Political -सनातन धर्म को लेकर केरल में छिड़ी नई बहस के बारे में जानते हैं आप? कौन हैं संत नारायण गुरु जिन्हें लेकर लेफ्ट से भिड़े BJP-कांग्रेस – #INA
करीब डेढ़ साल पहले तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन के एक बयान ने तहलका मचा दिया था। सनातन धर्म को लेकर दिए उनके आपत्तिजनक बयान ने पूरे देश की राजनीति में बवाल मचाया था। अब तमिलनाडु से सटे केरल में भी सनातन धर्म को लेकर एक ताजा विवाद खड़ा हो गया है। इस विवाद की जड़ में दिग्गज CPM नेता और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का बयान है। विवाद केरल के एक संत नारायण गुरु से जुड़ा हुआ है। अब इसे लेकर केरल की सत्ताधारी लेफ्ट और विपक्षी कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने हैं।
किस बयान से शुरू हुआ विवाद
दरअसल विवाद की शुरुआत नारायण गुरु की शिक्षाओं से जुड़ी शिवगिरी कांफ्रेस के दौरान हुई। इस कांफ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा-नारायण गुरु सनातन धर्म के पैरोकार नहीं थे और न ही वह इस मानते थे। वह एक ऐसे संत थे जिन्होंने इस धर्म को नष्ट किया और एक ऐसे धर्म का सृजन किया जो आधुनिक समाज की जरूरतों के मुताबिक हो। ऐसे में सनातन धर्म किस स्वरूप में समझा जाना चाहिए? यह कुछ और नहीं बल्कि जाति आधारित धर्म है जिसे नारायण गुरु ने चुनौती दी और उससे पार पाए। उन्होंने एक ऐसे नए मानवतावादी धर्म की वकालत की जो वक्त के साथ चलता हो।
केरल में ताकतवर थिया समुदाय
पिनाराई विजयन के इस बयान का विपक्षी बीजेपी और नेता प्रतिपक्ष (कांग्रेस लीडर) वीडी सतीशन ने विरोध किया है। कहा गया कि मुख्यमंत्री विजयन का यह बयान तमिलनाडु में दिए उदयनिधि स्टालिन के बयान का याद दिलाता है। इन सबके बीच यह भी माना जा रहा है कि विजयन ने यह बयान राज्य के थिया समुदाय वोटर्स को अपनी तरफ मोड़ने के लिए दिया गया है। दरअसल इस समुदाय के लोगों की नारायण गुरु में गहरी आस्था है। इस समुदाय की केरल में बहुलता है और राज्य की करीब 23 फीसदी आबादी इससे ताल्लुक रखती है। थिया समुदाय ओबीसी कैटगरी में आता है। इस समुदाय ने राज्य को दो मुख्यमंत्री दिए हैं। इनमें पिनाराई विजयन भी शामिल हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज वामपंथी नेता वीएस अच्युतानंद भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते थे।
बीजेपी ने कहा- हिम्मत है तो…
विजयन के इस स्टेटमेंट के विरोध में केरल बीजपी चीफ के. सुरेंद्रन ने सोशल मीडिया पोस्ट लिखा। उन्होंने कहा-मुख्यमंत्री विजयन का शिवगिरी में दिया स्टेटमेंट श्रीनारायण धर्म और गुरुदेव का अपमान है। गुरुदेव को सिर्फ समाज सुधारक के रूप में देखना संकीर्ण सोच है। गुरुदेव हिंदुओं में बेहद सम्मानित हैं और सनातन धर्म के विचारों का सपोर्ट करते और उन्हें बढ़ाते हुए 60 से ज्यादा किताबें लिखीं। क्या विजयन इसी स्वरूप में दूसरे धर्मों की आलोचना करने की हिम्मत रखते हैं? विजयन को सार्वजनिक रूप से माफ मांगनी चाहिए।
कांग्रेस नेता ने भी जताया विरोध
कांग्रेस नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन ने भी विजयन के बयान को गलत बताया है। सतीशन ने कहा-यह गलत स्टेटमेंट है क्योंकि सनातन धर्म में अद्वैत, तत्वमसि, वेद और उपनिषद जैसी सांस्कृतिक परंपराएं भी हैं। श्रीनारायण गुरु ने सनातन धर्म के औचित्य के बारे में भी बात की है। मुख्यमंत्री ने पूरे कॉन्सेप्ट को गलत तरीके से बताया है। उन्हें ऐसे स्टेटमेंट देकर हिंदुओं को RSS के कैंप में नहीं भेजना चाहिए।
कौन हैं संत नारायण गुरु?
नारायण गुरु 19वीं और 20वीं शताब्दी के बड़े संत, समाज सुधारक और फिलॉसफर हैं। उन्होंने केरल के समाज में जातीय व्यवस्था के खिलाफ सुधारवादी आंदोलन चलाया। नारायण गुरु ने अलग मंदिरों की स्थापना की थी जिससे सभी समाज के लोगों को मंदिरों में प्रवेश मिल सके। थिया समाज से ताल्लुक रखने वाले नारायण गुरु के विचारों से महात्मा गांधी भी प्रभावित थे। नारायण गुरु की अद्वैत सिद्धांत पर आधारित कविता ‘दैव दसकम’ केरल में सार्वजनिक प्रार्थना के रूप में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है।
लेफ्ट का सपोर्टर रहा है थिया समुदाय
जाति आधारित व्यवस्था में नारायण गुरु से प्रभावित थिया समाज लंबे समय से लेफ्ट पार्टियों का समर्थक रहा है। लेकिन बीते कुछ वर्ष के दौरान इस समाज का लेफ्ट पार्टियों से मोहभंग हुआ है। माना जा रहा है विजयन का बयान भी इस समाज के वोटरों को अपनी पार्टी की तरफ मोड़ने के लिए दिया गया है। हालांकि नारायण गुरु से जुड़े समाज सुधार संगठन SNDP Yogam में हमेशा कम्यनिस्टों का प्रभाव नहीं रहा है। केरल में योगम का बड़ा शैक्षिक नेटवर्क है। 1970 के दशक में इस संगठन द्वारा बनाई गई राजनीतिक पार्टी ने कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ का सपोर्ट किया था। वर्तमान में योगम की पॉलिटिकल विंग भारत धर्म जन सेना का बीजेपी के साथ गठबंधन है।
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