Political – देश के वो तीन प्रधानमंत्री जिनका दिल्ली में नहीं हुआ अंतिम संस्कार, एक कांग्रेसी भी- #INA

वीपी सिंह, मोरारजी देसाई और पीवी नरसिम्हा राव

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और स्मारक को लेकर सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार ने मनमोहन के अंतिम संस्कार में परंपरा का पालन नहीं किया. कांग्रेस की मांग मनमोहन के अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए जमीन मुहैया कराने की थी.

हालांकि, देश की सियासत में यह पहली बार नहीं है, जब किसी प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार सुर्खियों में है. पहले भी 3 ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं, जिनका अंतिम संस्कार दिल्ली से बाहर हुआ है. उनमें दो को तो स्मारक बनाने तक की जगह नहीं मिली.

फेहरिस्त में नरसिम्हा राव का नाम टॉप पर

1991 से 1996 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे पीवी नरसिम्हा राव का निधन दिसंबर 2004 में हुआ था. उस वक्त दिल्ली में मनमोहन सिंह की नई-नई सरकार बनी थी. राव के परिवार दिल्ली में ही उनका अंतिम संस्कार करना चाह रहे थे, लेकिन कांग्रेस से जुड़े बड़े नेता राव का अंतिम संस्कार दिल्ली की बजाय हैदराबाद में करवाना चाह रहे थे. दिल्ली में इसको लेकर काफी माथापच्ची हुई.

विनय सीतापति अपनी किताब ‘हाल्फ लायन: नरसिम्हा राव’ में लिखते हैं- 24 दिसंबर 2004 को मनमोहन सिंह ने राव के बेटे से उनके अंतिम संस्कार के बारे में जानकारी ली तो राव के बेटे का कहना था कि पिता प्रधानमंत्री रहे हैं और परिवार की चाहत दिल्ली में ही उनका अंतिम संस्कार करने की है.

मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू के मुताबिक सिंह भी राव का अंतिम संस्कार दिल्ली में ही कराना चाह रहे थे, लेकिन पार्टी नेताओं के दबाव की वजह से वे कुछ नहीं बोल पाए.

आखिर में आंध्र प्रदेश के कद्दावर कांग्रेसी वाईएस रेड्डी की पहल पर सिंह का अंतिम संस्कार दिल्ली की बजाय हैदराबाद में किया गया. कांग्रेस शासन के दौरान दिल्ली में राव के मेमोरियल बनाने की बात कही गई थी, लेकिन वह भी पूर्ण नहीं हो पाया.

इलाहाबाद में हुआ वीपी का अंतिम संस्कार

1989 से 1990 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे वीपी सिंह का निधन साल 2008 में दिल्ली में ही हुआ था. सिंह के दिल्ली में अंतिम संस्कार की चर्चा शुरू हुई, लेकिन आखिर में उन्हें इलाहाबाद ले जाया गया. कहा जाता है कि उस वक्त परिवार की इच्छा की वजह से मांडू के राजा का अंतिम संस्कार प्रयागराज में संगम के किनारे किया गया.

राव का अंतिम संस्कार तो राजकीय सम्मान के साथ किया गया, लेकिन सरकार के तरफ से कैबिनेट मंत्री के रूप में एक प्रतिनिधि को यहां भेजा गया था. उस वक्त सिंह के अंतिम संस्कार में मंनमोहन सरकार में मंत्री सुबोधकांत सहाय गए थे.

अंतिम संस्कार के बाद सिंह के स्मारक बनाने की भी बात कही गई, लेकिन यह दिल्ली में नहीं बन सका. साल 2023 में एमके स्टालिन की सरकार ने तमिलनाडु में वीपी सिंह की भव्य प्रतिमा लगवाई है.

वीपी को कांग्रेस का धुर विरोधी नेता माना जाता था. 1989 में राजीव गांधी के खिलाफ वीपी ने मोर्चेबंदी की थी.

साबरमती के तट पर मोरारजी का संस्कार

1977 से 1979 तक प्रधानमंत्री रहे मोरारजी देसाई का निधन साल 1995 में मुंबई के जसलोक अस्पताल में हुआ था. मोरारजी के परिवार की इच्छा की वजह से साबरमती के तट पर उनका अंतिम संस्कार कराया गया. मोरारजी के अंतिम संस्कार में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव पहुंचे थे.

अंतिम संस्कार के बाद मोरारजी का अस्थि कलस दिल्ली लाया गया था. उस वक्त उनके अलग से स्मारक बनाने की बात कही गई थी. हालांकि, मोरारजी का स्मारक नहीं दिल्ली में नहीं बन पाया.

इन प्रधानमंत्रियों का दिल्ली में अंतिम संस्कार

जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, चंद्रशेखर, चौधरी चरण सिंह, राजीव गांधी, आईके गुजराल और अटल बिहारी वाजपेयी का अंतिम संस्कार दिल्ली में ही हुआ. इनमें नेहरू, शास्त्री, इंदिरा, चौधरी चरण, चंद्रशेखर, राजीव गांधी और अटल बिहारी को अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए अलग से जगह दी गई.

इन प्रधानमंत्रियों के अलावा संजय गांधी का भी अंतिम संस्कार राजघाट पर ही हुआ था. संजय लोकसभा के सांसद और कांग्रेस के महासचिव थे.

देश के वो तीन प्रधानमंत्री जिनका दिल्ली में नहीं हुआ अंतिम संस्कार, एक कांग्रेसी भी


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