Political – ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का महाराष्ट्र से यूपी तक बीजेपी खेमे में ही बॉयकॉट, लेकिन झारखंड को पसंद आया नारा- #INA

सीएम योगी, अजित पवार, सीपी सिंह

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों “बटेंगे तो कटेंगे” का नारा दिया था. इन दिनों पूरे देश में यह नारा चर्चा का विषय बना हुआ है. योगी आदित्यनाथ के नारे के खिलाफ एनडीए फोल्डर के अंदर ही महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में विरोध देखा जा रहा है, एनडीए के सहयोगी अजित पवार के अलावा बीजेपी के कई नेताओं ने इस नारे पर आपत्ति जताई है.

इस नारे के खिलाफ आपत्ति दर्ज करने वालों में अजित पवार के साथ-साथ बीजेपी के सांसद और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, बीजेपी नेता पंकजा मुंडे के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य जैसे बड़े नेताओं ने किनारा किया है.

झारखंड में मंज से दोहराया जा रहा नारा

झारखंड की बात करें तो झारखंड में बीजेपी के तमाम नेता इसे चुनावी मंत्र मानकर इस नारे को दोहरा रहे हैं और इसे जायज ठहरा रहे हैं. बीजेपी के अलावा इस नारे का एनडीए गठबंधन में शामिल आजसू पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी(आर) या नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने भी कोई विरोध नहीं किया है. कई सार्वजनिक मंचों से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झारखंड में चुनाव प्रचार के दौरान जनसभा के दौरान इस नारे को मंच से दोहराने का काम किया है. “बटेंगे तो कटेंगे” के साथ-साथ “एक रहेंगे सेफ रहेंगे ” का नारा भी झारखंड में इन दिनों चुनावी सरगर्मियों के बीच एनडीए फोल्डर के नेताओं की तरफ से सुना जा रहा है.

इतना ही नहीं बीजेपी के दिग्गज नेता और रांची से लगातार सातवीं बार बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे राज्य के पूर्व मंत्री, पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान में रांची के विधायक सीपी सिंह ने तो बकायदा अपने आवास पर “बटेंगे तो कटेंगे ” के नारे वाली सेल्फी प्वाइंट लगाई. जहां राजधानी के बीजेपी कार्यकर्ता और आम लोग जाकर अपनी फोटो खिंचवाते हुए देखे जा रहे थे. बीजेपी नेता सीपी सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि हम आपस में बट गए थे इसीलिए देश के दो टुकड़े हो गए थे 1947 में देश का विभाजन हो गया था और भारत से कटकर पाकिस्तान अलग राष्ट्र बन गया था, बटे थे इसीलिए तो कट गए थे, एक साथ रहते तो पाकिस्तान नहीं बनता.

JMM और कांग्रेस कर रहे नारे का विरोध

योगी आदित्यनाथ के इस नारे का झारखंड के प्रमुख राजनीतिक दल झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और आरजेडी के नेताओं ने खुलकर विरोध किया. “बटेंगे तो कटेंग” के नारे को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की राज्यसभा सांसद और रांची की प्रत्याशी डॉ महुआ माजी ने यहां तक कह दिया कि बीजेपी का यह एक बड़ा एजेंडा है, धर्म के नाम पर लोगों को लड़वाओ पोलराइजेशन करो और वोट लो.

वहीं, दूसरी तरफ इस नारे का कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जब झारखंड में आए थे तो उन्होंने विरोध किया था, उन्होंने भी कहा था कि इस तरीके के नारे से समाज में विद्वेष फैलता है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे “बटेंगे तो कटेंगे” के जवाब में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने “डरेंगे तो मरेंगे, एक होकर देश को बचाएंगे ” का नारा दिया था. मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के प्रत्याशी डॉक्टर इरफान अंसारी के समर्थन में रैली को संबोधित करते हुए यह नारा दिया था. उन्होंने लोगों से कहा कि एक होकर देश बचाना है.

RJD ने बताया नारे को देश के लिए खतरनाक

इस नारे का लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के नेताओं ने भी खुलकर विरोध किया और इसे देश के लिए घातक और खतरनाक बताया. उन्होंने कहा कि देश को जोड़ने की बात करनी चाहिए ना कि तोड़ने की और देश को तोड़ने की इजाजत हमारा संविधान भी नहीं देता, भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहां हिंदू- मुसलमान, सिख- इसाई सब आपस में भाई-भाई हैं.

झारखंड चुनाव में नारा बना जीत का मंत्र

जहां एक तरफ महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक योगी आदित्यनाथ के नारे का इंडिया गठबंधन के साथ-साथ एनडीए फोल्डर में शामिल विभिन्न नेता खुलकर विरोध कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ झारखंड में योगी आदित्यनाथ का नारा ” बटेंगे तो कटेंगे ” को स्वीकार करते हुए नेताओं ने इसे झारखंड में विधानसभा चुनाव जीतने का एक मंत्र बना लिया है, जिसे अमूमन कई नेता मंच से दोहराते हुए देखे जा रहे हैं.

अब तक एनडीए फोल्डर में शामिल ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (AJSU), जनता दल यूनाइटेड (जदयू) या लोक जनशक्ति पार्टी और किसी के भी नेता ने इस बयान का विरोध नहीं किया है. या यूं कहे की झारखंड में एनडीए फोल्डर के सभी राजनीतिक दल इस नारे को चुनावी जीत का मंत्र मान रहे हैं, इसी नारी के साथ विधानसभा चुनाव की नैया पार लगाने में जुट गए हैं. झारखंड में इस बार के चुनाव में जो प्रमुख राजनीतिक मुद्दा है वह बांग्लादेशी घुसपैठ है, आदिवासियों की जनसंख्या का तेजी से घटना और संथाल की डेमोग्राफी बदलना एक बड़ा मुद्दा है. ऐसे में यह नारा झारखंड के चुनावी एजेंडा से काफी समानता रखता है.

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