अब्दुल्ला आजम के खिलाफ पैनकार्ड मामले में स्वीकृति: कोर्ट में पेश हुए गवाह
उत्तर प्रदेश की राजनीति में लगातार चल रहे विवादों के बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के खिलाफ एक गंभीर मामला सामने आया है। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट में हुई, जहां पांच गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए।
इस विवाद की शुरुआत भाजपा नेता और वर्तमान में शहर विधायक आकाश सक्सेना द्वारा अब्दुल्ला आजम के खिलाफ पैनकार्ड बनवाने के आरोप में केस दर्ज कराने से हुई थी। इन पर आरोप लगाया गया है कि अब्दुल्ला आजम ने दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्रों का उपयोग करके दो पैनकार्ड बनवाए और अपने पिता मोहम्मद आजम खां की साजिश के तहत इन पैनकार्ड का अलग-अलग उपयोग किया।
कोर्ट में पेश हुए गवाहों में पूर्व विधायक विजय सिंह और पूर्व जिलाध्यक्ष अखलेश कुमार शामिल थे, जिनके साथ जकी खान, फिरासत खान और आरिफ खान भी थे। इस सुनवाई में जकी खान और फिरासत खान की गवाही हुई, जबकि विजय सिंह, अखलेश कुमार और आरिफ खान को उन्मुक्त कर दिया गया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता संदीप सक्सेना ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बताया कि अगली गवाही के लिए 18 दिसंबर की तारीख निर्धारित की गई है।
इस मामले में अब्दुल्ला आजम पर लगे आरोपों को सपा के प्रवक्ताओं ने सिरे से नकारते हुए उन्हें राजनीतिक प्रेरित बताया है। उनका कहना है कि भाजपा, सपा को कमजोर करने के लिए इस तरह के मामलों का सहारा ले रही है। वहीं, भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने आरोप लगाया है कि यह एक गंभीर मामला है जो उत्तर प्रदेश में राजनीतिक भ्रष्टाचार और साजिश की ओर इशारा करता है।
यह मामला केवल अब्दुल्ला आजम ही नहीं, बल्कि उनके पिता मोहम्मद आजम खां के लिए भी चिंताओं का विषय बना हुआ है। मामले की सुनवाई आगे बढ़ने के साथ-साथ कानूनी पेचीदगियों के जाल में भी फंसती जा रही है। महत्वपूर्ण यह है कि यह मामला केवल पैनकार्ड के उपयोग से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि यह एक बड़े राजनीतिक विवाद का संकेत भी दे सकता है।
समाचार के अनुसार, यह मामला केवल एक कानूनी मामले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की राजनीति में फैली उथल-पुथल का भी एक हिस्सा है। आगामी 18 दिसंबर को होने वाली सुनवाई इस मामले के भविष्य को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। जबकि अब्दुल्ला आजम और उनके अधिवक्ता इस मामले को राजनीतिक प्रतिशोध मानते हैं, भाजपा इस पर पूरी मजबूती से अपना पक्ष रखने की कोशिश कर रही है। अब देखना होगा कि न्यायालय इस मामले में क्या निर्णय सुनाएगा और यह पूर्व विधायक की राजनीतिक यात्रा को कैसे प्रभावित करेगा।