Political – झारखंड में टिकट कटने से नाराज कई नेता हुए बागी, आखिर किसका बिगाड़ेंगे खेल?- #INA

अर्जुन मुंडा, रघुवर दास, बाबूलाव मरांडी और हेमंत सोरेन

झारखंड विधानसभा चुनाव में सभी की निगाहें बागी नेताओं पर टिकी हुई है. टिकट बंटवारे के बाद कई ऐसे नेता हैं जो बागी तेवर अख्तियार कर चुके हैं. कुछ ने तो दल भी बदलते हुए चुनावी ताल भी ठोक दी है. इसमें केवल एक दल नहीं बल्कि अलग-अलग दल के नेता शामिल है. अब बाकी नेताओं की वजह से बीजेपी, जेएमएम, कांग्रेस के सामने नई मुश्किल खड़ी हो गई है.

बीजेपी की बात करें तो टिकट कटने से नाराज होकर पूर्व मंत्री लुईस मरांडी ने बीजेपी छोड़ ,झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थाम चुकी हैं. जामा सीट से बीजेपी को ही हराने के लिए चुनावी अखाड़े में उतर गई हैं. बागी नेताओं की सूची में अगला नाम जमुआ के सिटिंग विधायक केदार हाजरा का है. उन्होंने भी बीजेपी से बगावत करते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा की सदस्यता ले ली है और अब बीजेपी की प्रत्याशी को मात देने के लिए चुनावी अखाड़े में उतर गए हैं. ऐसे नेताओं की सूची भी लंबी है जिन्होंने हाल के दिनों में बीजेपी छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा की सदस्यता ली है.

कई दिग्गज पहुंचा सकते हैं नुकसान

वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं की यह सूची लंबी है. चाहे बात पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की हो या पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की, कई दिग्गजों ने बीजेपी की सदस्यता ली है जो कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

बीजेपी नेता बोले- हमारी पार्टी एकजुट

टिकट कटने से नाराज होकर नेताओं के बागी बनकर दल-बदल और चुनाव में खेल बिगाड़ने के मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी के राज्यसभा सांसद और राज्य के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि हमारी पूरी पार्टी एकजुट है, सबका एक ही लक्ष्य है हेमंत सोरेन सरकार जो जनता की विरोधी है, आदिवासी विरोधी है. इस सरकार को उखाड़ फेकना है. बीजेपी में कहीं कोई नाराजगी नहीं है ना कोई नेता नाराज है ना ही कोई कार्यकर्ता. सभी के साथ संवाद करके.

उन्होंने आगे कहा कि एक ही लक्ष्य रखा गया है विकसित झारखंड बनाना है. डबल इंजन की सरकार लाना है. वहीं बीजेपी से बागी होकर पूर्व मंत्री डॉ लुईस मरांडी के झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल होने पर उन्होंने कहा कि एक राजनीति में एक दो ऐसे उदाहरण होते हैं जो पार्टी के द्वारा दिए गए सम्मान को भुलाते हुए अपने लाभ के लिए दूसरे दल में शामिल हो जाते हैं. ऐसे भी यह लोग चुनाव हारने वाले हैं एनडीए की सरकार झारखंड में बनने वाली है.

जेएमएम नेता महुआ माजी बोलीं- कोई किसी का खेल नहीं बिगाड़ सकता

बागी नेताओं द्वारा खेल बिगड़ने के मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा की राज्यसभा सांसद साथ में रांची विधानसभा सीट से प्रत्याशी महुआ माजी ने कहा कि कोई किसी का खेल नहीं बिगाड़ सकता है, क्योंकि जनता जिसके काम पर भरोसा करती है, उसी को वोट देती है. जनता ने पहले ही मन बना लिया है. हम लोग यानी इंडिया गठबंधन भारी बहुमत से जीत रही है, झारखंड में एक बार फिर हेमंत सोरेन की सरकार बन रही है.

जहां तक बात रही दल बदल की तो बीजेपी दूसरे पार्टी के नेताओं को तोड़-तोड़ के अपनी पार्टी में भर्ती की है. विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को अपने दल में प्रत्याशी नहीं मिलते हैं. दूसरे दल के नेताओं को तोड़कर अपने दल में शामिल करवाती है. विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन मजबूत हुई और चुनाव जीत रही है.

कांग्रेस बोली- खेल तो बीजेपी का बिगड़ेगा

वहीं, कांग्रेस पार्टी के झारखंड के मीडिया विभाग के चैयरमैन सतीश पॉल मुंजनी ने कहा कि दल बदल और बागी नेताओं के कारण भारतीय जनता पार्टी का ही खेल बिगड़ेगा. प्रत्याशियों की सूची उठाकर देखें तो बीजेपी में आधे से ज्यादा प्रत्याशी झारखंड मुक्ति मोर्चा या कांग्रेस से आए हैं जो उन्हें ही चुनाव में नुकसान पहुंचाएंगे.

उन्होंने आगे कहा कि हेमंत सोरेन सरकार के कामकाज से बीजेपी में खलबली मची है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,गृह मंत्री के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री और कई राज्यों के मुख्यमंत्री झारखंड आ रहे हैं. नुकसान किसको होने जा रहा है यह तो उनकी (बीजेपी) बेचैनी देखकर ही समझा जा सकता है.

आरजेडी बोली- सिंबल का महत्व होता है, व्यक्ति का नहीं

वहीं, इस मुद्दे पर झारखंड आरजेडी के विधानसभा चुनाव अभियान समिति के प्रभारी कैलाश यादव ने कहा कि दल बादल और नेताओं के बागी होने से सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी को ही इस चुनाव में नुकसान होने जा रहा है. हालांकि उन्होंने कहा कि किसी पार्टी और उसके सिंबल का महत्व बड़ा होता है ना कि किसी का व्यक्तिगत होता है. बागी नेताओं को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के द्वारा अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं. हालांकि बागी नेता किसका खेल बिगड़ेंगे यह तो चुनाव परिणाम के बाद 23 नवंबर को साफ हो पाएगा.

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