Political – मुंबई की वर्ली सीट पर 2 बड़े राजनीतिक घरानों के वारिसों के बीच जंग, तय होगी ‘सेना’ की बादशाहत- #INA

मुंबई की वर्ली सीट पर 3 ‘सेना’ के प्रत्याशियों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर दिलचस्प मुकाबला हो रहा है. इसी में एक सीट मुंबई की प्रतिष्ठित वर्ली विधानसभा सीट है जहां के मुकाबले पर सभी की नजर लगी है. मुकाबला दो मजबूत राजनीतिक परिवारों के वारिसों के बीच है. साथ ही 34 साल से शिवसेना के दबदबे वाली वर्ली सीट 3 ‘सेना’ में से किस ‘सेना’ के हिस्से में जाती है, यह देखने वाली बात होगी.

1990 से लेकर अब तक 34 साल के राजनीतिक इतिहास में शिवसेना का वर्ली सीट पर इस कदर दबदबा रहा है कि उसे 7 में से महज एक चुनाव में शिकस्त का सामना करना पड़ा था. हालांकि करीब 2 साल पहले प्रदेश की सियासत की सबसे बड़ी हलचल तब हुई जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की तरह शिवसेना में फूट पड़ गई. साल 2022 में दिग्गज नेता एकनाथ शिंदे अपनी पार्टी के कई विधायकों को साथ लेकर शिवसेना से अलग हो गए. हालांकि उन्होंने अपनी पार्टी का नाम नहीं बदला और कानूनी जंग के बाद उनकी अगुवाई वाले गुट को असली शिवसेना मान लिया गया.

शिवसेना में टूट के बाद पहली बार चुनाव

शिवसेना टूटने के बाद राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. मुंबई की प्रतिष्ठित वर्ली सीट पर शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने आदित्य ठाकरे को मैदान में उतारा है. आदित्य शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के पोते और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे हैं. वह 2019 के चुनाव में शिवसेना के टिकट पर विजयी हुए थे. ऐसे में उनके सामने अपनी यह सीट बचाने की चुनौती है.

आदित्य ठाकरे के सामने शिवसेना (शिंदे) ने लंबे कयासों के बाद क्षेत्र के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा को उतारा है. हालांकि पहले यहां से भारतीय जनता पार्टी अपना प्रत्याशी खड़ा करना चाहती थी. लेकिन बाद में उसे अपना विचार बदलना पड़ा क्योंकि एनडीए गठबंधन में यह सीट शिवसेना (शिंदे) के खाते में चली गई.

34 साल की उम्र तक 2 बार सांसद बने मिलिंद

मिलिंद देवड़ा भी क्षेत्र में अपनी मजबूत हैसियत रखते हैं. वह 2 बार लोकसभा सांसद रहे हैं और अभी राज्यसभा से सांसद हैं. वह साल 2004 में महज 27 साल की उम्र में मुंबई दक्षिण लोकसभा सीट से पहली बार सांसद बने थे. तब उन्होंने 2 बार की सांसद और बीजेपी नेता जयंतिबेन मेहता को हराया. फिर 2009 वह दूसरी बार सांसद बने. दूसरी बार जीत के बाद 34 साल के मिलिंद केंद्र में यूपीए-2 में मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री भी बनाए गए.

मिलिंद ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले तक कांग्रेस में थे, लेकिन साल की शुरुआत में वह शिवसेना (शिंदे गुट) में चले आए. फिर में शिवसेना ने मिलिंद को राज्यसभा भेज दिया. लोकसभा चुनाव के दौरान मिलिंद ने वर्ली क्षेत्र में बतौर प्रभारी काम किया था.

ठाकरे परिवार के पहले प्रत्याशी

अब मिलिंद देवड़ा को वर्ली सीट पर आदित्य ठाकरे से मुकाबला करना है जो प्रदेश की सियासत की ताकतवर ठाकरे परिवार के वारिस हैं. वह बाला साहेब ठाकरे के पोते हैं. साल 2019 में अपने पहले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने में कामयाब रहे. महज 29 साल की उम्र में वह न सिर्फ वर्ली विधानसभा सीट से चुनाव जीते बल्कि अपने पिता उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्रीत्व काम में कैबिनेट मंत्री भी बने. वह ठाकरे परिवार के पहले ऐसे नेता हैं जो 2019 के चुनाव मैदान में उतरे थे.

वर्ली में शिंदे और ठाकरे शिवसेना के दोनों गुट अपनी चुनौती पेश कर रहे हैं तो राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने भी अपना मजबूत प्रत्याशी उतार दिया है जिससे मुकाबला रोमांचक हो गया है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने पार्टी महासचिव और प्रवक्ता संदीप देशपांडे को उतारा है. चूंकि वर्ली में मराठी वोटर्स की संख्या अच्छी-खासी है ऐसे में राज ठाकरे ने संदीप देशपांडे को उतारकर बड़ा दांव चला है. संदीप दादर इलाके से पार्षद रह चुके हैं और एक साल से भी ज्यादा समय से वर्ली क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं.

भतीजे के खिलाफ चाचा ने भी ठोकी ताल

राज ठाकरे पहली बार आदित्य ठाकरे के खिलाफ अपना उम्मदीवार उतार रहे हैं. 2019 में हुए पिछले चुनाव में राज ने आदित्य ठाकरे का समर्थन किया था और अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था. इससे पहले 2014 के चुनाव में उन्होंने वर्ली सीट से अपना उम्मीदवार उतारा था. हालांकि तब उनके प्रत्याशी को 5.68 फीसदी वोट ही मिले थे.

मुंबई और पुणे कोंकण क्षेत्र में आते हैं, और यहां पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) का दबदबा माना जाता है. यह जानते हुए भी एकनाथ शिंदे की कोशिश है कि आदित्य ठाकरे को यहां पर उलझाकर रोका जाए. वर्ली सीट पर 1990 से शिवसेना का दबदबा बना हुआ है. 2019 में आदित्य ने 65 प्रतिशत वोट हासिल की थी. 1990 से लेकर 2019 तक के चुनाव में शिवसेना को सिर्फ 2009 में कांग्रेस के सचिन अहिर के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. इसके अलावा 6 चुनावों में जीत मिली थी.

इसी तरह मिलिंद देवड़ा के परिवार का भी यह क्षेत्र गढ़ रहा है. देवड़ा परिवार का दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट पर प्रभाव माना जाता है और वर्ली सीट इसी के तहत आती है. पिता मुरली देवड़ा भी इस सीट से कई बार सांसद चुने गए थे. अब देखना होगा कि ठाकरे परिवार की वारिस आदित्य को अपने दूसरे चुनाव में किस तरह के परिणाम का सामना करना पड़ता है. वो भी तब जब एक ओर से शिवसेना का दूसरा गुट तो दूसरी ओर चाचा राज ठाकरे की ओर से चुनौती दी जा रही है.

Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link

Back to top button
Close
Log In
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science