Political – झारखंड में इस बार रिकॉर्ड संख्या में महिला प्रत्याशी, 5 सीटों पर तो आमने-सामने की टक्कर- #INA
झारखंड में रिकॉर्ड संख्या में चुनाव मैदान में उतरीं महिला प्रत्याशी
झारखंड में पहले चरण के लिए चुनाव प्रचार अब अपने अंतिम दौर में है. पहले चरण के तहत 43 सीटों पर 13 नवंबर को पड़ने वाले वोट से पहले वोटर्स को लुभाने का सिलसिला जारी है. ताबड़तोड़ चुनावी रैली की जा रही है. 2024 के चुनाव में रिकॉर्ड संख्या में यहां पर महिला प्रत्याशी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रही हैं. आदिवासी बहुल राज्य में कम से कम 5 सीटें ऐसी हैं जहां पर सीधे तौर महिला प्रत्याशियों के बीच ही कड़ी टक्कर हो रही है.
हालांकि राज्य की 81 सीटों वाले विधानसभा में करीब 23 सीटें ऐसी हैं जहां पर एक भी महिला उम्मीदवार मैदान में नहीं उतरी हैं. पहले चरण में 43 सीटों में 12 ऐसी सीटें हैं जबकि दूसरे चरण में 38 में से 11 सीटों पर महिलाओं ने अपनी उम्मीदवारी ही नहीं ठोंकी. खास बात यह है कि इस बार राज्य में रिकॉर्ड 128 महिलाएं चुनाव मैदान में हैं. 2019 के चुनाव में 127 महिला प्रत्याशियों ने अपनी चुनौती पेश की थी जबकि 2011 में यह संख्या 111 थी.
9 सीटों पर एक-एक महिला ही प्रत्याशी
झारखंड में पहले चरण में 9 सीटों पर एक-एक महिला ही चुनाव लड़ रही हैं. जबकि दूसरे चरण की 12 सीटों पर भी एक-एक महिला प्रत्याशी चुनाव अपनी किस्मत आजमा रही हैं. राज्य की हाई प्रोफाइल सीट धनवार जहां से पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी चुनाव मैदान में हैं. यहां पर सबसे अधिक 24 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है, हालांकि इनमें एक भी महिला प्रत्याशी शामिल नहीं हैं.
कुल 21 सीटों पर एक-एक महिला प्रत्याशियों के मैदान में उतरने के बावजूद यहां पर महिला प्रत्याशियों की स्थिति मजबूत मानी जाती है. कई सीटों पर महिला प्रत्याशी कड़ी चुनौती दे रही हैं राज्य की 81 सीटों में से 5 सीटों पर तो आमने-सामने की ही लड़ाई है.
रामगढ़ सीटः 2019 जंग वाली कहानी फिर से
शुरुआत रामगढ़ जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट से करते हैं. यहां पर 2 महिला प्रत्याशियों के बीच ही कड़ी टक्कर है. खास बात यह है कि इस हाई प्रोफाइल सीट पर पिछले 2 चुनावों में महिला प्रत्याशियों को जीत मिली है. बाबूलाल मरांडी इस सीट पर एक बार जीत हासिल कर चुके हैं. कांग्रेस की ओर से ममता देवी मैदान में हैं जबकि एनडीए गठबंधन की ओर से ऑल झारखंड स्टुडेंटस यूनियन ने सुनीता चौधरी अपनी चुनौती पेश कर रही हैं. दोनों के बीच 2019 के बाद फिर से टक्कर होने वाली है.
फिलहाल यहां पर सुनीता चौधरी ही विधायक हैं. 2019 में भी इन्हीं 2 प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला रहा था. कांग्रेस के टिकट पर ममता देवी को जीत मिली थी. लेकिन 2023 में आपराधिक मामले में दोषी ठहराने की वजह से वह अयोग्य घोषित कर दी गईं जिससे यहां उपचुनाव कराना पड़ा. ऑल झारखंड स्टुडेंट्स यूनियन की सुनीता चौधरी विजयी हुईं.
गांदेय सीटः कल्पना बनाम मुनिया देवी
गिरिडीह जिले में पड़ने वाली गांदेय विधानसभा सीट भी बेहद हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन यहां से चुनाव लड़ रही हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा के गढ़ माने जाने वाली सीट पर पार्टी ने कल्पना को फिर से मौका दिया है. 2024 की शुरुआत उपचुनाव में कल्पना को यहां से जीत मिली थी.
राज्य में मुख्य रूप से एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला है. इंडिया गठबंधन की ओर से झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कल्पना को उतारा है तो एनडीए की ओर से भारतीय जनता पार्टी ने मुनिया देवी को खड़ा किया है. मुनिया स्थानीय स्तर पर लोगों के बीच अच्छी पकड़ रखती हैं. उनका नाता कुशवाहा समाज से है और वह अभी गिरिडीह की जिला परिषद अध्यक्ष हैं. एक साल पहले ही मुनिया देवी बीजेपी में शामिल हुई थीं. साल 2010-11 में वह पंचायत चुनाव में जमुआ पूर्वी भाग से जिला परिषद की सदस्य चुनी गई थीं. फिर वह जिला परिषद की अध्यक्ष बनीं. साल 2022 में वह फिर जिला परिषद के लिए चुनी गईं और जिला परिषद की अध्यक्ष बनीं.
डुमरी सीटः 2 देवियों के बीच चुनावी जंग
गिरिडीह जिले में पड़ने वाली डुमरी विधानसभा सीट पर भी 2 महिला प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही है. एनडीए की ओर से ऑल झारखंड स्टुडेंट यूनियन ने यशोदा देवी को उतारा है तो इंडिया गठबंधन की ओर से झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बेबी देवी को खड़ा किया है. पूर्व मंत्री बेबी देवी राज्य की कद्दावर नेताओं में से एक हैं. पिछले साल 2023 के उपचुनाव में भी दोनों के बीच टक्कर हुई थी.
कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री जगरनाथ महतो के नाम से यह सीट पहचानी जाती है. 2023 में उनके निधन की वजह से डुमरी सीट खाली हो गई. उपचुनाव में जेएमएम ने जगरनाथ की पत्नी बेबी देवी को उतारा. वह 17 हजार से अधिक मतों के अंतर से विजयी हुईं. ऑल झारखंड स्टुडेंट्स यूनियन की यशोदा देवी को दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा. यशोदा 2019 में भी दूसरे स्थान पर थीं.
झरिया सीटः पूर्णिमा और रागिनी में कड़ी टक्कर
धनबाद जिले की झरिया सीट पर भी दो महिलाएं आमने-सामने हैं. इंडिया गठबंधन के तरफ से कांग्रेस ने पूर्णिमा नीरज सिंह को खड़ा किया है तो बीजेपी ने रागिनी सिंह को मैदान में उतारा है. 2000 से लेकर अब तक हुए 5 चुनाव में 3 बार महिला प्रत्याशियों को जीत मिली है.
2019 में कांग्रेस की पूर्णिमा नीरज सिंह को जीत मिली थी. पिछले चुनाव में भी इन्हीं दोनों प्रत्याशियों के बीच मुकाबला था. इससे पहले 2005 और 2009 के चुनाव में बीजेपी की कुंती सिंह विजयी रही थीं.
कोडरमा सीटः 26 सालों से महिलाओं को मिल रही जीत
कोडरमा जिले की कोडरमा विधानसभा सीट राज्य की सियासत में इस मायने में बेहद खास है क्योंकि यहां पर 1998 से ही यानी पिछले 26 सालों से महिलाओं का दबदबा रहा है. 1998 के उपचुनाव के बाद 2000, 2005, 2009, 2014 और 2019 के चुनाव में महिला प्रत्याशियों को जीत मिलती रही है. खास बात यह है कि यहां पर 2 महिला प्रत्याशियों अन्नपूर्णा देवी यादव और नीरा यादव को ही जीत मिली है.
2024 के चुनाव में बीजेपी ने नीरा यादव को लगातार तीसरी बार मैदान में उतारा है. 2014 और 2019 के चुनाव में वह आसान मुकाबला में जीत हासिल कर चुकी हैं और अब उनकी नजर जीत की हैट्रिक पर टिकी है. इंडिया गठबंधन की ओर से राष्ट्रीय जनता दल ने यहां से अपना प्रत्याशी बदलते हुए सुभाष यादव को खड़ा किया है. लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में शालिनी गुप्ता के मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. शालिनी ने 2019 के चुनाव में ऑल झारखंड स्टुडेंट यूनियन के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह तीसरे स्थान पर रही थीं. अब वह निर्दलीय ही मैदान में हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर वह मजबूत पकड़ रखती हैं, ऐसे में यहां पर भी कड़े मुकाबले होने के आसार हैं.
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