Political – दिल्ली में इस बार AAP का नो-रिपीट फॉर्मूला, बीजेपी के नक्शेकदम पर चल रहे केजरीवाल?- #INA

अरविंद केजरीवाल
दिल्ली की सत्ता पर लगातार चौथी बार अपना कब्जा जमाने के लिए आम आदमी पार्टी एक नए सियासी प्रयोग के साथ उतरी है. AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल चुनाव ऐलान से पहले उम्मीदवारों के नाम ही घोषित नहीं कर रहे हैं बल्कि उन्होंने बीजेपी के विनिंग फार्मूले ‘नो-रिपीट’ को आजमाने का भी दांव चला है. आम आदमी पार्टी ने दो लिस्टों में 31 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं और आधे से ज्यादा अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर उनकी जगह पर नए चेहरों को मौका दिया है.
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पहले 11 और उसके बाद 20 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है. इस तरह केजरीवाल ने कुल 70 विधानसभा सीटों में से 31 सीटों पर टिकट घोषित कर दिए हैं. मनीष सिसोदिया और राखी बिड़लान की सीट बदल दी गई है तो 18 मौजूदा विधायकों के टिकट अभी तक काटे गए हैं. इतनी बड़ी संख्या में आम आदमी पार्टी ने कभी दिल्ली में अपने विधायकों के टिकट नहीं काटे हैं. अभी तक इस तरह से बीजेपी ही कदम उठाती रही है.
बीजेपी के नक्शेकदम पर AAP
एंटी-इनकंबेंसी को काउंटर करने के लिए बीजेपी अपने मौजूदा विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरों को उतारती रही है. बीजेपी ने सबसे पहले यह प्रयोग गुजरात में किया था और उसके बाद से धीरे-धीरे हर राज्य में बड़ी संख्या में विधायकों का टिकट काटती रही है और उनकी जगह पर नए प्रत्याशी उतारती रही है. गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान ही नहीं हरियाणा में इसी दांव से बीजेपी सियासी बाजी अपने नाम करने में कामयाब रही थी. 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने काफी संख्या में अपने मौजूदा सांसदों का टिकट काटा था और नए चेहरों पर भरोसा जताकर सत्ता विरोधी लहर को मात देने में सफल रही.
बीजेपी के नो-रिपीट फार्मूले को आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के ‘सियासी महाभारत’ में आजमाने का दांव चला है. आम आदमी पार्टी ने इस बार सभी सीटों पर सर्वे कराया है और पार्टी के जिन विधायकों की रिपोर्ट पक्ष में नहीं है, उनके टिकट काट रही है. 2013 से लगातार दिल्ली की सत्ता पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है, जिसके चलते एंटी-इनकंबेंसी का डर सता रहा है. ऐसे में अरविंद केजरीवाल अपने मौजूदा विधायकों की टिकट काटने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखा रहे हैं और अभी तक घोषित किए 31 सीटों में से 18 विधायक के टिकट काटे हैं, जो करीब 45 फीसदी होता है.
दूसरी लिस्ट में नए चेहरे उतारे
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सभी सीटों का सर्वे कर इस बात पर गौर किया है कि किस सीट पर कौन से जातिगत समीकरण और किस चेहरे पर दांव लगाना फिट बैठेगा. इन सब पर विचार करते हुए आम आदमी पार्टी की दूसरी लिस्ट में सभी विधानसभा में नए चेहरे उतारे गए हैं. अब तक घोषित 31 उम्मीदवारों में 18 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जा चुके हैं. इसके चलते आम आदमी पार्टी के मौजूदा विधायकों के बीच बेचैनी बढ़ गई है. साथ ही यह भी चर्चा शुरू है कि केजरीवाल ने इतना बड़ा फैसला क्या सोचकर लिया है.
आम आदमी पार्टी का इतिहास
अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के सियासी मैदान में पहली बार 2013 के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई था. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के सभी नए नवेले चेहरे चुनावी मैदान में उतरे थे. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई थी. सरकार कुछ ही दिनों तक चल थी. इसके बाद 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने सिर्फ जंगपुरा सीट पर विधायक का टिकट काटा था जबकि बाकी सीटों पर पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया था.
2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 16 सीटों पर अपने उम्मीदवार बदले थे. केजरीवाल ने जिस सीट पर टिकट काटे थे, उसमें ज्यादातर सीट पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी. इस बार आम आदमी पार्टी ने पिछली बार से ज्यादा विधायकों के टिकट अभी तक काटे हैं. 31 सीटों पर टिकट घोषित किए हैं, जिसमें से 18 मौजूदा विधायकों का पत्ता कट चुका है और दो विधायकों की सीट बदल दी गई है. सूबे की 39 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान बाकी है.
क्या है केजरीवाल की स्ट्रैटेजी?
केजरीवाल के टिकट वितरण का अब तक का ट्रेंड यही संकेत दे रहा है कि इस बार आम आदमी पार्टी दिल्ली की आधी से ज्यादा सीटों पर अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है और कई मौजूदा विधायकों की सीटें बदल सकती है. केजरीवाल अपने उम्मीदवारों को बदलकर उनके खिलाफ पब्लिक की नाराजगी को कम या पूरी तरह खत्म करने की स्ट्रैटेजी है.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के कई विधायकों के लिए यह चौथा चुनाव है. इसके चलते धीरे-धीरे उनके खिलाफ आम लोगों से लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी साफ तौर पर देखी जा सकती है. आम आदमी पार्टी की पहली लिस्ट, बाहर से आए नेताओं को एडजस्ट करने की तरकीब मालूम पड़ रही थी. दिल्ली एमसीडी का चुनाव भी याद होगा जब बीजेपी ने अपने किसी भी वर्तमान पार्षद को टिकट नहीं देने का फैसला किया था. पार्टी को इसका फायदा भी मिला थे. इसी तरह आम आदमी पार्टी भी दांव चल रही है.
माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी किसी ऐसे चेहरे को चुनाव नहीं लड़ाना चाहती जो सिर्फ पार्टी के दम पर ही चुनाव लड़ना चाहते हैं. अब तक जारी दो लिस्ट में अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस और बीजेपी के कई पूर्व विधायकों को मौका दिया है. पार्टी की इस रणनीति के पीछे माना जा रहा है कि पार्टी के अपने वोट बैंक के साथ ही इन नेताओं के अपने जनाधार को भी साधने की स्ट्रैटेजी बनाई है. इस बार पार्टी के पक्ष में 2020 जैसा माहौल नहीं है ऐसे में मुकाबला कड़ा होगा. इन सब बातों को ध्यान में रखकर ही केजरीवाल नो रिपीट फॉर्मूले को आजमा रहे हैं.
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