Nation- ‘बंगाल में कट्टरपंथ गंभीर चुनौती’, मुर्शिदाबाद दंगों पर गृह मंत्रालय को राज्यपाल ने सौंपी रिपोर्ट- #NA

मुर्शिदाबाद हिंसा पीड़ित महिलाओं से मिलते राज्यपाल (फाइल फोटो)
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने मुर्शिदाबाद जिले में हाल में हुए दंगों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘कट्टरपंथ और उग्रवाद की दोहरी समस्या’ राज्य के लिए गंभीर चुनौती बन गई है. साथ ही केंद्र को लोगों में कानून के शासन के प्रति विश्वास पैदा करने की बात कही गई है. पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया, जबकि बीजेपी ने रिपोर्ट की सराहना की.
इस रिपोर्ट का खुलासा ऐसे समय में हुआ जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार को मुर्शिदाबाद जिले के दंगा प्रभावित क्षेत्रों सुती और समशेरगंज का दौरे करने वाली है. वहीं, राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में कई उपाय सुझाए हैं, जिनमें एक जांच आयोग का गठन और बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में केंद्रीय बलों की चौकियां स्थापित करना शामिल है. इसके अलावा उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के विकल्प की भी चर्चा की है.
‘कट्टरपंथ और उग्रवाद एक गंभीर चुनौती’
राज्यपाल सीवी बोस ने रिपोर्ट में लिखा है कि, ‘यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत प्रावधान भी विकल्प बने रहेंगे.’ वहीं, इस बारे में एक अधिकारी ने बताया, ‘राज्यपाल ने अनुच्छेद 356 के कार्यान्वयन का प्रस्ताव नहीं दिया है. उनका मतलब यह था कि यदि राज्य में स्थिति और बिगड़ती है तो संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधानों पर केंद्र विचार कर सकता है.’ संविधान के अनुच्छेद 356 के लागू होने का मतलब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होना है.
बोस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा, ‘कट्टरपंथ और उग्रवाद की दोहरी समस्या पश्चिम बंगाल के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है, विशेषकर बांग्लादेश के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करने वाले दो जिलों- मुर्शिदाबाद और मालदा में. इन दोनों जिलों में प्रतिकूल जनसांख्यिकीय संरचना है और हिंदू अल्पसंख्यक हैं.’
यह एक राजनीतिक कार्य की रिपोर्ट है- TMC
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, ‘विभाजन इतना गहरा है कि हिंसा बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री द्वारा बार-बार यह आश्वासन देना कि वह अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करेंगी और राज्य में इस कानून को लागू नहीं किया जाएगा, मुस्लिम समुदाय को शांत करने में मददगार साबित नहीं हुआ. यह जरूरी है कि कानून का शासन मजबूती से स्थापित हो और पुलिस को हिंसा को रोकना चाहिए.’
वहीं, इसपर तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘यह उन्हें सौंपे गए राजनीतिक कार्य की रिपोर्ट है. उन्हें पता है कि स्थिति नियंत्रण में है और इसीलिए उन्होंने उल्लेख किया कि यदि स्थिति बिगड़ती है, तो अनुच्छेद 356 के प्रावधान खुले हैं. राज्यपाल को बीएसएफ की भूमिका का उल्लेख करना चाहिए था, (उसके) अधिकार क्षेत्र को सीमा से 50 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया था.
‘बंगाल में कट्टरपंथ गंभीर चुनौती’, मुर्शिदाबाद दंगों पर गृह मंत्रालय को राज्यपाल ने सौंपी रिपोर्ट
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