धर्म-कर्म-ज्योतिष – Lohri Ki Kahani: लोहड़ी के दिन क्यों लिया जाता है दुल्ला भट्टी का नाम, जानें क्या है सुंदरी-मुंदरी की कहानी #INA

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Lohri Ki Kahani: लोहड़ी की रात जलती हुई अग्नि के चारों ओर परिक्रमा करते हुए उसमें तिल, गुड़, मूंगफली और रेवड़ी अर्पित की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इससे नकारात्मकता को जलाकर जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं. नवविवाहित जोड़े और नवजात बच्चों के लिए यह पर्व खास होता है. लोहड़ी शीत ऋतु के अंत और बसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है. यह मौसम परिवर्तन का समय है, जब दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं. लोहड़ी के लोकगीतों में दुल्ला भट्टी का जिक्र होता है, जो गरीबों का नायक था और लोगों की रक्षा करता था. उनका नाम क्यों लिया जाता है और सुंदरी मुंदरी कौन हैं आइए जानते हैं. 

लोहड़ी की कहानी (The story of Sundri and Mundri)

लोहड़ी के पर्व से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा दुल्ला भट्टी से जुड़ी है. लोकगीतों में अक्सर उनका नाम आता है. माना जाता है कि मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल में पंजाब में दुल्ला भट्टी नामक एक व्यक्ति था, जिसे लुटेरा कहा जाता था. वह अमीरों से धन लूटकर गरीबों में बांट देता था. इसके अलावा वो गरीब हिंदू और सिख लड़कियों की मदद करने के लिए भी जाना जाता था, जिन्हें शाही ज़मींदारों और शासकों द्वारा अगवा कर दासों के बाजार में बेचा जाता था.

दुल्ला भट्टी उन लड़कियों के लिए वर खोजता और उनके विवाह की व्यवस्था करता था. ऐसी ही एक बार की बात है जब उसे सुंदरी और मुंदरी नामक दो गरीब और सुंदर बहनों के बारे में पता चला. इन बहनों को एक ज़मींदार ने अगवा कर लिया था. उनका चाचा भी उनकी रक्षा नहीं कर पा रहा था. दुल्ला भट्टी ने बड़ी मुश्किलों से उनके लिए वर ढूंढा. लोहड़ी के दिन जंगल में लकड़ियां इकट्ठा कर अग्नि के चारों ओर फेरे दिलवाकर उनका विवाह कराया और कन्यादान भी किया. इस दिन के बाद से दुल्ला भट्टी को पंजाब में नायक का दर्जा मिला. तब से, उनकी याद में हर लोहड़ी पर सुंदर मुंदरिए लोकगीत गाया जाता है.

सुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन बेचारा हो

दुल्ला पठी वाला हो, दुल्ले ती विआई हो,

शेर शकर पाई हो, कुड़ी दे जेबे पाई हो ,

कुड़ी कौन समेटे हो, चाचा गाली देसे हो 

चाचे चुरी कुटी हो ,जिम्मीदारा लूटी हो,

जिम्मीदार सुधाये हो, कुड़ी डा लाल दुपटा हो,

कुड़ी डा सालू पाटा हो, सालू कौन समेटे हो,

इस तरह से ये गाते हुए लोग लोहड़ी का त्यौहार मनाते हैं और अपने घर में खुशियों की कामना करते हैं. हिंदू धर्म में लोहड़ी का त्यौहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है. लोहड़ी पर तिल, गुड़, मूंगफली और रेवड़ी खाई जाती है, जो सर्दियों में शरीर को गर्म रखने और ऊर्जा प्रदान करने में मदद करती है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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