Nation- इनकम टैक्स में रियायत, मिडिल क्लास को राहत… जानें बरेली के व्यापारियों की क्या हैं बजट से उम्मीदें- #NA
बजट पर बरेली के व्यापारियों की उम्मीदें.
केंद्र सरकार अगले माह यानी 1 फरवरी के लिए बजट पेश करेगी और इस बजट को लेकर बरेली के व्यापारियों को भी तमाम उम्मीदें हैं. TV9 की टीम ने शुक्रवार को बरेली पहुंचकर बरेली के श्यामगंज बाजार में अलग-अलग कारोबार करने वाले व्यापारियों से बातचीत की. व्यापारियों का कहना है कि केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है, इसलिए हम व्यापारियों को बजट में बहुत उम्मीदें हैं.
उम्मीदें यह है कि जीएसटी की दर कम की जाए. इनकम टैक्स घटाया जाए. साथ ही जीवन रक्षक दवाइयों पर भी जीएसटी हटाई जाए, जिससे आम लोगों को इससे फायदा होगा. जो पिछले साल बजट पेश हुआ था, उसे बजट में लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं हुई थी. इस बजट में व्यापारियों की उम्मीद पूरी होने की आशा है.
मिडिल क्लास को बजट से मिले राहत
दवा व्यापारी दुर्गेश खटवानी ने बजट को लेकर कहा कि इस बार बजट से उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं. मिडिल क्लास के लिए अब तक खास तौर पर कुछ नहीं किया है. इस बार पूरी उम्मीद है कि वित्त मंत्री इस बजट में मिडिल क्लास के लिए विशेष तौर पर इनकम टैक्स में छूट की दर को कम करेंगी. इनकम टैक्स में जो दर है, वो कम करेंगी और इसमें जो छूट है उसको बढ़ाएंगी, ताकि पब्लिक के हाथ में पैसा आए. उन्होंने कहा कि जीडीपी बढ़ाना चाहते है, हम लोग जीडीपी कैसे बढ़ाएंगे? जब पब्लिक के पास पैसा ही नहीं होगा सब टैक्स दे देंगे, खर्च नहीं करेंगे तो जीडीपी कैसे बढ़ेगी? जीडीपी बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है कि वो इनकम टैक्स की दर को कम करें और लोगों के हाथ में पैसा आए, व्यापारियों को पूरी उम्मीद है कि इस बार ऐसा जरूर होगा, क्योंकि नई गवर्नमेंट जो अभी दोबारा बनी है.
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जीवनरक्षक दवाओं पर जीएसटी की दर कम हो
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह पहला बजट है. 5 साल उनके लिए पड़े है तो कोई भी रिस्क भी अगर लेना है तो पहले साल रिस्क ले सकते हैं और दवाइयों का जहां तक सवाल है तो दवाइयों को लेकर हमारा कहना है कि जो जीएसटी की दर है वो एंटीबॉयोटिक दवाइयों में, कैंसर की दवाइयों में जीवन रक्षक तक दवाइयों में या तो बिल्कुल जीएसटी हटा दी जाए या 5% कर दी जाए, जो गरीब मरीज होते हैं, 12% की जीएसटी उनके ऊपर लगाते हैं. कई बार ऐसे कैंसर के इन्जेक्शन होते हैं. एक इन्जेक्शन एक लाख रुपए का होता है. कैसे वो व्यक्ति ले कर आता है, 1,00,000 उस पर 12 फीसदी वो जीएसटी दे दे. ये न्यायोचित नहीं है तो जीएसटी बिल्कुल हटा देना चाहिए या 5% करना चाहिए. विदेशों में तो हेल्थ इंश्योर्ड होता है. अगर आप इनकम टैक्स देते हो तो आपको दवा और डॉक्टर के ऊपर खर्च ही नहीं करना है. यहां तो इनकम टैक्स देने के बाद भी हम लोग अपने आप इंश्योरेंस करा रहे हैं, हालांकि आयुष्मान है, लेकिन आयुष्मान के अलावा भी ऐसे बहुत से खर्चे हैं. इसलिए सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.जीएसटी कम होना चाहिए या जीएसटी हट जाना चाहिए.
हेल्थ इंश्योरेंस में जीएसटी की दरें घटे
व्यापारी नरेंद्र आहूजा ने बजट को लेकर कहा कि उम्मीदें तो हर बार लगाई जाती हैं, लेकिन मेरे ख्याल से उसको अभी तक पूरा नहीं किया गया है. अगर हम पिछले कई वर्षों की बात करें, मिडिल क्लास के लिए काफी अरमान लेकर बात करते हैं कि इस बार इतना होगा ऐसा होगा, लेकिन मेरे हिसाब से अभी तक मिडिल क्लास के लिए कभी कुछ किया ही नहीं गया तो हमारा सरकार से अनुरोध है कि एक तो इंश्योरेंस सेक्टर से आप देख रहे हैं, मैं अगर 20,000 का प्रीमियम देता हूं, तो मुझे उस पर 18% जीएसटी देना पड़ता है इट्स मीन ₹3600 मेरे प्रीमियम के जा रहे हैं. ऊपर जीएसटी के तो सरकार को कम से कम इसमें 5% की रियायत पर जीएसटी लाना चाहिए और अगर डीप्ली सोचे तो इसको बिलकुल मुक्त कर देना चाहिए.
सैलरी क्लास लोगों को मिले राहत
व्यापारी गिरीश कुमार अग्रवाल ने बजट से उम्मीदों को लेकर कहा कि मैं ये चाहता हूं कि जो स्टैन्डर्ड डिडक्शन हैं, उसके वो सैलरी क्लास के लिए बढ़ाया जाए, क्योंकि सैलरी क्लास जो 30% स्लैब में आ रहे हैं. उनके बाद कट-कट के कुछ बचता ही नहीं है कि वो खर्च कर सकें अगर बड़ा दिया जाएगा और रेट जो चार स्लैब चल रहे हैं, 5 उसे घटा के 30 वाले घटा के 20 में लाना चाहिए, जिससे की कार्य सुचारू रूप से हो सके.
इनकम टैक्स में रियायत, मिडिल क्लास को राहत… जानें बरेली के व्यापारियों की क्या हैं बजट से उम्मीदें
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