Political – दिल्ली में सपा के अयोध्या वाले विनिंग फॉर्मूले के भरोसे BJP-कांग्रेस, क्या चख पाएंगे जीत का स्वाद?- #INA
दिल्ली विधानसभा चुनाव सपा के फॉर्मूले का इस्तेमाल
दिल्ली विधानसभा चुनाव की लड़ाई काफी रोचक होती नजर आ रही है. बीजेपी और आम आदमी पार्टी सत्ता पर काबिज होने की लड़ाई लड़ रही हैं तो कांग्रेस उसे त्रिकोणीय बनाने में जुटी है. ऐसे में दिल्ली की सियासत में नए-नए सियासी प्रयोग किए जा रहे हैं. कांग्रेस और बीजेपी ने सपा के अयोध्या वाले विनिंग फॉर्मूले का सियासी एक्सपेरिमेंट किया है, लेकिन सवाल यही है कि क्या सपा की तरह ही जीत का स्वाद चख पाएंगीं या फिर नहीं?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने अपने-अपने सिपहसलार उतार दिए हैं. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सभी 70 सीट पर कैंडिडेट उतारे हैं. जबकि, बीजेपी 68 सीट पर चुनाव लड़ रही है. दिल्ली में सीट के जातीय समीकरण के लिहाज से टिकट दिए हैं, साथ ही एक सियासी प्रयोग किया गया है. सामान्य सीट पर दलित प्रत्याशी उतारने का दांव चला गया है. जिस तरह से सपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट पर अवधेश प्रसाद पर दांव खेला था.
दिल्ली की कुल 70 विधानसभा सीटों में से 12 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने 12 सुरक्षित सीटों पर दलित उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन बीजेपी, कांग्रेस और बसपा ने परंपरागत पैटर्न से हटते हुए एससी रिजर्व सीटों के साथ तीन सामान्य सीटों पर भी अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है. वहीं, आम आदमी पार्टी ने सिर्फ रिजर्व सीट तक ही दलितों को रखा है.
बीजेपी ने दो सामान्य सीट पर दलित उतारे
बीजेपी ने दिल्ली की 14 विधानसभा सीटों पर दलित समुदाय से प्रत्याशी उतारे हैं. बीजेपी ने दिल्ली की 12 रिजर्व सीटों पर दलित समाज से कैंडिडेट उतारे हैं. दो जनरल सीटों पर दलित प्रत्याशी दिए हैं. बीजेपी ने मटिया महल सीट पर दीप्ति इंदौरा और बल्लीमरान सीट पर कमल बागड़ी को उम्मीदवार बनाया है. इन दोनों सामान्य सीटों पर बीजेपी ने दलित प्रत्याशी उतारे हैं.
बीजेपी ने दीप्ति इंदौरा को 2022 के नगर निगम चुनाव में भी मटिया महल वार्ड से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वो आम आदमी पार्टी के किरनबाला से हार गईं थी. वहीं, बीजेपी के उसके दूसरे उम्मीदवार बागड़ी बल्लीमारान विधानसभा सीट के तहत आने वाले रामनगर वार्ड से पार्टी के पार्षद चुने गए थे. इस तरह से बीजेपी ने अपने दोनों दलित नेताओं को मुस्लिम बहुल माने जाने वाली सीट पर उम्मीदवार बनाकर नया सियासी प्रयोग किया है.
कांग्रेस ने भी खेला सामान्य सीट पर दलित दांव
कांग्रेस इस बार विधानसभा चुनाव में पूरे दमखम के साथ किस्मत आजमा रही है. कांग्रेस ने सभी आरक्षित 12 सीटों पर दलित समाज से प्रत्याशी उतारने के साथ-साथ सामान्य विधानसभा क्षेत्र नरेला से अरुणा कुमारी के रूप में दलित प्रत्याशी पर दांव खेला है. अरुण कुमार नगर निगम में पार्षद रह चुकी हैं. इस तरह कांग्रेस ने भी दलित दांव खेलकर दिल्ली के चुनाव में नरेला जैसी सीट को फतह करने के दांव चला है.
बीजेपी और कांग्रेस की तरह बसपा ने भी दलित रिजर्व सीटों के साथ-साथ सामान्य वर्ग की माने-जाने वाली सीटों पर दलित प्रत्याशी को उतारा है. बसपा ने सामान्य वर्ग की मानी जाने वाली ओखला विधानसभा सीट पर दलित समाज से आने वाले सतीश कुमार को प्रत्याशी बनाया है, जो वाल्मिकी समुदाय से आते हैं और पार्टी कैडर से जुड़े रहे हैं. इसी तरह सीलमपुर से दीपक कुमार और कई अन्य सामान्य सीट पर दलित प्रत्याशी उतारे हैं.
अयोध्या में सपा का विनिंग फार्मूला रहा
2024 के लोकसभा चुनाव में सपा ने यूपी में सामान्य मानी जाने वाली अयोध्या जिले के तहत आने वाली फैजाबाद और मेरठ विधानसभा सीट पर दलित समाज के प्रत्याशी उतारे थे. फैजाबाद सीट पर अवधेश प्रसाद को उम्मीदवार बनाया था तो मेरठ सीट पर सुनीता वर्मा को टिकट दिया था. अवधेश प्रसाद पासी समाज से आते हैं तो सुनीता वर्मा जाटव समाज से आती हैं. अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के लल्लू सिंह को करीब 50 हजार से अधिक वोटों से चुनाव हराया था, जबकि अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद पहली बार चुनाव हो रहे थे. मेरठ में सपा की प्रत्याशी सुनीता वर्मा चुनाव हार गईं थीं.
सपा ने अपने इस विनिंग फॉर्मूले को गाजियाबाद उपचुनाव में भी आजमाया था. दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब कांग्रेस और बीजेपी ने भी सपा के अयोध्या फॉर्मूले का एक्सपेरिमेंट किया है. बीजेपी ने जिन सामान्य वर्ग की सीटों पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवार उतारे हैं, वो दोनों सीटें मुस्लिम बहुल इलाकों में आती हैं. बीजेपी इस सीट पर कभी भी जीत दर्ज नहीं कर सकी है, लेकिन इस बार दलित दांव खेला है.
मुस्लिम बहुल सीट पर बीजेपी का दलित दांव
बल्लीमरान विधानसभा सीट पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से मुस्लिम कैंडिटेट हैं. कांग्रेस से दिग्गज नेता हारुन यूसुफ चुनाव लड़ रहे हैं, जो पांच बार विधायक रह चुके हैं. आम आदमी पार्टी से इमरान हुसैन हैं जो दो बार के विधायक और दिल्ली सरकार में मंत्री हैं. ऐसे में मुस्लिम बनाम मुस्लिम की लड़ाई में बीजेपी ने दलित दांव खेला है. ऐसे ही मटिया महल सीट पर कांग्रेस से पूर्व विधायक आसिम खान हैं तो आम आदमी पार्टी से शोएब इकबाल के बेटे आले मोहम्मद इकबाल चुनाव लड़ रहे. इस सीट पर भी मुस्लिम बनाम मुस्लिम की जंग में बीजेपी ने दलित प्रत्याशी उतारकर मुकाबले को रोटक बना दिया है.
कांग्रेस ने नरेला सीट पर दलित दांव खेला है और पूर्व पार्षद अरुणा कुमारी को प्रत्याशी बनाया है. आम आदमी पार्टी ने शरद चौहान को प्रत्याशी बनाया है. पहले पार्टी ने चौहान का टिकट काटकर पार्षद और अर्जुन अवॉर्ड विजेता पूर्व कबड्डी प्लेयर दिनेश भारद्वाज को टिकट दिया था, लेकिन बाद में शरद चौहान को प्रत्याशी बना दिया है. बीजेपी ने दो बार के पूर्व प्रत्याशी और विधायक रहे नील दमन खत्री को नजरअंदाज कर राज करण खत्री पर दांव खेला है. ऐसे में कांग्रेस ने दलित कार्ड खेलकर मुकाबले को रोचक बना दिया है.
दिल्ली में सपा के अयोध्या वाले विनिंग फॉर्मूले के भरोसे BJP-कांग्रेस, क्या चख पाएंगे जीत का स्वाद?
देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,
#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,