Political – दिल्ली में टाइट हुई फाइट तो कौन मारेगा बाजी, क्या कहता है पिछले तीन चुनावों का ट्रेंड?- #INA

पीएम मोदी, अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी
दिल्ली चुनाव की वोटिंग की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे सियासी लड़ाई रोचक बनती जा रही. दिल्ली में इस बार का चुनाव एकतरफा मुकाबला नहीं है और न ही किसी के पक्ष में कोई हवा है. दिल्ली में एक-एक सीट पर चुनावी फाइट काफी टाइट दिख रही है, जिसके चलते दिल्ली चुनाव दिलचस्प बनता जा रहा है.
आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता पर अपना दबदबा बनाए रखने के लिए पूरा दम लगा रही है तो बीजेपी इस बार 27 साल के वनवास को तोड़ने की कवायद में है. कांग्रेस दिल्ली चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में जुटी है. इस तरह 2025 का दिल्ली विधानसभा चुनाव 2015 और 2020 के चुनाव से काफी अलग दिख रहा है. दिल्ली का चुनाव करीबी मुकाबले की तरफ बढ़ता है यानी चुनावी फाइट अगर टाइट होती है तो फिर राजधानी का सियासी गेम ही बदल जाएगा?
दिल्ली की डेढ़ दर्जन विधानसभा सीटों पर 2020 में जीत-हार का अंतर बहुत करीबी था. ये सीटें पिछले चुनाव में केजरीवाल की सरकार बनाने में निर्णायक साबित हुई थी. 2020 के चुनाव में कांटे की फाइट वाली सीटों में से आम आदमी पार्टी 13 सीटें जीती थी और बीजेपी ने चार सीटें जीती थी. इस बार दोनों ही पार्टियों ने इन सीटों में से कई सीटों पर अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं. पिछले तीन चुनाव के ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो कम अंतर वाली सीटें किसी की उम्मीद जगा रही हैं तो किसी की टेंशन बढ़ा रही हैं.
पिछले तीन चुनाव के वोटिंग पैटर्न
पांच साल पहले 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था, लेकिन 17 सीट पर हार-जीत का अंतर दस हजार से कम वोटों का रहा था. अगर वोट फीसदी के लिहाज से देखते हैं तो 13 सीटों पर हार जीत का अंतर 5 फीसदी से कम का था, जिसमें से 10 आम आदमी पार्टी और 3 सीटें बीजेपी ने जीती थी. 2015 में 6 सीटों पर 5 फीसदी से कम का अंतर रहा था जबकि 2013 में 27 सीटें थी.
वहीं, पांच से दस फीसदी के अंतर से जीतने वाली सीटें देखते हैं तो 2013 में 20 सीटें थी, जिसमें 13 AAP,7 बीजेपी और 1 कांग्रेस की सीट थी. 2015 में 7 सीटों पर हार जीत हुई थी, जिसमें 6 AAP और एक बीजेपी जीती थी. 2020 में 8 सीटों पर हार जीत हुई थी, जिसमें से 6 सीटें आम आदमी पार्टी और दो सीटें बीजेपी जीती थी. 10 से 15 फीसदी के बीच जीत-हार वाली सीटें देखें तो 2013 में 10, 2015 में 4 और 2020 में सीटें जीती थी. इस तरह 15 फीसदी से कम अंतर से 2020 में 38 सीटों पर हार जीत हुई थी, जिसमें 31 सीट AAP और 7 सीटें बीजेपी ने जीती थी.
2020 के चुनाव में रहा करीबी मुकाबला
दिल्ली के 2020 विधानसभा चुनाव का गहन विश्लेषण करते हैं तो बीजेपी को जिन 8 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, उनमें से 4 पर जीत का अंतर बहुत कम था. ये सीटें थीं करावल नगर, गांधी नगर , विश्वास नगर और बदरपुर सीट, जहां पर बीजेपी ने अपने प्रत्याशी को बदल दिया है. बीजेपी ने इन सीटों पर अपने नए चेहरे उतारे हैं. करावल नगर से विधायक मोहन सिंह बिष्ट को मुस्तफाबाद भेज दिया गया है और उनकी जगह कपिल मिश्रा को बीजेपी ने टिकट दिया है. गांधी नगर सीट से मौजूदा विधायक अनिल कुमार वाजपेयी की जगह पूर्व कांग्रेस मंत्री अरविंदर सिंह लवली को उतारा गया है.
आम आदमी पार्टी ने जिन 13 सीटों पर बहुत कम अंतर से 2020 में जीत दर्ज की थी, उसमें शाहदरा, कृष्णा नगर, छतरपुर, आरके पुरम, कस्तूरबा नगर, बिजवासन, नजफगढ़, त्रिनगर, शकूरबस्ती, शालीमार बाग, किराड़ी और आदर्श नगर सीट है. पार्टी ने उन 13 विधायकों में से 9 को बदल दिया है और नए चेहरे या फिर दूसरे दल से आए हुए मजबूत नेताओं को उतारा है. आम आदमी पार्टी ने सत्ता विरोधी लहर को काउंटर करने के मकसद से अपने जीते हुए विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरे पर दांव खेला है.
यह क्यों मायने रखता है
2020 में अपनी मजबूत जीत के बावजूद आम आदमी पार्टी को इस बार दिल्ली विधानसभा चुनावों में बनते करीबी मुकाबलें से सियासी टेंशन बढ़नी लाजमी है. 2015 की तुलना में 2020 के चुनाव में ज्यादा प्रत्याशियों ने 5 फीसदी से कम अंतर से जीत दर्ज की थी. 2020 में 17 फीसदी सीटों पर हार-जीत का अंतर दस हजार से कम वोटों का था. ज्यादा वोटों से जीत का अंतर निर्णायक जीत का संकेत देता है जबकि कम अंतर से जीतने वाली सीटों के संकेत कड़ी टक्कर की संभावना को जताता है. 2013, 2015 से 2020 तक जीत के अंतर में बदलाव हुआ है, यहां तक कि AAP की शानदार जीत के बावजूद 2025 के चुनावों में पार्टी के लिए एक चेतावनी के रूप में टेंशन बढ़ रही है.
पिछले चार विधानसभा चुनावों के नतीजों का विश्लेषण करते हैं तो कुल 280 सीटों में से 69 सीटों पर पांच प्रतिशत या उससे कम के अंतर से हार-जीत हुई थी. वहीं, 43 सीटें पांच से 10 फीसदी के बीच के अंतर से जीती गईं, जिसका अर्थ है कि सभी सीटों में से लगभग 40 प्रतिशत का फैसला 10 प्रतिशत से कम अंतर से हुआ. 2020 के विधानसभा चुनावों में 21 सीटों पर 10 प्रतिशत से कम का अंतर था. इस बार के चुनाव में अगर कुछ वोटर्स इधर से उधर हुए तो फिर सारा सियासी गेम ही बदल जाएगा. इसीलिए कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी पूरी ताकत लगाए हुए हैं.
दिल्ली में टाइट हुई फाइट तो कौन मारेगा बाजी, क्या कहता है पिछले तीन चुनावों का ट्रेंड?
देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,
#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,