Political – दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की रडार में आए परवेश वर्मा कितने मजबूत?- #INA

दिल्ली के चुनावी संग्राम में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के निशाने पर परवेश वर्मा आ गए हैं. बीजेपी के पूर्व सांसद वर्मा पर बुधवार को वोट के बदले पैसे बांटने के आरोप लगे. अरविंद केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली से बीजेपी के संभावित सीएम चेहरा परवेश वर्मा ने महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए पैसे बांटे. इसका कुछ वीडियो फुटेज भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.

वहीं परवेश वर्मा का कहना है कि यह एक सामान्य मदद है, जो वे हमेशा करते हैं. वर्मा के समर्थन में बीजेपी भी उतर आई है. दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि हार के डर से अरविंद केजरीवाल इस तरह का आरोप लगा रहे हैं.

आम आदमी पार्टी के दावे और बीजेपी के विरोध के बीच सवाल उठ रहा है कि आखिर परवेश वर्मा अरविंद केजरीवाल के रडार पर क्यों हैं?

परवेश वर्मा का राजनीतिक करियर

दिल्ली के पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे परवेश वर्मा ने 2008 में सक्रिय तौर पर राजनीति में कदम रखा. 2013 में वर्मा को पहली बार महरौली विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया. वर्मा इस चुनाव में जीतकर विधानसभा पहुंच गए. 2014 में वर्मा को पश्चिमी दिल्ली लोकसभा से बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया.

इस चुनाव में वर्मा ने कांग्रेस के महाबल मिश्रा को करीब 5 लाख 78 हजार वोटों से पटखनी दी. 2019 में भी वर्मा इसी सीट से सांसद चुने गए. हालांकि, 2024 में उन्हें बीजेपी ने टिकट नहीं दिया. वर्मा इसके बाद दिल्ली की स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गए.

वर्मा के नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा है. इसकी वजह लगातार क्षेत्र में उनकी सक्रियता है. नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल खुद विधायकी का चुनाव लड़ रहे हैं.

परवेश वर्मा कितने मजबूत हैं?

परवेश वर्मा जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. राजधानी दिल्ली में जाट समुदाय की आबादी करीब 8 प्रतिशत है. दिल्ली की 8-10 विधानसभा सीटों को जाट वोटर्स सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं. यह कुल विधानसभा सीटों का करीब 10 प्रतिशत है.

परवेश वर्मा के पिता की जाटों में मजबूत पकड़ थी. 2007 में साहिब सिंह वर्मा के निधन के बाद प्रवेश राजनीति में आए. परवेश ने पश्चिमी दिल्ली से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई, लेकिन उनकी जगह बीजेपी ने जगदीश मुखी को टिकट दे दिया.

परवेश वर्मा को टिकट न मिलने के बाद जाट समाज के लोगों ने महापंचायत बुलाई थी. इस महापंचायत में जाट समुदाय के लोगों ने बीजेपी को सबक सिखाने की बात कही थी. इसके बाद जगदीश मुखी 2009 में पश्चिमी दिल्ली सीट से हार गए. हालांकि, समुदाय की इस बैठक से परवेश ने खुद को अलग कर लिया था.

फायर ब्रांड नेता की भी छवि

परवेश वर्मा की छवि एक फायर ब्रांड हिंदू नेता की भी है. 2019 में दिल्ली में सीएए आंदोलन के दौरान प्रवेश अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में आए थे. यह बयान सीएए आंदोलन कर रहे लोगों को लेकर वर्मा ने दिया था.

वहीं 2022 में वर्मा ने एक विशेष समुदाय के कारोबार को बायकॉट करने की भी अपील की थी. वर्मा ने कहा था कि आप लोग समुदाय से जुड़े लोगों से सामान न खरीदें.

दिल्ली में छठ से पहले साल 2023 में जल विभाग के एक अधिकारी से वर्मा के उलझने का वीडियो वायरल हुआ था. यह वीडियो खूब वायरल हो रहा था. वर्मा का कहना था कि दिल्ली में यमुना की झाग खत्म करने के लिए जल विभाग के अधिकारी खतरनाक केमिकल डाल रहे हैं.

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की रडार में आए परवेश वर्मा कितने मजबूत?

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