Political – Delhi Exit Poll: एग्जिट पोल छोड़िए, इन 5 आंकड़ों से समझिए किसकी बनेगी दिल्ली में सरकार?- #INA
5 आंकड़ों में समझिए दिल्ली में किसकी बनेगी सरकार?
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी या नरेंद्र मोदी की बीजेपी…दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर कौन जीत रहा है, इसको लेकर चुनाव बाद एग्जिट पोल (Exit Poll) के अलग-अलग नतीजे आ रहे हैं. मतगणना से पहले आने वाले एग्जिट पोल के आंकड़े बहुत कम ही मौके पर सही हुए हैं. ऐसे में आइए इन 5 आंकड़ों से समझते हैं कि असल में दिल्ली की लड़ाई कौन जीत रहा है?
1. कांग्रेस को 15 लाख वोट मिलने पर होगा खेल
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच सीधा मुकाबला है, लेकिन कांग्रेस पूरी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में जुटी है. आखिरी तक कांग्रेस ने दिल्ली के चुनाव में मोर्चा संभाले रखा. कांग्रेस अकेले दिल्ली की सभी 70 सीटों पर मैदान में उतरी है.
2013 के बाद कांग्रेस का मजबूत वोट बैंक आम आदमी पार्टी की तरफ शिफ्ट हो गया. 2008 के चुनाव में कांग्रेस को 24 लाख वोट मिले थे, जो 2013 में घटकर 19 लाख पर पहुंच गया. 2015 में कांग्रेस को 8 लाख और 2020 में 2 लाख वोट मिले. वहीं आम आदमी पार्टी को 2015 में 48.7 लाख और 2020 में 49 लाख वोट मिले.
आप ने जहां कांग्रेस के वोट बैंक पर कब्जा जमा लिया, वहीं केजरीवाल की लहर में छोटी-छोटी पार्टियां भी खत्म हो गई. कांग्रेस अगर इस बार मजबूत वापसी करती है और अपने पुराने वोट बैंक को हासिल कर लेती है तो आप की मुश्किलें बढ़ सकती है.
यानी कांग्रेस अगर 15 लाख के आसपास अपना वोट ले आती है, तो इसका सीधा नुकसान दिल्ली के दंगल में अरविंद केजरीवाल की पार्टी को होगा. कांग्रेस अगर 15 लाख से कम वोट लाती है तो आप के सेहत पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा.
2. दलित-मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी की नजर
दिल्ली में दलितों के लिए 12 सीट रिजर्व है. इसी तरह सीलमपुर और ओखला समेत 8 सीटें ऐसी है, जहां मुस्लिमों का दबदबा है. यानी कुल 20 सीटों का गणित दलित और मुस्लिम ही तय करते हैं. दिल्ली में 1998 से ही इन सीटों पर बीजेपी कोई खास असर नहीं डाल रही है.
इस बार दलित और मुस्लिम बहुल सीटों पर जीत के लिए बीजेपी ने बड़ी मोर्चेबंदी की है. एक तरफ जहां करौल बाग जैसी दलित सीटों पर पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दुष्यंत गौतम को मैदान में उतार दिया है. वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम बहुल मुस्तफाबाद से मोहन सिंह विष्ट मैदान में हैं.
दलित और मुस्लिम बहुल 20 सीटें कुल 70 का करीब 30 फीसद है, जो सरकार बनाने के लिए काफी अहम माने जाते हैं. बीजेपी अगर इन 20 सीटों पर बढ़िया प्रदर्शन करती है या इन इलाकों का वोट अन्य पार्टियों में बंटता है, तभी बीजेपी की राह आसान हो पाएगी.
3. स्विंग वोटरों पर सबकी नजर, जिधर जाएंगे उधर खेल
दिल्ली में करीब 15-20 फीसद स्विंग वोटर्स हैं, जो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग मुद्दों और पार्टियों को वोट करते हैं. चुनाव में यही खेल खराब भी करते हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत मिली, लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी पूरी तरह साफ हो गई.
2019 के चुनाव में भी इसी तरह के नतीजे देखने को मिले. 2020 में स्विंग वोटर्स फिर दूसरी तरफ शिफ्ट कर गए. सीएसडीएस के मुताबिक दिल्ली में सभी समुदाय के भीतर स्विंग वोटर्स हैं, जो हर चुनाव में अपना पाला और वोट देने का पैटर्न बदल लेते हैं. इस बार भी स्विंग वोटर्स जिधर जाएंगे, उसकी सरकार बनेगी.
4. महिलाएं और नए वोटर्स अहम फैक्टर बनकर उभरे
दिल्ली के चुनाव में महिलाएं और नए वोटर्स अहम फैक्टर बनकर उभरे हैं. इस बार का चुनाव प्रचार महिलाओं पर ही केंद्रित था. आम आदमी पार्टी ने महिलाओं के लिए कई बड़े वादे किए. इनमें 2100 रुपए प्रतिमाह की सम्मान राशि अहम है. इसी तरह नए वोटरों के लिए आप ने फ्री बस सर्विस का दांव चला है. कहा जा रहा है कि अधिकांश नए वोटर्स छात्र ही हैं.
बीजेपी भी नए वोटरों के साथ-साथ महिलाओं को साधने की पूरी कवायद की है. कांग्रेस ने भी फ्री गैस सिलेंडर और सम्मान राशि के जरिए महिलाओं को साधे रखा. दिल्ली के चुनाव में महिला वोटरों की संख्या करीब 67 लाख है, जिसमें से करीब 40 लाख के वोट पड़ने की संभावनाएं है.
इसी तरह दिल्ली में नए वोटरों की संख्या करीब 4 लाख है, जो 2024 लोकसभा चुनाव के बाद जुड़े हैं. हालिया महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के चुनाव में महिलाओं ने जिस पार्टी के समर्थन में एकतरफा वोट किया है, उसे ही जीत मिली है. दिल्ली में भी यही बात कही जा रही है.
5. पुराने आंकड़े भी पार्टियों के लिए सिरदर्द
दिल्ली की सीधी लड़ाई आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच है. आप 2013 में पहली बार मैदान में उतरी. आप 2015 में सबसे ज्यादा 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 2020 में आप को 62 सीटों पर जीत मिली थी. 2013 में आप को सबसे कम 28 सीटों पर जीत मिली थी.
दूसरी तरफ 2015 में बीजेपी को सबसे कम 3 सीटों पर जीत मिली थी. 2020 में 8 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. 2013 में बीजेपी को 32 सीटों पर जीत मिली थी. इससे ज्यादा पार्टी ने 1993 में 49 सीटों पर जीत हासिल की थी. 1998 में पार्टी को 15 सीटों पर जीत मिली थी.
2003 में 20 और 2008 में 23 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी.
Delhi Exit Poll: एग्जिट पोल छोड़िए, इन 5 आंकड़ों से समझिए किसकी बनेगी दिल्ली में सरकार?
देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,
#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,