धर्म-कर्म-ज्योतिष – Sadhguru Jaggi Vasudev: शिव का सही अर्थ 90% हिंदू नहीं जानते, सद्गुरु जग्गी वासुदेव #INA

Sadhguru Jaggi Vasudev: शिव की महिमा और उनके अस्तित्व का रहस्य भारतीय संस्कृति और योग परंपरा में बहुत गहरा है. शिव केवल एक देवता नहीं बल्कि एक अवस्था हैं. उनका सही अर्थ समझने के लिए हमें उनकी दिव्यता और ब्रह्मांडीय स्थिति पर ध्यान देना होगा. सद्गुरू जग्गी वासुदेव का कहना है कि 90% लोग भगवान शिव का सही अर्थ नहीं जाते हैं. शिव का अर्थ है “वह जो है ही नहीं.” यह सुनने में विरोधाभासी लग सकता है लेकिन यही उनकी सबसे गहरी सच्चाई है. ब्रह्मांड शिव की गोद में घटित हो रहा है क्योंकि शिव किसी भौतिक डिब्बे में सीमित नहीं हैं. जब कोई व्यक्ति इस सत्य का अनुभव कर लेता है, तो उसे भी “शिव” कहा जाता है. आदियोगी (योग के पहले गुरु) को शिव इसलिए कहा गया क्योंकि उन्होंने इस आयाम को छुआ और उसके साथ एकाकार हो गए.
शिव का अनुभव समझ से परे
सद्गुरु का कहना है कि शिव को समझा नहीं जा सकता उन्हें केवल अनुभव किया जा सकता है. जो भी इस अवस्था में विलीन होता है वह शिवत्व को प्राप्त करता है. ऐसा अनुभव तब होता है जब व्यक्ति अपनी चेतना को स्थिर कर लेता है. जब आप स्थिर हो जाते हैं तो जीवन का हर रहस्य आपके भीतर प्रकट हो सकता है.
शिव निष्क्रिय अवस्था का प्रतीक हैं जबकि शक्ति उनकी सक्रिय ऊर्जा हैं. शिव का शव रूप (मृत शरीर) ऊर्जा रहित स्थिति को दर्शाता है. कथा के अनुसार, शक्ति ने शिव के शरीर पर नृत्य किया, जिससे वह जाग उठे. इस गर्जन से सृष्टि की रचना हुई. जागृत अवस्था में उन्हें “रुद्र” कहा गया. शांत होने पर “हर” और स्थिरता में “सदाशिव” कहा गया. दुर्भाग्यवश, आधुनिक शिक्षा और विज्ञान ने हमें तर्क के दायरे में बांध दिया है. जब तक हम तर्क के जाल में फंसे रहते हैं, जीवन का गूढ़ रहस्य हमारे सामने प्रकट नहीं होता. अगर आप स्थिर हो जाते है तो आप अपने स्रोत (शिव) तक पहुंच सकते हैं. यह समय, तीव्रता और एकाग्रता पर निर्भर करता है. इसे 1 पल में समझा जा सकता है या 100 जन्म लग सकते हैं. शिव का अर्थ केवल एक देवता की पूजा करना नहीं, बल्कि उनकी अवस्था में प्रवेश करना है. जब हम तर्क से परे जाकर आत्मिक स्थिरता को अपनाते हैं तो ये प्रक्रिया शुरू होती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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