धर्म-कर्म-ज्योतिष – Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024: 18 या 19 दिसंबर, कब रखा जाएगा साल 2024 का अंतिम संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त #INA
Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024: पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन अखुरख संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश का अखुरथ स्वरूप उनके विशाल, स्थिर और प्रभावशाली रूप का प्रतीक है. गणेश जी के अनेक नाम और स्वरूप हैं, और उनमें से अखुरथ नाम का विशेष महत्व है. अखुरथ शब्द का अर्थ समझने के लिए अखुरथ शब्द दो भागों में विभाजित किया जाता है अ और खुरथ. अ का अर्थ है नहीं और खुरथ का अर्थ है खुरध (घोड़े या अन्य सवारियों के खुरों की गति) इसका सीधा अर्थ है जो बिना किसी वाहन के, स्थिर और स्वाभाविक रूप से चलने वाले है. यह स्वरूप भगवान गणेश के उस रूप को दर्शाता है जिसमें वह स्थिरता, आत्म-बल और निर्विघ्न गति के प्रतीक हैं.
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कब है? (When is Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024)
हिंदू पंचांग के अनुसार अखुरथ संकष्टी चतुर्थी तिथि 18 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 6 मिनट से प्रारंभ हो रही है जो 19 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 2 मिनट तक रहेगी.
संकष्टी के दिन चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 27 मिनट होगा.
पूजा के शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत बुधवार के दिन 18 दिसंबर को ही रखा जाएगा.
अखुरथ स्वरूप का ध्यान मंत्र (Akhuratha Mantra)
अखुरथ स्वरूप का ध्यान करने के लिए इस मंत्र का जाप किया जा सकता है- ॐ अखुरथाय नमः. भगवान गणेश का अखुरथ स्वरूप हमें यह सिखाता है कि आत्म-निर्भरता, स्थिरता और दृढ़ संकल्प से जीवन की सभी बाधाओं को पार किया जा सकता है.
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के उपाय (Akhuratha Sankashti Chaturthi Upay)
इस स्वरूप में उन्हें सुख-समृद्धि, बाधाओं के निवारण और कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला माना जाता है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत संकटों को दूर करने के लिए किया जाता है. भगवान गणेश के आशीर्वाद से धन-धान्य, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है.
- शादी समस्या को दूर करने के लिए आप इस दिन गाय के देसी घी में सिंदूर मिलाकर भगवान गणेश के सामने इसे अपनी मनोकामना कहते हुए जलाएं. अब उनकी पूजा करके उन्हें गुड़ का भोग लगाएं और सभी को ये प्रसाद वितरित करें. जल्द ही आपकी शादी से जुड़ी हर समस्या दूर हो जाएगी.
- आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए आप केले के पत्ते पर रोली चंदन से त्रिकोण की आकृति बनाकर उस पत्ते को पूजा स्थल पर रख दें. उसके आगे दीपक जलाएं और फिर उस केले के पत्ते पर बने त्रिकोण पर मसूर की दाल और लाल मिर्च रख दें. अग्ने सखस्य बोधि नः मंत्र का 108 बार जाप करते हुए अपनी समस्या बप्पा से कह दें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. हमारा चैनल इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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