SC ने शरीयत और उत्तराधिकार पर केंद्र का रुख पूछा:याचिकाकर्ता की मांग- पर्सनल लॉ न मानने वालों को भारतीय कानून से उत्तराधिकार का हक मिले- INA NEWS

उत्तराधिकार के लिए शरीयत कानून (मुस्लिम पर्सनल लॉ) न मानने वाली महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। महिला का कहना है कि वह शरीयत में विश्वास नहीं करती। वह इसे रूढ़िवादी मानती है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि यह आस्था के खिलाफ हो सकता है। इस वजह से मंगलवार को कोर्ट ने केंद्र से उसका रुख पूछा है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच कर रही है। महिला की मांग है कि जो लोग मुस्लिम पर्सनल लॉ नहीं मानना चाहते उन्हें भारत के उत्तराधिकार कानून के तहत पैतृक संपत्ति पर उत्तराधिकार का हक मिलना चाहिए। अनुच्छेद-25 के तहत धर्म में विश्वास न रखने का अधिकार शामिल हो
केरल की रहने वाली महिला का नाम सफिया है। वह एक्स मुस्लिम्स ऑफ केरल संस्था की महासचिव है। सफिया का कहना है कि उसने आधिकारिक तौर पर इस्लाम धर्म नहीं छोड़ा है। वह नास्तिक है और अनुच्छेद- 25 के तहत धर्म का मौलिक अधिकार चाहती है। महिला का कहना है कि इस अधिकार के तहत धर्म में विश्वास करने और धर्म में विश्वास न करने, दोनों अधिकार शामिल होने चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि अपना धर्म छोड़ने के बाद भी उत्तराधिकार और अन्य महत्वपूर्ण नागरिक अधिकार मिलते रहें। शरिया कानून के अनुसार जो इस्लाम धर्म छोड़ने के बाद व्यक्ति को उसके समुदाय से निकाल दिया जाएगा। इसके बाद वह अपनी संपत्ति में किसी भी तरह के उत्तराधिकार का हकदार भी नहीं होगा। याचिका में कहा गया है कि मामला सभी मुस्लिम महिलाओं के लिए है लेकिन मौजूदा याचिका उन महिलाओं के लिए है जो मुस्लिम पैदा हुई हैं और धर्म छोड़ना चाहती हैं। शरिया कानून के तहत महिलाएं एक तिहाई संपत्ति की हकदार
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए तीन हफ्ते का समय मांगा था। इस पर बेंच ने चार हफ्ते का समय देते हुए कहा- मामले की सुनवाई 5 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में होगी। सफिया ने याचिका में कहा है कि मुस्लिम महिलाएं शरीयत कानूनों के तहत संपत्ति में एक तिहाई हिस्सा पाने की हकदार हैं। वह चाहती है कि कोर्ट घोषित करे कि सफिया पर्सनल लॉ को नहीं मानती इसलिए उस पर यह लागू नहीं होगा। इससे उसके पिता अपनी संपत्ति में एक तिहाई हिस्से से ज्यादा उसे दे पाएंगे। वह अपने पिता की अकेली संतान है। ————————————— सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… SC बोला- देश में सांप के एंटी-वेनम की कमी; केंद्र राज्यों से बात करे, ये मुकदमेबाजी का मसला नहीं​​​​​​​ सुप्रीम कोर्ट ने सांप काटने से मौतों में बढ़ोतरी पर 27 जनवरी को केंद्र सरकार से जरूरी उपाय करने को कहा। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने इसी मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। पूरी खबर पढ़ें…

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