Political – हरियाणा विधानसभा चुनाव: आदमपुर से भव्य बिश्नोई हारे, सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाने से चूके- #INA

आदमपुर सीट से भव्य बिश्नोई की हुई हार

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने सबको चौंका दिया है. तमाम एग्जिट पोल्स और ओपिनियन पोल्स ने अनुमान लगाया था कि कांग्रेस सरकार बना सकती है. लेकिन वोटिंग के बाद जो नतीजे सामने है वो ठीक इसके उलट है.

बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाती दिख रही है. बीजेपी को जहां 48 तो कांग्रेस को 37 सीटें मिलती दिख रही हैं. BJP से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी लाडवा से और कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गढ़ी सांपला-किलोई से जीत दर्ज कर चुके हैं. चुनावी मैदान में उतरे बड़े चेहरों में से एक बीजेपी के उम्मीदवार भव्य बिश्नोई भी थे. वो आदमपुर से चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे. मगर पार्टी को इस सीट पर निराशा हाथ लगी है.

आदमपुर सीट पर वोटिंग की शुरुआत से ही भव्य बिश्नोई आगे चल रहे थे. हालांकि आखिरी राउंड के वोटिंग में खेल बदल गया और भव्य बिश्नोई की जगह कांग्रेस के चंद्र प्रकाश ने बाजी मार ली. मगर वोट का अंतर काफी कम रहा. एक और जहां जिताऊ उम्मीदवार चंद्र प्रकाश को 65 हजार 371 वोट मिले तो भव्य बिश्नोई के खाते में 64 हजार 103 वोट आए. यानी जीत का अंतर रहा 1268.

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इस हार के साथ ही भव्य बिश्नोई भारत के चुनावी इतिहास में सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाते बनाते चूक गए. दरअसल आदमपुर सीट का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है और इसी वजह से इस चुनाव में वो एक अहम सीट बनी हुई थी.

भव्य बिश्नोई की एक राजनेता के अलावा दूसरी पहचान ये रही है कि वो सूबे के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे भजनलाल बिश्नोई के पोते हैं. और आदमपुर सीट भजनलाल परिवार का गढ़ रही है. भव्य बिश्नोई भजनलाल परिवार की तीसरी पीढीं थे जो इस सीट पर अपनी किस्मत आजमा रहे थे. इस सीट की खास बात है कि यहां लगभग 60 सालों से बिश्नोई परिवार ही जीतता आ रहा है. तो अगर बिश्नोई इस बार जीत जाते तो भारत के चुनावी इतिहास में सबसे ज्यादा वर्ष चुनाव जीतने का रिकॉर्ड उनके परिवार के नाम हो जाता.

आदमपुर भजनलाल परिवार का गढ़

हरियाणा का अलग राज्य के रूप में गठन 1967 में हुआ, उसके बाद से 13 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं और इस बार 14वीं विधानसभा के लिए वोटिंग हुई थी. हालांकि आदमपुर में 17 बार (4 उपचुनाव) हुए हैं.

पहली बार 1967 में विधानचुनाव हुए थे. 1968 में भजनलाल आदमपुर सीट से पहली बार विधायक बने. भजनलाल खुद इस सीट से 9 बार विधायक चुने गए थे. वे 7 बार कांग्रेस, एक बार जनता पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज करा चुके हैं.

इसके बाद खुद की पार्टी हरियाणा जनहित काँग्रेस बनाई. उसके टिकट पर भी एक बार जीतकर विधानसभा पहुंचें.

1986 में राजीव गांधी ने भजनलाल को केंद्र में बुला लिया. उन्हें पर्यावरण और वन मंत्रालय का जिम्मा दिया गया, लेकिन वे आदमपुर सीट परिवार के लिए सुरक्षित रखना चाहते थे. फिर उन्होंने पत्नी जसमा देवी को 1987 में विधानसभा चुनाव लड़वाया. जनता ने बिश्नोई परिवार पर भरोसा जताते हुए जसमा देवी को विधायक के रूप में चुन लिया.

उनके बाद उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई 4 बार जीत कर विधायक बने थे. वे 3 बार कांग्रेस और एक बार हरियाणा जनहित काँग्रेस से विधायक बने. 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी सोनाली फोगाट को हराया था. वहीं कुलदीप बिश्नोई की पत्नी रेणुका बिश्नोई भी आदमपुर और हांसी सीट से विधायक रह चुकी हैं.

बिश्नोई परिवार का कांग्रेस से रहा पुराना नाता

बिश्नोई परिवार पारंरपरिक तौर पर कांग्रेस से जुड़ा रहा. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भव्य ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा. मगर जीत नहीं पाए. बीजेपी के ब्रिजेंद्र सिंह और जेजेपी के दुष्यंत चौटाला के बाद तीसरे नंबर पर रहे.

कांग्रेस के साथ लंबे समय तक जुड़े रहने के बाद अगस्त, 2022 में भव्य के पिता कुलदीप बिश्नोई ने आदमपुर विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में आ गए. इसके बाद, नवंबर 2022 में सीट पर उपचुनाव हुए. भव्य ने इस सीट पर अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस के जय प्रकाश को 15 हज़ार से ज़्यादा वोटों से हरा दिया. इस जीत के बाद ही भव्य बिश्नोई बन गए हरियाणा विधानसभा के सबसे कम-उम्र विधायक.

इस तरह आदमपुर सीट पर बिश्नोई परिवार का राज कायम हुआ, जो भव्य बिश्नोई की हार के बाद टूट गया है.

भव्य ने अपनी स्कूली शिक्षा श्री राम स्कूल,गुरुग्राम से पूरी की. उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से गवर्मेंट और इकोनॉमिक्स में स्नातक की है. ​​इसके बाद, उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में आधुनिक दक्षिण एशियाई अध्ययन (एमएससी) की पढ़ाई की. उन्होंने हार्वर्ड केनेडी स्कूल में भी पढ़ाई की है. बिश्नोई ने अपनी डिग्री पूरी किए बिना ही हार्वर्ड छोड़ दिया.

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