Political -Delhi election 2025: अरविंद केजरीवाल का फिर से दिल्ली का CM बनने का सपना हो सकता है चकनाचूर! ED को केंद्र से मिली केस चलाने की मंजूरी – #INA

Delhi election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केजरीवाल के खिलाफ शराब घोटाला मामले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग में कथित संलिप्तता के लिए PMLA के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। सूत्रों के अनुसार, साथ ही AAP के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ भी मुकदमा चलाने को मंजूरी दी गई है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2021-22 शराब घोटाला मामले से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के लिए ईडी को केजरीवाल पर पीएमएलए के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। बाद में केजरीवाल के नेतृत्व वाली तत्कालीन AAP सरकार ने इस नीति को खत्म कर दिया था। यह कदम नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए उस फैसले के बाद उठाया गया है। कोर्ट ने कहा था कि ED को भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 (1) (अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 218) के तहत मुकदमा चलाने के लिए CBI की तरह पहले मंजूरी लेनी होगी।

हो चुके हैं गिरफ्तार

ED ने 56 वर्षीय केजरीवाल को पिछले साल मार्च में गिरफ्तार करने के बाद पीएमएलए अदालत के समक्ष उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। अधिकारियों ने पीटीआई को बताया कि गृह मंत्रालय (NHA) ने हाल में दिल्ली आबकारी नीति मामले में केजरीवाल पर PMLA कानून के तहत मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को आवश्यक मंजूरी दे दी है। ईडी के एक अधिकारी ने न्यूज 18 से पुष्टि है की, “हमें मनीष सिसोदिया के खिलाफ भी मंजूरी मिल गई है।”

यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब पांच फरवरी को दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। केजरीवाल को उनकी व्यक्तिगत हैसियत के साथ आप के राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते भी आरोपी बनाया गया है। ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री को दिल्ली में आबकारी घोटाले का ‘मुख्य साजिशकर्ता’ बताया था। आरोप है कि उन्होंने दिल्ली सरकार के मंत्री, आप नेताओं और अन्य लोगों के साथ मिलीभगत करते हुए इस काम को अंजाम दिया।

दिल्ली चुनावों पर क्या असर होगा?

विशेष अदालत 30 जनवरी को मामले की सुनवाई कर सकती है। ईडी द्वारा अपेक्षित दस्तावेज पेश करने के बाद आरोप तय करने पर जोर दिए जाने की संभावना है। एक बार आरोप तय हो जाने के बाद केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा शुरू हो जाएगा। केजरीवाल को पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी। सिसोदिया को एक महीने पहले जमानत दी गई थी। राहत देने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने देरी से सुनवाई को आधार बनाया था। अब, अगर मुकदमा शुरू होता है, तो बीजेपी प्रचार के आखिरी चरण में AAP के खिलाफ अपना अभियान तेज कर देगी।

कानूनी तौर पर भी मुकदमे के दौरान केजरीवाल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में वापसी करना मुश्किल हो सकता है। जमानत की शर्तों के कारण उन्हें सीएम की कुर्सी से हटना पड़ा, क्योंकि उन्हें सचिवालय या सीएमओ जाने से रोक दिया गया था। उन्हें किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर करने से भी रोक दिया गया था।

अगर पार्टी को फरवरी 2025 में जनादेश मिल जाता तो देरी से सुनवाई होने पर आप को जमानत की शर्तों में बदलाव के लिए अनुरोध करने का मौका मिल सकता था। केजरीवाल, सिसोदिया, दुर्गेश पाठक और अन्य पर दिल्ली में शराब के लाइसेंस के लिए साउथ ग्रुप के व्यवसायी से रिश्वत लेने का आरोप है। ईडी ने आरोप लगाया है कि इस रिश्वत के पैसे को गोवा में आप को चुनाव लड़ने में मदद करने के लिए इस्तेमाल किया गया था।

क्या है केजरीवाल पर आरोप?

केजरीवाल वर्तमान में जमानत पर बाहर हैं। चार्जशीट में ईडी ने दावा किया कि उन्होंने गोवा चुनाव में अभियान के लिए कुछ शराब व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए रिश्वत ली थी। जांच एजेंसी ने कहा था कि केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक और आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे धन और उत्पन्न धन के लिए जिम्मेदार थे।

केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर ‘साउथ ग्रुप’ नामक एक कार्टेल से रिश्वत लेने का आरोप है, जो राष्ट्रीय राजधानी में शराब की बिक्री और वितरण को नियंत्रित करता था। आरोप है कि ग्रुप ने कथित तौर पर 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार द्वारा तैयार की गई आबकारी नीति से फायदा उठाया। केजरीवाल और सिसोदिया दोनों फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।

ईडी ने कहा था कि केजरीवाल अपराध के समय कथित कंपनी जो कि AAP है, के ‘प्रभारी’ थे। इसलिए उन्हें और उनकी पार्टी को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत अपराधों का दोषी माना जाएगा और उन पर मुकदमा चलाते हुए उन्हें दंडित किया जाएगा। आबकारी मामला दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित अनियमितता और भ्रष्टाचार से जुड़ा है। इस नीति को रद्द किया जा चुका है।

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दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने कथित अनियमितताओं की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की सिफारिश की थी। इसके बाद ईडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया। सीबीआई द्वारा 17 अगस्त 2022 को दर्ज FIR का संज्ञान लेते हुए ईडी ने कथित अनियमितताओं की जांच के लिए 22 अगस्त 2022 को मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।

Delhi election 2025: अरविंद केजरीवाल का फिर से दिल्ली का CM बनने का सपना हो सकता है चकनाचूर! ED को केंद्र से मिली केस चलाने की मंजूरी


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