Political – मिशन 2025: राहुल गांधी की तबीयत से कहीं बिगड़ न जाए दिल्ली में कांग्रेस की सेहत- #INA

राहुल गांधी

दिल्ली विधानसभा चुनाव अब अपने पूरे उफान पर है और जनवरी के कड़ाके की ठंड में सियासी तपिश बढ़ गई है. अरविंद केजरीवाल पहले से ही अपनी पूरी फौज के साथ चुनाव प्रचार में जुटे हैं. वहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और असदुद्दीन ओवैसी की रैलियां शुरू होने के बाद राजनीतिक सरगर्मियां और भी बढ़ गई हैं.

ऐसे में राहुल गांधी की बिगड़ी तबीयत कहीं दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की सियासी सेहत को खराब ना कर दे. क्योंकि अस्वस्थ होने के कारण दिल्ली में उनकी दो रैलियां रद्द हो चुकी हैं. इस तरह से कांग्रेस के चुनावी कैंपेन पर सीधा असर पड़ रहा है. कांग्रेस के पास दिल्ली चुनाव में खोने के लिए भले ही बहुत कुछ ना हो, लेकिन अपने खिसके हुए सियासी जनाधार को दोबारा से हासिल करने के लिए पूरे दमखम के साथ कोशिश कर रही है.

कांग्रेस दिल्ली चुनाव में किसी भी स्तर पर कमजोर नहीं दिखना चाहती. आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेताओं के खिलाफ कांग्रेस ने सिर्फ मजबूत प्रत्याशी ही नहीं उतारे बल्कि, केजरीवाल के खिलाफ आक्रामक चुनाव प्रचार करने की भी रणनीति बनाई थी. इसीलिए कांग्रेस ने अपने सबसे बड़े चेहरे राहुल गांधी की दिल्ली में कई रैलियां कराए जाने की रूपरेखा बनाई थी.

सीलमपुर से किया था मिशन-दिल्ली का आगाज

राहुल गांधी ने सीलमपुर से मिशन-दिल्ली का आगाज किया था.राहुल ने सीलमपुर में जिस तरह से केजरीवाल पर आक्रामक हमला कर दिल्ली चुनाव अभियान को सियासी धार दिया था, तबसे कांग्रेस नेता लगातार आम आदमी पार्टी पर हमलावर हैं. राहुल गांधी की दिल्ली में लगातार तीन दिनों तक रैलियां कराने की रणनीति बनाई थी. राहुल गांधी बुधवार को सदर बाजार, गुरुवार को मुस्तफाबाद विधानसभा सीट और शुक्रवार को मादीपुर विधानसभा क्षेत्र में रैली का प्रोग्राम बनाया था.

सीलमपुर में हुई राहुल गांधी की रैली से कांग्रेसी खेमे में सियासी हलचल पैदा हुई थी और पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश दिख रहा था, जो कि अब धीमा पड़ने लगा है. इसकी वजह यह है कि राहुल गांधी अस्वस्थ हैं, जिसके चलते दिल्ली में उनकी दो रैलियां रद्द हो चुकी हैं. राहुल बिगड़ी तबीयत के चलते पहले बुधवार को सदर बाजार क्षेत्र में अपनी प्रस्तावित रैली में नहीं पहुंच पाए तो गुरुवार को मुस्तफाबाद की रैली में भी शामिल नहीं हो सके.

कर्नाटक रैली में भी नहीं शामिल हो सके राहुल गांधी

राहुल गांधी दिल्ली से पहले कर्नाटक के बेलगावी में हुई 21 जनवरी को कांग्रेस की ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान रैली’ में भी शामिल नहीं हो सके थे. शुक्रवार को दिल्ली के मादीपुर क्षेत्र में कांग्रेस की रैली है, जिसमें राहुल के शामिल होने पर अभी तस्वीर साफ नहीं है. माना जा रहा है कि आज की रैली में भी राहुल गांधी शिरकत नहीं करेंगे.

दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने बताया था कि राहुल गांधी बीमार हैं, इसलिए वह रैली में नहीं आ पाए. राहुल गांधी बीमार होने की वजह से दिल्ली की रैलियों में शिरकत नहीं किए. यादव ने बताया कि डॉक्टरों ने राहुल गांधी को आराम की सलाह दी है, इस वजह से वह सदर बाजार की रैली में शामिल नहीं हो पाए थे. खराब सेहत के चलते राहुल गांधी मुस्तफाबाद की रैली में शामिल नहीं हुए हैं और मादीपुर रैली में संशय बना हुआ है.

राहुल की तबीयत से कांग्रेस को नुकसान?

दिल्ली विधानसभा चुनाव के सियासी तपिश के बीच राहुल गांधी की तबीयत खराब हो गई है. डॉक्टर ने राहुल को आराम करने की सलाह दी है, जिसके चलते वो दिल्ली चुनाव प्रचार नहीं कर पा रहे हैं. राहुल गांधी की एक के बाद एक रैली रद्द हो रही है. दिल्ली में कांग्रेस की दो अहम सीटों पर रैलियां रद्द हुई हैं, जहां पर पार्टी काफी मजबूत स्थिति में चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस मुस्तफाबाद सीट पर मुख्य फाइट में मानी जा रही है. ऐसे में राहुल गांधी का मुस्तफाबाद न पहुंचना कांग्रेस को महंगा पड़ सकता है.

कांग्रेस दिल्ली के पिछले दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई है, लेकिन इस बार पूरे दमखम के साथ उतरी थी. यह एक सोची-समझी रणनीति है, क्योंकि कांग्रेस को लगता है कि अगर उसे भविष्य में बीजेपी के साथ सीधे मुकाबला करना है, तो उसके लिए उस पार्टी को हराना जरूरी है, जिसके उदय के साथ कांग्रेस को दिल्ली नुकसान हुआ है.

कांग्रेस दिल्ली में बीजेपी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी पर भी निशाना साध रही थी और उसकी तुलना बीजेपी से कर रही है. इसके चलते दिल्ली में सियासी हलचल बढ़ा दी है, लेकिन राहुल गांधी के बीमार पड़ जाने से दिल्ली में कांग्रेस के लिए चिंता बढ़ा दी है. कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान को बड़ा झटका लगा है. राहुल गांधी सीलमपुर की रैली से कांग्रेस को जोश मिला था, वो ठंडा पड़ रहा. ऐसे में कांग्रेस के उम्मीदों को बड़ा झटका लग सकता है.

2013 में दिल्ली की सत्ता से हुई बाहर

कांग्रेस दिल्ली की सत्ता से 2013 में बाहर हुई है, उसके बाद वापसी नहीं कर सकी. 2013 की हार के बाद कांग्रेस का सियासी जनाधार दिल्ली में लगातार घटा है. कांग्रेस 47 फीसदी वोटों से घटकर दिल्ली में साढ़े चार फीसदी वोट पर आ गई है. इस स्थिति में कांग्रेस अपने खोए हुए सियासी जनाधार को वापस पाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. कांग्रेस ने भले ही दिल्ली की 70 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हों, लेकिन फोकस 20 से 25 सीटों पर कर रखा है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का फोकस बादली, मुस्तफाबाद, सीलमपुर, कस्तूरबा नगर, सुल्तानपुर माजरा, ओखला, मटिया महल, सीमापुरी, बल्लीमरान और नांगलोई सीट पर है. कांग्रेस दिल्ली में अपने पारंपरिक मतदाताओं को वापस लाने पर भी फोकस कर रही है. दलित और अल्पसंख्यक समुदाय को लुभाने के लिए बड़े प्रयास किए जा रहे हैं. कांग्रेस दिल्ली चुनाव में 2020 में दिल्ली दंगों के जख्मों को कुरेद कर हरा कर रही है. इसके अलावा कोराना काल में तब्लीगी जमात को लेकर केजरीवाल के व्यवहार की याद ताज करा रहे हैं.

राहुल गांधी ने दिल्ली चुनाव अभियान का आगाज इस बार दंगा प्रभावित सीलमपुर से किया है. इससे पहले भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी राहुल गांधी हिंसा प्रभावित क्षेत्रों वाले रास्ते से गुजरे थे. कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवार अपने अभियान में इस मुद्दे को ज़ोरदार तरीक़े से उठा रहे हैं. कांग्रेस को लगता है कि राहुल गांधी का संविधान और समावेशिता पर जोर मुसलमानों के दिलों में गहराई से समा गया है और वे उन्हें अपने मुद्दों पर आवाज उठाने वाले सबसे मुखर व्यक्ति के रूप में देखते हैं.

राहुल गांधी का दिल्ली चुनाव के बीच बीमार हो जाने की वजह से कांग्रेस की सारी रणनीति गड़बड़ाती नजर आ रही है. दिल्ली में राहुल गांधी की कई रैलियां और रोडशो का प्लान बनाया गया है, लेकिन गांधी चुनाव के बीच गांधी के बीमार होने से उसे झटका लगा है. कांग्रेस के तमाम प्रत्याशी जो राहुल गांधी की रैली से अपनी सियासी नैया पार की उम्मीद लगाए थे, उनके चेहरे पर भी मयूसी दिखने लगी है. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस क्या रणनीति अपनाती है?

मिशन 2025: राहुल गांधी की तबीयत से कहीं बिगड़ न जाए दिल्ली में कांग्रेस की सेहत


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