वायु प्रदूषण को लेकर रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा, हर साल जा रही 15 लाख भारतीयों की जान #INA

Air Pollution: वायु प्रदूषण के चलते हर साल 15 लाख भारतीय की मौत हो रही है. ये बात एक शोध में पता चली है. जिसमें कहा गया है कि सभी व्यापक अति-सूक्ष्म प्रदूषणकारी कण जो रक्तप्रवाह और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं उससे हर साल 15 लाख भारतीय अपनी जान गंवा रहे हैं. सार्वजनिक स्वास्थ्य शोधकर्ताओं ने डब्ल्यूएचओ की सुरक्षित सीमा के साथ मृत्यु दर की तुलना करने के बाद गुरुवार को ये आंकड़े जारी किए. जिसमें PM2.5 कणों को भी शामिल किया गया है.

शोधकर्ताओं के मुताबिक, इंसानी स्वास्थ्य के लिए वायु की अच्छी गुणवत्ता के साथ तुलना करने पर यह आंकड़ा कम से कम तीन लाख से अधिक व्यक्तियों तक जाता है, जिन्होंने मृत्यु के अन्य संभावित कारणों को अलग करते हुए पीएम 2.5 के दीर्घकालिक जोखिम के प्रभाव को अलग किया है.

जिलास्तर पर जुटाए गए आंकड़े

भारत, अमेरिका, यूरोप और इजराइल के शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पहली बार सामाजिक-आर्थिक या पोषण संबंधी कारकों जैसे अन्य संभावित कारणों के बजाए वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों की पहचान की है.  जिसे जिला स्तर के आधिकारिक मृत्यु डेटा पर सांख्यिकीय उपकरण और परिष्कृत मॉडलिंग तकनीकों के जरिए प्राप्त किया गया है.

गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ रहा असर

सेंटर फॉर हेल्थ एनालिटिक्स रिसर्च एंड ट्रेंड्स अशोका यूनिवर्सिटी में डॉक्टरेट शोधकर्ता और अध्ययन के पहले लेखक सुगंती जगनाथन ने बताया कि, ‘हम प्रतिदिन PM2.5 का बहुत उच्च स्तर ग्रहण करते हैं. इन कणों के स्वास्थ्य पर कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं और रक्त और श्वसन प्रणालियों में प्रवेश करने पर परिणाम दूरगामी होते हैं. यहां तक ​​कि अजन्मे बच्चे भी ये प्रभावित करते हैं.’

लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि प्रति घन मीटर पांच माइक्रोग्राम का वार्षिक पीएम2.5 एक्सपोज़र संभावित रूप से भारत में प्रति वर्ष 15 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार है. वायु प्रदूषण से होने वाली इन मौतों का आंकड़ा 2019 में 18 लाख और 2009 और 2019 के बीच करीब एक करोड़ 66 लाख था.


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