‘नेपाल-भारत रंग महोत्सव’ में दिखी 2 देशों की साझा संस्कृति
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काठमांडू। भारत और नेपाल के बीच यहां आयोजित संयुक्त थिएटर फेस्टिवल ‘नेपाल-भारत रंग महोत्सव’ का समापन हुआ, जिसमें दोनों देशों की साझा संस्कृति के अनेक रंग देखने को मिले। एक सप्ताह तक चले इस महोत्सव में दोनों देशों के कलाकारों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने दो पड़ोसी देशों के बीच हजारों वर्षों पुराने रिश्तों को संगीत, नाटक एवं पारंपरिक नृत्यों सहित अपनी विभिन्न प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रदर्शित किया।
काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार यह महोत्सव नेपाल संगीत एवं नाटक अकादमी द्वारा 5 से 12 फरवरी के बीच भारत के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसमें दोनों देशों की ओर से तीन-तीन शानदार थिएटर प्रस्तुति पेश की गईं।
नेपाल की ओर से सी. के. लाल द्वारा लिखित और सुनील पोखरेल द्वारा निर्देशित नाटक ‘गच्छामि’ ने खासतौर पर सभी को प्रभावित किया, जिसमें शाक्यमुनि सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) की आध्यात्मिक यात्रा को दर्शाया गया, जिन्होंने ज्ञान की खोज में सांसारिक जीवन त्याग दिया था। वहीं दूसरी ओर अजय कुमार द्वारा निर्देशित और विजयदान देथा की कहानी ‘दुविधा’ पर आधारित भारतीय नाटक ‘माई री मैं कैसे कहूं’ ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जिसमें एक महिला की इच्छाओं, उसकी भावनाओं और उसके अनुभव को आकार देने वाले सामाजिक मानदंडों के बीच गतिशील अंतर्संबंध को खूबसूरती से दर्शाया गया।
5 फरवरी को महोत्सव के उद्घाटन समारोह में जहां भारतीय राजदूत नवीन श्रीवास्तव ने शिरकत की, वहीं 12 फरवरी को समापन समारोह में भारतीय मिशन के उप प्रमुख प्रसन्न श्रीवास्तव ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। नेपाल के संस्कृति मंत्री बद्री प्रसाद पांडे दोनों आयोजनों में शामिल हुए, जिन्होंने अपने संबोधन के दौरान संबंधों को मजबूत करने में इस तरह के आयोजनों के महत्व पर प्रकाश डाला। पांडे ने कहा कि मजबूत सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच संबंध दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को रेखांकित करते हैं।
भारतीय दूतावास ने कहा यह महोत्सव लोगों के बीच आदान-प्रदान को आगे बढ़ाने और कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में हमारे दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने में मदद करेगा।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)