव के लिहाज से इस बार काफी बदल गया है. गठबंधन का स्वरूप अलग-अलग है तो 2024 लोकसभा चुनाव के बाद गोदावरी से काफी पानी बह चुका है. हार के बाद एनडीए गठबंधन ने मुफ्त वाली सरकारी योजनाओं के लिए खजाना खोलकर वोटरों के दिल को जीतने की कवायद की है तो इंडिया गठबंधन यानि महा विकास अघाड़ी ने भी अपने सारे घोड़े खोल रखे हैं. बीजेपी नेतृ्त्व के सामने चुनौती मराठवाड़ा, पश्चिम महाराष्ट्र और मुंबई की सीटें हैं, जहां इंडिया गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में लीड हासिल की थी.लोकसभा चुनाव के दौरान 2019 के विधानसभा चुनाव में कम मार्जिन वाली सीटों पर दोनों गठबंधनों के बीच जबर्दस्त टक्कर हुई थी.
हालांकि, लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वोटिंग पैटर्न अलग-अलग होते हैं, लेकिन वोटों के आंकड़े आने वाले नतीजों का संकेत दे देते हैं. 2019 में जिन 73 सीटों पर हार-जीत का मार्जिन दस हजार से कम वोटों का था, उन सीटों पर कुछ वोटों के इधर-उधर होने से पूरा गेम बदल जाता है. महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में इस बार राजनीतिक हालात बदल गए हैं, पहले जहां दो गठबंधनों के चार दलों के बीच मुख्य मुकाबला होता था तो इस बाद 6 दल और दो गठबंधन है. ऐसे में कम मार्जिन वाली सीट किसी को डरा रही है कि तो किसी की उम्मीदे जगा रही है. ऐसे में देखना है कि इस बार क्या नतीजे रहते हैं?
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