Political – 25 फीसदी, 2 दर्जन सीटें… दिल्ली में पूर्वांचली वोटरों के पीछे का क्या है सियासी गणित?- #INA
दिल्ली चुनाव में पूर्वांचली वोटरों का मुद्दा एक बार फिर से गरम हो गया है
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेता गुरुवार को चुनाव आयोग पहुंचे थे. नेताओं ने दावा किया कि नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में 15 दिसंबर से 7 जनवरी के बीच केवल 21 दिनों के अंदर ही साढ़े 5 हजार वोट काटने और 13 हजार नए वोटरों को जोड़ने के आवेदन दिए गए. महज 1 लाख वोटरों वाली विधानसभा में ये बहुत बड़ा बड़ा आंकड़ा है. अचानक इतने लोग कहां गए और कहां से आ गए.
जाहिर सी बात है कि BJP यूपी और बिहार के लोगों को लाकर फर्जी वोट बनवा रही है. अरविंद केजरीवाल के इस बयान को भारतीय जनता पार्टी नेताओं ने हाथों हाथ लिया और कहा कि ये पूर्वांचली लोगों का अपमान है. बात केवल जुबानी जंग तक नहीं रही. बीजेपी नेता सड़कों पर उतारे और पानी की बौछारों के बीच अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.दूसरी ओर कांग्रेस को भी लगता है कि यही वो समय है जिसे पूर्वांचल वोटरों के मुद्दे को भुनाया जा सकता है. इसलिए वो इस मुद्दे पर अलग से बैटिंग कर रही है.
केजरीवाल कह रहे कोई मुद्दा ही नहीं
एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी इसे दिल्ली विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाना चाहती है तो वहीं अरविंद केजरीवाल का कहना है कि ये कोई मुद्दा ही नहीं है. भारतीय जनता पार्टी नेता उनके बयान को लेकर झूठ बोल रही है. आम आदमी पार्टी की सरकार ने पूर्वांचल के लोगों के लिए काम किया, कच्ची कालोनियों में विकास कर उनको सम्मान की जिंदगी दी. जबकि BJP ने सिर्फ धरना प्रदर्शन और अपमानित करने का काम किया.
दिल्ली की सियासत में छिपा है गणित
अब सवाल ये उठ रहा है कि अगर अरविंद केजरीवाल के लिए ये कोई मुद्दा ही नहीं है तो ये सफाई देनी क्यों पड़ रही है? तो इसका जवाब दिल्ली के राजनीतिक गणित में छिपा है. दिल्ली में तकरीबन 25 फीसदी पूर्वांचली वोटर हैं. जिसका असर तकरीबन 2 दर्जन विधानसभा सीटों पर पड़ता है. यानी इन सीटों पर पूर्वांचली वोटर हार और जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं यही वजह है कि कोई भी राजनीतिक दल इस तबके को कम-से-कम चुनाव से ठीक पहले नाराजकरने का जोखिम नहीं उठा सकती. इसलिए पूर्वांचली वोटरों को लुभाने के लिए खुद को सबसे बड़ा हितैषी जताने की कोशिश कर रहे हैं.
पूर्वांचली वोटर किधर जाते हैं 8 फरवरी को चलेगा पता
पिछले महीने स्थिति एकदम अलग थी. शीतकालीन सत्र के दौरान जेपी नड्डा के कथित तौर पर पूर्वांचली वोटरों की तुलना बांग्लादेशियों और रोहिंग्या से करने के मामले पर आम आदमी पार्टी ने BJP के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, लेकिन अब अरविंद केजरीवाल के ताजा बयान से BJP को पलटवार का मौका मिल गया है. हालांकि अब देखना होगा कि पूर्वांचल वोटर किसके दावों और वादों पर यकीन करते हैं जिसका पता 8 फरवरी को चलेगा.
25 फीसदी, 2 दर्जन सीटें… दिल्ली में पूर्वांचली वोटरों के पीछे का क्या है सियासी गणित?
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