Political -'जब वे बोलते हैं, तो लोग सुनते हैं': ओबामा से लेकर मर्केल तक, डॉ. मनमोहन सिंह के बारे में वैश्विक नेताओं ने क्या कहा? – #INA

Manmohan Singh Death News: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और श्रीलंका सहित दुनिया भर के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। नेपाल, मालदीव तथा अफगानिस्तान सहित पड़ोसी देशों के नेताओं ने भी सिंह के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उनके योगदान और सिंह के साथ उनके देशों के मधुर संबंधों को याद किया। अमेरिका ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है। विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने उन्हें दोनों देशों की द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी के सबसे बड़े समर्थकों में से एक बताया।

भारत में आर्थिक सुधारों के पुरोधा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार (27 दिसंबर) रात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। सिंह के निधन पर भारत के लोगों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हुए ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु सहयोग समझौते को आगे बढ़ाने में पूर्व प्रधानमंत्री का नेतृत्व अमेरिका-भारत संबंधों की क्षमता में एक बड़े निवेश का प्रतीक है।

पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार और भारत के लोगों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हुए, ‘यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल’ के अध्यक्ष अतुल केशप ने कहा कि सिंह ने अमेरिका-भारत संबंधों को आगे बढ़ाने और आधुनिक बनाने तथा दोनों लोकतंत्रों को रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी अभिसरण के स्थिर पथ पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

‘यूएस इंडिया स्ट्रैटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम’ (यूएसआईएसपीएफ) के बोर्ड ने कहा कि सिंह का दृष्टिकोण, शिक्षाएं और नेतृत्व भावी पीढ़ियों के लिए सबक होंगे। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री एक विद्वान, राजनेता और सम्मानित नेता थे तथा उन्होंने अपना जीवन राष्ट्र की सेवा और एक अरब से अधिक भारतीयों के जीवन को समृद्ध बनाने के लिए समर्पित कर दिया।

कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने कहा कि उन्हें अपने पूर्व सहयोगी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। उन्होंने कहा, “वह असाधारण बुद्धिमत्ता, ईमानदारी और ज्ञान के धनी व्यक्ति थे। लॉरेन और मैं उनके परिवार और दोस्तों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं।”

थिंक-टैंक ‘ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूट’ की तन्वी मदान ने कहा, “अगर भारत और अमेरिका ने इतिहास की कुछ झिझक दूर की हैं, तो डॉ. मनमोहन सिंह को इसका काफी हद तक श्रेय दिया जाना चाहिए। आज, लोग गहरे समुद्र से लेकर अंतरिक्ष तक सहयोग की बात करते हैं। यह उन जोखिमों के बिना संभव नहीं होता, जिन्हें वह उठाने को तैयार थे।” इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के उपाध्यक्ष जॉर्ज अब्राहम ने कहा कि सिंह को भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए याद किया जाएगा।

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने एक पोस्ट में कहा कि एक दूरदर्शी नेता और असाधारण राजनेता डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से गहरा दुख हुआ। उनके परिवार और भारत के लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। वहीं, मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने कहा कि मनमोहन सिंह के निधन की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ। मुझे उनके साथ काम करना हमेशा अच्छा लगता था और वह एक दयालु पिता की तरह थे। वह मालदीव के अच्छे मित्र थे।

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने उन्हें एक दूरदर्शी अर्थशास्त्री और भारत के आर्थिक सुधारों के जनक कहा। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा कि भारत ने अपने सबसे शानदार पुत्रों में से एक को खो दिया है।

डॉ. मनमोहन सिंह के बारे में वैश्विक नेताओं ने क्या कहा?

पूर्व जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे डॉ. मनमोहन सिंह को अपना गुरु या मार्गदर्शक मानते थे। पूर्व जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने भी आर्थिक मुद्दों पर डॉ. सिंह की सलाह ली थी। उन्होंने कथित तौर पर 2013 में यूरोजोन संकट बैठक के दौरान डॉ. सिंह की मदद मांगी थी।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा डॉ. सिंह के बड़े प्रशंसक हैं। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान डॉ. सिंह को “बुद्धिमान, विचारशील और ईमानदारी से काम करने वाला” कहा था। साथ ही ओबामा ने डॉ. सिंह को “ऐतिहासिक व्यक्ति” कहा था।

2010 में कनाडा के टोरंटो में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान बोलते हुए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने डॉ. मनमोहन सिंह के लिए कहा था, “मैं आपको बता सकता हूं कि यहां जी-20 में जब प्रधानमंत्री बोलते हैं, तो लोग सुनते हैं।”

वर्ष 2008 में अमेरिका के साथ भारत का ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौता विदेश नीति के क्षेत्र में मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल का गौरवशाली क्षण बना रहेगा। इस ऐतिहासिक समझौते ने न केवल देश के साथ परमाणु भेदभाव को समाप्त किया। बल्कि वैश्विक पटल पर एक अनुकूल भू-राजनीतिक संरचना का भी निर्माण किया।

तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस ऐतिहासिक समझौते के भविष्य के परिणामों के बारे में इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने इसे मजबूती से आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प दिखाया। हालांकि, इस परमाणु समझौते को लेकर संसद में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान उनकी सरकार का अस्तित्व दांव पर लगा हुआ था।

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सिंह के नेतृत्व में असैन्य परमाणु समझौते ने अमेरिका के साथ भारत के समग्र संबंधों को बदल दिया। इसने विशेष रूप से भारत-अमेरिका के बीच परमाणु ऊर्जा अनुसंधान के क्षेत्र में उच्च प्रौद्योगिकी और रक्षा के क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।

'जब वे बोलते हैं, तो लोग सुनते हैं': ओबामा से लेकर मर्केल तक, डॉ. मनमोहन सिंह के बारे में वैश्विक नेताओं ने क्या कहा?


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