बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार विरोध में हाजीपुर में हस्ताक्षर अभियान

संवाददाता-राजेन्द्र कुमार ।

हाजीपुर, वैशाली: बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय, जिसमें हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध शामिल हैं, पर हो रहे अमानवीय अत्याचारों की एक नई श्रृंखला ने देश और दुनिया को चिंतित कर दिया है। इस अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भाजपा बिहार प्रदेश मीडिया प्रभारी किसान मोर्चा, हरेश कुमार सिंह ने हाजीपुर के व्यवहार न्यायालय में एक हस्ताक्षर अभियान का आयोजन किया। यह अभियान भारत के महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित कर जिला पदाधिकारी वैशाली के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।

इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश में महिलाओं और बच्चों के साथ हो रहे दुष्कर्म और हिंसा के खिलाफ सूचना प्रसारित करना और एकजुटता से आवाज उठाना है। हरेश कुमार सिंह ने कहा, “बांग्लादेश में सभी अल्पसंख्यकों के साथ हो रहा अत्याचार और कट्टरपंथियों का दबाव पूरी दुनिया के लिए एक चिंतन का विषय बन गया है। यह न केवल एक मानवीय मुद्दा है, बल्कि धर्म का भी संकट है। यह समय है कि हम एकजुट होकर इसकी निन्दा करें और अपने अधिकारों के लिए खड़े हों।”

कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता हरिहर प्रसाद सिंह ने बांग्लादेश सरकार के खिलाफ तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा, “इस्कॉन के संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास को कारावास में डालना एक अन्यायपूर्ण क़दम है। यह दिखाता है कि कैसे बांग्लादेश की सरकार अल्पसंख्यकों की आवाज को दबाने में जुटी है।” अधिवक्ता प्रह्लाद प्रसाद चौरसिया ने इस प्रकार की घटनाओं को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया और कहा कि यह निंदनीय है कि बांग्लादेशी अल्पसंख्यक केवल इसलिए प्रताड़ित हो रहे हैं क्योंकि वे अपनी आवाज उठाने का प्रयास कर रहे हैं।

अधिवक्ता राजकुमार दिवाकर ने भी अपने विचार साझा किए और वैशाली जिले के अधिवक्ताओं की ओर से बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों की कड़ी भर्त्सना की। उन्होंने कहा, “हमें चाहिए कि हम एकजुट हों और इन दुर्दशाओं के खिलाफ संघर्ष करें। यह आवश्यक है कि वैश्विक समुदाय इन मुद्दों पर ध्यान दें और बांग्लादेश सरकार को इस पर नकेल कसने के लिए मजबूर करें।”

कार्यक्रम में मौजूद अन्य अधिवक्ताओं में जितेन्द्र कुमार मिश्रा ने भारत की सरकार से यह अपील की कि वह बांग्लादेश में हो रही घटनाओं पर ध्यान दे और अपने स्तर पर कार्यवाही करे। उन्होंने कहा, “भारत को अपनी आवाज उठाने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। यह मुद्दा केवल बांग्लादेश का नहीं, बल्कि हमारी मानवता का भी है।”

इस हस्ताक्षर अभियान में कई अन्य प्रमुख व्यक्तियों ने भी भाग लिया, जिनमें अधिवक्ता राज कुमार सिंह, राजकिशोर ठाकुर, विकास कुमार, ब्रजवाला कुमारी, शशीकांत कुमार, कुंदन मिश्रा, मनीष कुमार पियुष, गंगोत्री प्रसाद सिंह, राकेश कुमार बन्धू, अरविंद कुमार सिंह, भूपेश कुमार, पशुपति कुमार, प्रमोद कुमार शर्मा, संजीव कुमार, कृष्ण मोहन झा, रोहित कुमार राय, आदर्श कुमार गोलु, पंकज कुमार आदि शामिल थे। इन सभी लोगों ने मिलकर बांग्लादेश की अल्पसंख्यक समुदाय की हित रक्षा की मांग को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।

यह घटना न केवल बांग्लादेश में चल रहे भारी अत्याचारों की ओर इशारा करती है, बल्कि यह भी बताती है कि भारतीय समाज में इंसानियत और मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशीलता अभी भी जीवित है। भारत को इस स्थिति पर ध्यान देने और उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि ऐसे अत्याचारों को रोका जा सके और अल्पसंख्यकों को सुरक्षित और सम्मानित जीवन बिताने का अवसर मिले।

इन घटनाओं की गंभीरता को समझते हुए हमें इस दिशा में एकजुट होकर कदम उठाने होंगे। यह समय है कि हम अपने-अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझें और इसे आगे बढ़ाने में मदद करें, जिससे हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से हो, सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर सके।

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